राज्य कृषि समाचार (State News)

हाय मिर्ची, उफ मिर्ची लेकिन चिंता में है अब उत्पादक !

31 जनवरी 2025, भोपाल: हाय मिर्ची, उफ मिर्ची लेकिन चिंता में है अब उत्पादक ! – लाल मिर्च के बगैर रसोई घर सूना रहता है अर्थात दाल हो या फिर सब्जी या फिर कोई नमकीन ही क्यों न हो बगैर मिर्ची के स्वाद आ ही नहीं सकता है और यही कारण है कि रसोईघरों की महत्वपूर्ण जरूरत लाल मिर्ची ही रहती है लेकिन इसी मिर्ची के उत्पादक किसान अब चिंता में है। दरअसल भारतीय मिर्च की कीमतों में तीस प्रतिशत से अधिक की गिरावट का मामला सामने आया है।

रिपोर्ट के अनुसार, चीन में मांग कम होने से भारतीय मिर्च की कीमतों में 35% की गिरावट आई है। इसके चलते उत्पादक चिंतित हैं। जनवरी 2024 में 19,000 रुपये प्रति क्विंटल के मुकाबले इस साल कीमतें गिरकर 12-13,000 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गई हैं। प्रो. जयशंकर तेलंगाना राज्य कृषि विश्वविद्यालय ने जनवरी से मार्च 2025 के दौरान कटाई के समय प्रति क्विंटल कीमत 14,500-16,500 रुपये प्रति क्विंटल आंकी है। विशेषज्ञों का कहना है कि वैश्विक मांग में कमी, खासकर चीन से, देश में कीमतों में गिरावट आई है।  राज्य सरकार की एक रिपोर्ट में राष्ट्रीय आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा गया है, “सितंबर 2024 में लाल मिर्च का निर्यात 36,276 टन था, जो पिछले महीने से 4.09 प्रतिशत की कमी दर्शाता है।” मसाला बोर्ड के आंकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल-अक्टूबर 2024 के दौरान मिर्च का निर्यात 3.31 लाख टन था, जिसकी कीमत 645.15 मिलियन डॉलर थी, जबकि पिछले वित्त वर्ष की पहली छमाही में 3.04 लाख टन मिर्च का निर्यात हुआ था, जिसकी कीमत 757.84 मिलियन डॉलर थी। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में मिर्च के निर्यात में 15 प्रतिशत की गिरावट आई है। इसके परिणामस्वरूप तेलंगाना के किसानों ने केंद्र और राज्य सरकारों से 20,000 रुपये प्रति क्विंटल की दर से उपज खरीदकर उन्हें बचाने का आग्रह किया है। भारत 27.82 लाख टन मिर्च उत्पादन के साथ दुनिया में सबसे आगे है। देश की बात करें तो यहां आंध्र प्रदेश और तेलंगाना सबसे बड़े मिर्च उत्पादक राज्य हैं।  2023-24 में, तेलंगाना मिर्च के क्षेत्रफल में तीसरे और उत्पादन और उत्पादकता में क्रमशः 3.92 लाख एकड़ और 7.94 लाख टन के साथ दूसरे स्थान पर रहा। हालांकि, उत्पादकता वैश्विक औसत 3,229 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के मुकाबले 2,021 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर से काफी कम है।

Advertisement
Advertisement
Advertisements
Advertisement3
Advertisement

(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़,  टेलीग्रामव्हाट्सएप्प)

(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)

कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.krishakjagat.org/kj_epaper/

Advertisement8
Advertisement

कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

Advertisement8
Advertisement

www.en.krishakjagat.org

Advertisements
Advertisement5
Advertisement