मध्यप्रदेश: डेयरी फार्मिंग के लिए सरकार दे रही 42 लाख तक का लोन और अनुदान, जानिए कैसे मिलेगा लाभ
05 अगस्त 2025, भोपाल: मध्यप्रदेश: डेयरी फार्मिंग के लिए सरकार दे रही 42 लाख तक का लोन और अनुदान, जानिए कैसे मिलेगा लाभ – किसानों की आय बढ़ाने और पशुपालन को फायदे का व्यवसाय बनाने के लिए मध्यप्रदेश सरकार लगातार नवाचार कर रही है। एक ओर सरकार किसानों को इंटीग्रेटेड फार्मिंग सिस्टम (IFS) जैसे आधुनिक मॉडल अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है, जिससे उन्हें दूध, अंडा, मीट जैसे उत्पादों से बहु-आय का स्रोत मिल सके। दूसरी ओर डा. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना के तहत डेयरी फार्म खोलने पर 42 लाख रुपये तक का लोन और सब्सिडी दी जा रही है। इस दोहरी रणनीति से राज्य के पशुपालक तेजी से आर्थिक रूप से सशक्त हो रहे हैं।
डेयरी फॉर्म खोलने के लिए मिलेगा 42 लाख तक का लोन
कामधेनु योजना का संचालन पशु चिकित्सा सेवाएं विभाग द्वारा किया जा रहा है। इसके तहत किसानों को 36 से 42 लाख रुपये तक का लोन मिलता है। साथ ही 25 से 33 प्रतिशत तक अनुदान की सुविधा भी दी जाती है।
आवेदन करने के लिए किसान के पास कम से कम 3.5 एकड़ जमीन होना जरूरी है। आवेदन ऑनलाइन किया जा सकता है या इच्छुक व्यक्ति विभागीय कार्यालय में संपर्क कर सकता है। जिले के उपसंचालक डॉ. एन. के. शुक्ला ने बताया कि इस वर्ष 22 किसानों को योजना से लाभान्वित करने का लक्ष्य तय किया गया है। योजना के जरिए डेयरी उद्योग को संगठित किया जा रहा है और पशुपालकों की आय में वृद्धि की जा रही है।
इंटीग्रेटेड फार्मिंग सिस्टम: बकरी और मुर्गी पालन से दोगुना फायदा
किसानों की आय बढ़ाने के लिए इंटीग्रेटेड फार्मिंग सिस्टम (IFS) को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके तहत बकरियों और मुर्गियों को एक साथ पाला जाता है, जिससे कम लागत में अंडा और देसी चिकन तैयार किया जा सकता है। यह तरीका बहुत से पशुपालकों के लिए लाभदायक साबित हो रहा है। केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (CIRG), मथुरा के वैज्ञानिकों के अनुसार इस सिस्टम में बकरियों का बचा हुआ चारा मुर्गियां खा जाती हैं, जिससे खुराक की लागत भी घटती है।
IFS से मिलेगा ऑर्गेनिक दूध और मीट
इस सिस्टम में बकरियों की मेंगनी का उपयोग कर जो चारा उगाया जाता है, वह पूरी तरह ऑर्गेनिक होता है। ऐसे में जब बकरियां यह चारा खाती हैं तो उनका दूध भी ऑर्गेनिक होता है। यही नहीं, इस चारे को खाने वाले बकरे का मीट भी दूषित नहीं होता, जिससे मीट के एक्सपोर्ट में भी कोई परेशानी नहीं आती।
कैसे काम करता है IFS सिस्टम?
IFS के तहत एक विशेष शेड तैयार किया जाता है जिसमें लोहे की जाली से बकरियों और मुर्गियों के लिए अलग-अलग हिस्से बनाए जाते हैं। सुबह के समय जब बकरियों को चरने के लिए बाहर निकाला जाता है, तो उनकी जगह मुर्गियां उस हिस्से में आ जाती हैं, जिससे एक ही स्थान का उपयोग दोनों उद्देश्यों के लिए हो जाता है।
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