नरवाई प्रबंधन हेतु पूसा डी कंपोज़र का उपयोग करने की सलाह
03 दिसंबर 2024, डिंडोरी: नरवाई प्रबंधन हेतु पूसा डी कंपोज़र का उपयोग करने की सलाह – कृषि विभाग द्वारा किसानों को नरवाई प्रबंधन हेतु पूसा डी कंपोज़र का उपयोग करने की सलाह देते हुए इसे बनाने की विधि और लाभ के बारे में जानकारी दी गई है।
क़ृषि अवशेषों का पुनर्चक्रण – आधुनिक कृषि में फसल अवशेषों का प्रबंधन एक प्रमुख चुनौती है, फसल अवशेषों में अधिक मात्रा में पौष्टिक तत्व होते हैं। अतः इनका विघटन अति आवश्यक है, क्योंकि मिट्टी में पोषक तत्वों की मात्रा दिन प्रतिदिन घट रही है।
डी कंपोजर प्रौद्योगिकी- आईसीएआर भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के सूक्ष्म जीव विज्ञान संभाग नई दिल्ली द्वारा पूसा डी कंपोजर धान की पराली का तीव्र अपघटन के लिए विकसित किया गया है जो सात उपयोगी कवकों का सामूहिक मिश्रण है। पूसा डी कंपोजर धान के पुआल को खेत के अंदर और खेत के बाहर तीव्र अपघटन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, यह धान की पराली के सड़ने की प्रक्रिया को तेज करता है और 25 दिनों में गेहूं की बुवाई के लिए खेत तैयार हो जाता है। यह मिट्टी में जैविक कार्बन को समृद्ध करता है पोषक तत्व और मृदा के जैविक एवं भौतिक गुणों में सुधार होता है। धान के पुआल को जलाने से लाभकारी सूक्ष्म जीवों की संख्या में कमी होती है एवं वायु प्रदूषण का कारण भी बनता है। इसलिए धान की पराली के प्रबंधन के लिए पूसा डीकम्पोजर एक दीर्घकालीन स्थाई समाधान है।
मिश्रण तैयार करने हेतु आवश्यक सामग्री एवं विधि – 150 ग्राम गुड़ लें और 5 लीटर पानी में मिलाएं । संपूर्ण मिश्रण को अच्छी तरह उबालें और उसके बाद उसके ऊपर से सारी गंदगी उतार कर फेंक दें। मिश्रण को एक चौकोर बर्तन जैसे ट्रे या टब में ठंडा होने के लिए रख दें। जब मिश्रण हल्का गुनगुना हो जाएगा तब आप उसमें 50 ग्राम बेसन मिला दें । चार कैप्सूल को तोड़कर लकड़ी से अच्छी तरह से मिला दें । ट्रे या टब को एक सामान्य तापमान पर रखें एवं उसके ऊपर एक हल्का कपड़ा डाल दें इस मिश्रण को हिलाये नहीं। 2 से 3 दिन के अंदर एक मलाई जमने लग जाएगी, अलग-अलग रंग के दिखाई देंगे। चार दिन के बाद अच्छी मलाई जम जाएगी दोबारा उसमें 5 लीटर हल्का गरम गुड़ का घोल डालें( बेसन नहीं ) हर 2 दिन के बाद यह क्रिया को दोहराएं जब तक 25 लीटर ना बन जाए। 25 लीटर घोल को अच्छी तरह से मिलाएं और कल्चर को प्रयोग के लिए तैयार करें।
पूसा डी कंपोजर का उपयोग किस तरह करें – खेत के अंदर अपघटन के लिए 10 लीटर पूसा डी कम्पोजर को 200 लीटर पानी में मिलाकर एक एकड़ में नैपसैक स्प्रेयर द्वारा छिड़काव किया जा सकता है उसके बाद पराली को रोटावेटर से अच्छी तरह मिला दे और हल्की सिंचाई कर दे। गड्ढे,ढेर में 1 टन कृषि अवशेष को खेत के बाहर कंपोस्ट के लिए 5 लीटर पूसा डी कंपोजर का प्रयोग करें।
कम्पोस्ट के लाभ – कंपोस्ट के प्रयोग से मिट्टी अपने अंदर अधिक मात्रा में कार्बनिक कार्बन का संघटन करती है, जिसके बहुत लाभकारी प्रभाव होते है। मृदा में पोषक तत्वों का संतुलन बना रहता है। पोषक तत्व से समृद्ध खाद के प्रयोग से मिट्टी के स्वास्थ्य में काफी सुधार हो जाता है। कंपोस्ट की एक विशेषता होती है कि वह अपने वजन से चार गुना अधिक पानी सोख लेती है। निरंतर कंपोस्ट का प्रयोग करने से मृदा की जल धारण शक्ति बढ़ जाती है। 1 लीटर प्रति टन फसल अवशेष के दर से पूसा डी कंपोजर के प्रयोग की सलाह दी जाती है। पारंपरिक विधि से तैयार की गई खाद में केवल 0.5 प्रतिशत नाइट्रोजन और 0.3 प्रतिशत पोटाश होता है जबकि पूसा डीकंपोजर से तैयार पोषक तत्व समृद्ध खाद में उच्च नाइट्रोजन(1-1.5 प्रतिशत) और पोटाश (0.4-0.5 प्रतिशत) होता है। अतः कृषि विभाग द्वारा कृषकों से नरवाई प्रबंधन हेतु पूसा डी कंपोज़र का उपयोग करने की अपील की जा रही है।
(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़, टेलीग्राम, व्हाट्सएप्प)
(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)
कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:
www.krishakjagat.org/kj_epaper/
कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: