मध्यप्रदेश: मिलेट्स की खेती पर सब्सिडी और अनुदान, जानिए सरकार की नई योजना
30 जनवरी 2025, भोपाल: मध्यप्रदेश: मिलेट्स की खेती पर सब्सिडी और अनुदान, जानिए सरकार की नई योजना – मध्यप्रदेश सरकार किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने और कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए विभिन्न योजनाओं पर कार्य कर रही है। सरकार की प्राथमिकता किसानों को सस्ती दरों पर बीज, उर्वरक और कृषि मशीनरी उपलब्ध कराना है। इसके लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन, राष्ट्रीय तिलहन मिशन, बीज ग्राम, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना और एसएमएएम योजना के तहत अनुदानित दरों पर उन्नत बीज और उपकरण प्रदान किए जा रहे हैं।
राज्य में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों को फसल नुकसान की भरपाई के लिए राहत राशि दी जा रही है। श्री अन्न (मिलेट्स) की खेती करने वाले लघु एवं सीमांत किसानों को इस योजना के तहत प्रीमियम में सब्सिडी दी जा रही है। इसके अलावा, कस्टम हायरिंग सेंटर के माध्यम से किसानों को किराए पर मशीनरी उपलब्ध कराई जा रही है, जिससे छोटे किसानों को राहत मिल रही है। इन केंद्रों को ग्रामीण युवाओं, फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन (एफपीओ) और स्व-सहायता समूहों के माध्यम से संचालित किया जा रहा है। सरकार द्वारा प्रति वर्ष 50 करोड़ रुपये के बजट प्रावधान के साथ 1,000 कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है।
कृषि उत्पादक संगठनों को आर्थिक सहयोग
राज्य सरकार द्वारा कृषक उत्पादक संगठनों (FPOs) को वित्तीय सहायता दी जा रही है। प्रत्येक एफपीओ को 18 लाख रुपये तक की आर्थिक सहायता और 5 करोड़ रुपये तक की क्रेडिट गारंटी सुविधा प्रदान की जा रही है। इससे किसानों को अपनी उपज के बेहतर मूल्य प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
श्री अन्न (मिलेट्स) के उत्पादन को प्रोत्साहन
मध्यप्रदेश में मोटे अनाज (मिलेट्स) के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए राज्य मिलेट मिशन संचालित किया जा रहा है। सरकार द्वारा कोदो, कुटकी, ज्वार, बाजरा और रागी जैसी फसलों के उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए किसानों को प्रमाणित बीज, प्रशिक्षण, भ्रमण और वर्कशॉप जैसी सुविधाएं दी जा रही हैं। मध्यप्रदेश टूरिज्म विकास निगम के माध्यम से फूड फेस्टिवल, ब्रांडिंग गैलरी और मिलेट मेले का आयोजन किया जा रहा है, ताकि मोटे अनाजों की मांग को बढ़ाया जा सके।
वर्ष 2024-25 में 12.60 लाख मीट्रिक टन मिलेट उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। इसे बढ़ाकर वर्ष 2025-26 में 13.85 लाख मीट्रिक टन, 2026-27 में 15.35 लाख मीट्रिक टन, 2027-28 में 17.35 लाख मीट्रिक टन और 2028-29 तक 19.85 लाख मीट्रिक टन तक ले जाने की योजना है।
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