राज्य कृषि समाचार (State News)

भारतीय उर्वरक उद्योग विकास के पथ पर लगातार बढ़ रहा आगे क्या है कारोबार का आंकड़ा

29 मई 2025, भोपाल: भारतीय उर्वरक उद्योग विकास के पथ पर लगातार बढ़ रहा आगे क्या है कारोबार का आंकड़ा – यह देश के लिए गौरव की ही बात होगी कि भारतीय उर्वरक उद्योग लगातार विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है और यही कारण है कि आगामी वर्ष 2032 तक कारोबार का आंकड़ा 1.38 लाख करोड तक पहुंच जाएगा।

भारतीय उर्वरक उद्योग के बाजार का आकार वर्ष 2032 तक बढ़कर 1.38 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद की जा रही है। मार्केट रिसर्च फर्म आईएमआरसी ग्रुप की नवीनतम रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है। यह वृद्धि भारत की कृषि उत्पादकता और खाद्य सुरक्षा को समर्थन देने में इस क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करती है।  वर्ष 2023 में, भारतीय उर्वरक बाजार का आकार 94,210 करोड़ रुपये था, जो कृषि मांगों में वृद्धि और रणनीतिक सरकारी हस्तक्षेप से प्रेरित बताया जा रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2024 में उर्वरक उत्पादन 45.2 मिलियन टन दर्ज किया गया, जो उर्वरक मंत्रालय की सफल नीतियों को दर्शाता है।


वैश्विक लीडर बना भारत

भारत ने फसल की पैदावार से समझौता किए बिना पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देते हुए, नैनो उर्वरकों और सूक्ष्म पोषक तत्वों सहित नैनो कृषि इनपुट में खुद को वैश्विक लीडर के रूप में स्थापित किया है। भारत सरकार का लक्ष्य नैनो यूरिया के स्थानीय उत्पादन में वृद्धि के माध्यम से 2025-26 तक यूरिया उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करना है। इसके अतिरिक्त, परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) जैविक खेती को बढ़ावा देती है, जिसमें तीन साल के लिए 50,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की पेशकश की जाती है, जिसमें जैविक इनपुट के लिए किसानों को सीधे 31,000 रुपये आवंटित किए जाते हैं। इस तरह देखें, तो जैविक और जैव उर्वरकों का संभावित बाजार भी विस्तार के लिए तैयार है

(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़,  टेलीग्रामव्हाट्सएप्प)

(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)

कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.krishakjagat.org/kj_epaper/

कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.en.krishakjagat.org

Advertisements