मध्यप्रदेश में सोयाबीन-अरहर और बायोफोर्टिफाइड गेहूं को मिलेगा बढ़ावा- कृषि आयुक्त अशोक वर्णवाल
26 जून 2025, नई दिल्ली: मध्यप्रदेश में सोयाबीन-अरहर और बायोफोर्टिफाइड गेहूं को मिलेगा बढ़ावा- कृषि आयुक्त अशोक वर्णवाल – किसानों की आय दोगुनी करने और खेती को लाभकारी बनाने के लिए मध्यप्रदेश सरकार पूरी गंभीरता से काम कर रही है। इसी क्रम में कृषि उत्पादन आयुक्त अशोक वर्णवाल ने बुधवार (25 जून) को भोपाल स्थित नर्मदा भवन में भोपाल और नर्मदापुरम संभाग की संयुक्त समीक्षा बैठक ली। बैठक में खरीफ 2025 की तैयारियों और रबी 2024-25 की प्रगति की समीक्षा की गई।
कृषि आयुक्त ने बैठक में सभी अधिकारियों से कहा कि खेती में तकनीक और नवाचार को अपनाकर किसानों को ज्यादा से ज्यादा फायदा पहुँचाया जाए। उन्होंने सोयाबीन और अरहर की बुआई का रकबा बढ़ाने, तथा बायोफोर्टिफाइड गेहूं की उन्नत किस्मों को प्रोत्साहित करने के निर्देश दिए।
सोयाबीन और अरहर के रकबे में वृद्धि की योजना
बैठक में जानकारी दी गई कि पिछले खरीफ सीजन में भोपाल, रायसेन, विदिशा, राजगढ़ और सीहोर जिलों में बड़े पैमाने पर सोयाबीन, मक्का, धान और अरहर की बुआई हुई थी। इस बार धान के क्षेत्र में कुछ कमी, जबकि सोयाबीन और अरहर के क्षेत्र में बढ़ोतरी की संभावना है। इसी के अनुसार खरीफ 2025 की रणनीति तैयार की जा रही है।
बायोफोर्टिफाइड गेहूं की किस्मों को बढ़ावा मिलेगा
कृषि आयुक्त ने बताया कि रबी सीजन में किसानों को बायोफोर्टिफाइड गेहूं की उन्नत किस्में बोने के लिए प्रेरित किया जाएगा। इन किस्मों में आयरन और जिंक अधिक मात्रा में होता है जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है। प्रमुख किस्मों में एचआई 1650, 1636, 1633 और 1655 शामिल हैं।
फसलों का विविधीकरण और कृषि के साथ अन्य गतिविधियाँ जरूरी
कृषि आयुक्त ने अधिकारियों से कहा कि किसान केवल पारंपरिक फसलों तक सीमित न रहें। उन्हें फसलों का विविधीकरण, साथ ही पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन जैसे कार्यों के लिए भी प्रेरित किया जाए। इससे किसानों की आमदनी के नये रास्ते खुलेंगे।
सिंचाई और मृदा परीक्षण पर भी विशेष ध्यान
मंत्री वर्णवाल ने कहा कि किसान प्रेशराइज्ड पाइप सिस्टम से सिंचाई करें, जिससे पानी की बचत हो और फसलों को पूरा लाभ मिले। सरकार इसके लिए अनुदान भी देती है। उन्होंने सभी जिलों में मृदा परीक्षण को बढ़ावा देने के निर्देश दिए ताकि किसान अपनी जमीन के अनुसार सही उर्वरक और फसल चुन सकें।
एनपीके उर्वरक को बढ़ावा, डीएपी का कम करें उपयोग
कृषि आयुक्त ने कहा कि किसानों को डीएपी के बजाय एनपीके उर्वरक के उपयोग के लिए जागरूक किया जाए। एनपीके में फसलों के लिए जरूरी सभी पोषक तत्व होते हैं, जो खेती के लिए अधिक लाभकारी है। उन्होंने यह भी कहा कि किसान खेत में नरवाई जलाने से बचें, क्योंकि इससे मिट्टी की उर्वरता घटती है। इसके बजाय हैप्पी सीडर और सुपर सीडर जैसी मशीनों से बुआई करें, जिससे फसल की उत्पादकता बढ़ती है और खेत की गुणवत्ता भी बनी रहती है।
तकनीक और मंडी व्यवस्था को किसानों से जोड़ा जाएगा
बैठक में यह भी कहा गया कि कस्टम हायरिंग सेंटरों के माध्यम से किसानों को उन्नत कृषि यंत्र उपलब्ध कराए जाएं। मंडियों को आधुनिक बनाया जाए और किसानों को लंबी लाइनों से मुक्ति मिले, इसके लिए व्यवस्था सुधारी जाए। ई-मंडी और फार्म गेट एप के जरिए किसान घर बैठे अपनी फसल बेच सकेंगे।
पशुपालन और मत्स्य पालन को भी मिलेगा प्रोत्साहन
पशुपालन विभाग की समीक्षा के दौरान बताया गया कि मध्यप्रदेश देश में तीसरे स्थान पर है दुग्ध उत्पादन में। इसे और बढ़ाने के लिए नए मिल्क रूट और नस्ल सुधार कार्यक्रम शुरू किए जाएंगे।
मत्स्य पालन विभाग के बारे में चर्चा करते हुए श्री वर्णवाल ने कहा कि बायोफ्लॉक और केज कल्चर तकनीक के जरिए मछली उत्पादन को पांच गुना तक बढ़ाया जा सकता है। भोपाल जिले को इस मॉडल के रूप में विकसित किया जाएगा। मत्स्य समितियों को क्रेडिट कार्ड और बैंक सुविधा से भी जोड़ा जाएगा।
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