महाराष्ट्र में मानसून की रफ्तार पर ब्रेक: किसानों को बुआई में जल्दबाज़ी न करने की सलाह
28 मई 2025, मुंबई: महाराष्ट्र में मानसून की रफ्तार पर ब्रेक: किसानों को बुआई में जल्दबाज़ी न करने की सलाह – महाराष्ट्र में इस साल मानसून ने समय से लगभग 10 दिन पहले दस्तक दी है, लेकिन मौसम विभाग की ताज़ा चेतावनी के अनुसार, अब इसकी गति धीमी पड़ने वाली है. 27 मई से राज्य के अधिकांश हिस्सों में मौसम शुष्क रहने की संभावना है, जिससे कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को बोवनी (बुआई) में जल्दबाज़ी से बचने की सलाह दी है.
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, मानसून दक्षिण कोंकण तक 25 मई को पहुंच चुका था, लेकिन इसके आगे बढ़ने की गति अब धीमी हो जाएगी. राज्य के भीतर घुसते हुए मानसून की ताकत कम होती दिख रही है, जिससे 27 मई से सूखा मौसम और हल्की गर्मी लौटने की आशंका है.
कोंकण को छोड़कर राज्य में रहेगा सूखा माहौल
मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि मई के अंत तक कोंकण क्षेत्र को छोड़कर महाराष्ट्र के ज़्यादातर इलाकों में बारिश की संभावना बेहद कम है. यह स्थिति कम से कम 5 जून तक बनी रह सकती है. ऐसे में बारिश पर निर्भर किसान अगर जल्दबाज़ी में बोवनी कर देते हैं तो फसल को नुकसान या पूरी तरह से नुकसान होने का खतरा है.
प्री-मानसून बारिश और सोशल मीडिया की गफलत
राज्य के कुछ हिस्सों में पहले ही तेज़ प्री-मानसून बारिश हो चुकी है. इन शुरुआती बूंदों और सोशल मीडिया पर फैल रही अपुष्ट सूचनाओं के चलते कुछ किसानों ने खेतों की तैयारी शुरू कर दी थी. कृषि विभाग ने स्पष्ट किया है कि प्री-मानसून बारिश का मतलब यह नहीं है कि मानसून पूरी तरह से स्थापित हो गया है. बोवनी केवल तभी शुरू की जाए जब लगातार कई दिनों तक पर्याप्त बारिश हो.
कृषि अधिकारियों ने ज़िला प्रशासन और कृषि विस्तार कर्मियों से अपील की है कि वे किसानों के बीच मौसम की सटीक जानकारी और चेतावनी पहुंचाने के लिए जागरूकता अभियान चलाएं. विभाग ने दोहराया है कि बिना स्थिर मानसूनी बारिश के बोवनी शुरू करना जोखिम भरा साबित हो सकता है.
मानसून का अनिश्चित पैटर्न बढ़ा रहा चिंता
इस साल मानसून के पैटर्न में असामान्यता देखी जा रही है—एक तरफ समय से पहले दस्तक और दूसरी तरफ अचानक ठहराव. ऐसे में किसानों को सलाह दी गई है कि वे किसी भी तरह की अफवाह या जल्दबाज़ी से बचें और केवल आधिकारिक पूर्वानुमान और सलाह के आधार पर ही कृषि गतिविधियां शुरू करें.
अगले दो हफ्तों तक महाराष्ट्र के अधिकतर हिस्सों में बारिश की कमी बनी रहने की संभावना है. ऐसे में किसानों से अपील की गई है कि वे धैर्य रखें और मानसून की स्थिरता के साफ संकेत मिलने के बाद ही बुआई की प्रक्रिया शुरू करें. जल्दबाज़ी से नुकसान हो सकता है — और इस बार की खेती का भविष्य मौसम के अगले कदम पर टिका है.
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