State News (राज्य कृषि समाचार)

फसल बीमा मुआवजे के लिए फुटबॉल बने किसान

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पांच माह बाद भी नतीजा ढाक के तीन पात

इंदौर (विशेष प्रतिनिधि)

9 मार्च 2023, फसल बीमा मुआवजे के लिए फुटबॉल बने किसान सरकारी योजनाएं भले ही कितनी भी अच्छी क्यों न हों, यदि उनका जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन सही नहीं होता है, तो लोगों की उस योजना के प्रति अरुचि हो जाती है। यही हाल प्रधानमंत्री फसल बीमा का है, जिसमें ऋणी किसानों से प्रीमियम की राशि बीमे के साथ ही बैंक/सहकारी समिति द्वारा काट ली जाती है, लेकिन यदि प्राकृतिक आपदा से किसानों की फसल खराब हो जाती है तो उन्हें मुआवजा पाने के लिए दर-दर भटकना पड़ता है। किसानों को फुटबॉल बना दिया जाता है। बीमा कम्पनी, कृषि विभाग और राजस्व विभाग के दफ्तरों में इधर से उधर दौड़ाया जाता है और संतोषजनक जवाब भी नहीं दिया जाता है। सच तो यह है कि किसान से प्रीमियम जमा कराने के बाद बीमा कम्पनी, कृषि विभाग और बैंक उतनी गंभीरता नहीं दिखाते जो उनके कर्तव्यों के तहत अपेक्षित है। ऐसे ही तीन मामले छिंदवाड़ा जिले की पांढुर्ना तहसील ग्राम धावड़ीखापा और गुजरखेड़ी के सामने आए हैं, जहाँ तीन जागरूक किसानों की ओर से 72 घंटे में बीमा कम्पनी को सूचना देने के बाद भी इन किसानों को मुआवजा मिलना तो दूर, मामले में अब तक हुई प्रगति से भी अवगत नहीं कराया जा रहा है, जबकि 15  दिन में मुआवजे की राशि पीडि़त किसान के खाते में जमा करने का प्रावधान है। इस मामले में तो  बीमा कम्पनी एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कम्पनी ऑफ इंडिया लि. के क्षेत्रीय प्रबंधक,भोपाल द्वारा 72 घंटे में सूचना नहीं मिलने के आधार पर अपनी तरफ से शिकायत को समाप्त मान लिया गया है। पांच माह बाद भी नतीजा ढाक के तीन पात ही है।

 संघर्ष की कहानी, पीडि़त की ज़ुबानी

पीडि़त किसान गुजरखेड़ी के श्री रोशन पिता खेमराज कलम्बे के अलावा श्री मंसाराम पिता झोट्या खोड़े और श्रीमती वनमाला पति मंसाराम खोड़े निवासी धावड़ीखापा हैं। इनके बेटे श्री उमेश खोड़े ने कृषक जगत को विस्तार से बताया कि माता-पिता द्वारा खरीफ 2022 में बोई गई सोयाबीन, कपास और मूंगफली की फसल के लिए क्रमश: 2686.55 और 2792.18 रु की प्रीमियम जिला सहकारी केंद्रीय बैंक शाखा पांढुर्ना  में जमा की गई थी। लेकिन अतिवृष्टि से हुए जल भराव एवं कीट व्याधि के कारण फसल खराब हो गई थी। नुकसानी की भरपाई के लिए 72 घंटे के अंदर बीमा कम्पनी एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कम्पनी ऑफ इंडिया को ई मेल से दो बार 14 अक्टूबर और फिर 22 अक्टूबर 2022 को सूचना दी थी, जबकि तीसरी बार तत्कालीन वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी श्री जगदीश कोहले और ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी श्री आरके पंडाग्रे को 19 अक्टूबर 2022 को भी लिखित में सूचना दी थी और सूचना सह दावा पत्र भरकर बीमा कम्पनी के तहसील प्रतिनिधि श्री कमलेश भोंगाड़े को दिया था। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस बीच बीमा कम्पनी और कृषि विभाग के निरंतर सम्पर्क में रहा, लेकिन कोई हल नहीं निकला। वहीं 26 दिसंबर को एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कम्पनी के क्षेत्रीय प्रबंधक,भोपाल द्वारा वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी,पांढुर्ना को अवगत कराया गया  कि 72 घंटे में संबंधित किसान की कोई सूचना प्राप्त नहीं हुई है, जो कि देना अनिवार्य है। ऐसी स्थिति में आपकी शिकायत हमारे स्तर से समाप्त मानी जाती है। इस पर 27 दिसंबर को जन सुनवाई में एसडीओ (राजस्व) पांढुर्ना को  शिकायत की गई। एसडीओ ने वरिष्ठ कृषि विकास  अधिकारी, पांढुर्ना को पत्र में शिकायत का निराकरण करने को कहा। वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी  द्वारा  एसडीओ को लिखे जवाब में कहा गया कि 28 अक्टूबर को आवेदकों की बीमित फसलों का ग्राकृविअ श्री आरके पंडाग्रे और एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कम्पनी के तहसील प्रतिनिधि श्री कमलेश भोंगाड़े द्वारा संयुक्त रूप से निरीक्षण किया गया। लगातार वर्षा से खेत में जल भराव से फसल की पूर्ण क्षति की स्वीकारोक्ति के साथ जाँच प्रतिवेदन बीमा कम्पनी के क्षेत्रीय कार्यालय भोपाल भेजने का भी उल्लेख  किया और आगामी कार्रवाई से अवगत कराने को कहा गया था, लेकिन वहां से कोई जानकारी नहीं मिली। इस मामले से उप संचालक,कृषि, छिंदवाड़ा को भी पूरे मामले से अवगत कराया। क्षतिग्रस्त फसल के बीमा कम्पनी और कृषि विभाग के प्रतिनिधियों के संयुक्त निरीक्षण के बाद शिकायतकर्ता ने अपनी खरीफ फसल नष्ट कर रबी में गेहूं और सरसों बो दी,लेकिन अभी तक समाधान नहीं हुआ है। दूसरी तरफ तहसीलदार न्यायालय, पांढुर्ना से पिताजी को 2 लाख 44 हज़ार 696 कृषि साख सहकारी समिति, पांढुर्ना से  बकाया जमा करने का मांग पत्र भेजा गया है, जिसे अभी भरने में असमर्थता व्यक्त की है।

क्लेम करने की प्रक्रिया और प्रावधान

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत यदि आपकी फसल को नुकसान पहुंचा है, तो  निर्धारित प्रक्रिया का पालन कर बीमा राशि का क्लेम  लिया जा सकता है – सबसे पहले किसान को फसल को हुए नुकसान की जानकारी इंश्योरेंस कम्पनी, बैंक या फिर राज्य सरकार के अधिकारी को देनी चाहिए। यह जानकारी किसान को टोल फ्री नंबर पर सम्पर्क करके 72 घंटे के भीतर देनी होगी। यदि आपने इंश्योरेंस कम्पनी के अलावा किसी और को नुकसान की जानकारी दी है, तो आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि वह जल्द से जल्द यह जानकारी इंश्योरेंस कम्पनी तक पहुंचाए। प्रावधान यह है कि जैसे ही इंश्योरेंस कम्पनी तक जानकारी पहुंचेगी, इंश्योरेंस कम्पनी 72 घंटों के भीतर नुकसान निर्धारणकर्ता नियुक्त करेगी। अगले 10 दिन के भीतर आपकी फसल को पहुंचे नुकसान का आकलन नुकसान निर्धारणकर्ता करेगा। यह सारी प्रक्रिया सफलतापूर्वक हो जाने पर 15 दिन के अंदर -अंदर बीमा की राशि आपके खाते में पहुंचा दी जाएगी।

राजस्व पुस्तक परिपत्र 6-4, जो मार्च 2018 से प्रभावशील है, में फसल क्षतिपूर्ति पाने के लिए लघु/सीमांत एवं अन्य कृषकों के लिए विभिन्न फसलों के लिए अलग-अलग प्रावधान हैं। जिसके आधार पर आकलन कर  क्षतिपूर्ति का निर्धारण किया जाता है। 

 क्या कहना है जिम्मेदारों का ?

श्री सुनील गजभिए, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी, पांढुर्ना ने कृषक जगत को बताया कि उक्त मामला पूर्व एसएडीओ के समय का है, फिर भी शिकायतकर्ता को विभागीय सहयोग दिया जा रहा है। क्षतिग्रस्त फसल के विभागीय और बीमा कम्पनी प्रतिनिधि के संयुक्त निरीक्षण का प्रतिवेदन एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कम्पनी के क्षेत्रीय कार्यालय भोपाल भेजा गया है, जहाँ से कोई जानकारी अभी तक नहीं मिली है।

श्री विशाल नायक, एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कम्पनी, जिला प्रतिनिधि छिंदवाड़ा ने कृषक जगत को बताया कि प्राकृतिक आपदा से फसल के नुकसान होने पर बीमा कम्पनी के एप से या टोल फ्री नंबर से 72  घंटे के अंदर सूचना देना अनिवार्य है। एप से की गई शिकायत में डॉकेट नंबर मिलता है और टोल फ्री नंबर से सूचना देने पर कम्पनी द्वारा जवाब दिया जाता है। मुआवजे के लिए क्षेत्रीय वर्षा के आंकड़े, सर्वे, कृषि और राजस्व विभाग के फसल कटाई प्रयोग और प्रदेश शासन से प्राप्त वास्तविक उपज के आधार पर दावा गणना कर क्षतिपूर्ति राशि का भुगतान नियमानुसार पात्र कृषकों को किया जाता है। शिकायतकर्ता की कोई सूचना 72 घंटे में नहीं मिली है। यदि शिकायतकर्ता ने ई मेल से शिकायत की है तो उसका स्क्रीन शॉट भेज दें, चेक करवा लेते हैं।

 श्री कमलेश भोंगाड़े, एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कम्पनी, तहसील प्रतिनिधि पांढुर्ना ने कृषक जगत को बताया कि शिकायतकर्ता ने 72 घंटे में मुझे कोई लिखित सूचना नहीं दी है। खरीफ की बीमा पॉलिसियां बीमाधारक किसानों तक नहीं पहुँचने के सवाल का वे संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए।

भारती शाह, प्रबंधक, जिला सहकारी केंद्रीय बैंक, पांढुर्ना ने बताया कि शिकायतकर्ताओं के फसल बीमे का प्रीमियम हमारे यहां जमा हुआ था। श्री खोड़े ने अति वर्षा से हुए फसल नुकसान के बारे में बताया था। मैंने मुआवजे के लिए उन्हें कृषि और राजस्व विभाग से सम्पर्क करने की सलाह दी थी। बाद में इस बारे में मैंने बीमा कम्पनी के तहसील प्रतिनिधि को भी अवगत करा दिया था।

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