टमाटर-मिर्च की खेती से बदली किस्मत, जानिए महिला किसान आशा बाई ने सब्जियां उगाकर कैसे कमाया मुनाफा
17 सितम्बर 2025, भोपाल: टमाटर-मिर्च की खेती से बदली किस्मत, जानिए महिला किसान आशा बाई ने सब्जियां उगाकर कैसे कमाया मुनाफा – मध्यप्रदेश के कटनी जिले के ढीमरखेड़ा ब्लॉक के बांध गाँव की महिला किसान आशा बाई के परिवार में पाँच सदस्य हैं। उनका परिवार खेती और मजदूरी पर निर्भर था। उनके पास कुल तीन एकड़ ज़मीन थी, जिस पर वे पहले रासायनिक तरीके से खेती करती थीं। लेकिन इस खेती में लागत ज्यादा लगती थी और उत्पादन का सही दाम नहीं मिल पाता था। इससे उनकी आर्थिक हालत में कोई खास सुधार नहीं हो पा रहा था।
जैविक खेती से मिली नई राह
आशा बाई की जिंदगी में बदलाव तब आया जब उनकी मुलाकात मानव जीवन विकास समिति की कार्यकर्ता अदिति वैष्णव से हुई। अदिति ने उन्हें जैविक खेती, जैविक खाद और देसी दवाइयां बनाने के बारे में जानकारी दी। उन्होंने आशा बाई को प्रशिक्षण में शामिल कराया और सब्जी की खेती करने में मदद की।
मानव जीवन विकास समिति ने आशा बाई को आधा एकड़ जमीन पर खेती के लिए 150 बैंगन, 150 टमाटर और 150 मिर्च के पौधे दिए। साथ ही वर्मी कम्पोस्ट बनाने के लिए वर्मी बेड और ज़रूरी सामग्री भी दी गई। समिति ने उन्हें जैविक खाद और दवाइयां बनाने की विधियाँ और सब्जियां उगाने के तरीके भी सिखाए।
मेहनत लाई रंग, मुनाफा हुआ शुरू
आशा बाई ने पूरे मन से जैविक खेती की। उन्होंने किसी भी रासायनिक खाद या कीटनाशक का इस्तेमाल नहीं किया। उनकी मेहनत रंग लाई और टमाटर-बैंगन की फसल बहुत अच्छी हुई। उनकी सब्जियां स्वादिष्ट और सेहतमंद थीं।
जब फसल तैयार हुई, तो उन्होंने अपने गाँव और आसपास के बाजारों में सब्जियां बेचना शुरू किया। इस खेती से उन्हें कुल 35,000 रुपये की आमदनी हुई, जिसमें से 10,000 रुपये लागत निकालने के बाद उन्हें 25,000 रुपये का शुद्ध मुनाफा हुआ।
गाँव की महिलाएं हुईं प्रेरित
आशा बाई अपनी इस सफलता का श्रेय मानव जीवन विकास समिति के सचिव और पर्यावरणविद् निर्भय सिंह को देती हैं। आज उनका परिवार खुशहाल है। उनकी सास भी गाँव-गाँव घूम कर सब्जियाँ बेचती हैं। आशा बाई की सफलता को देखकर गाँव की कई दूसरी महिलाएं भी प्रेरित हुई हैं। अब वे भी सब्जियाँ उगाने और जैविक खाद-दवाइयाँ बनाने का काम शुरू कर चुकी हैं।
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