एमपी में पराली से होगा बिजली का उत्पादन, जानिये क्या है सरकार की योजना
31 जनवरी 2025, भोपाल: एमपी में पराली से होगा बिजली का उत्पादन, जानिये क्या है सरकार की योजना – जी हां ! मध्यप्रदेश में सरकार अब पराली से बिजली का उत्पादन करने की योजना बना रही है ताकि प्रदेश में पराली जलाने के कारण फैलने वाले प्रदूषण को रोका जा सके । बता दें कि प्रदेश की सरकार ने किसानों से कई बार खेतों में पराली न जलाने के लिए अनुरोध किया है लेकिन बावजूद इसके कतिपय किसानों द्वारा खेतों में पराली जलाई जाती है लेकिन अब सरकार ने नया रास्ता अपनाने का फैसला लिया है।
भोपाल सरकारी सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रदेश सरकार ताप विद्युत गृहों में कोयले के साथ पराली का उपयोग करने की योजना बना रही है। अगर यह प्रयोग सफल होता है तो कोयला खरीदी में होने वाले खर्च से 1250 करोड़ प्रति वर्ष की बचत राज्य सरकार को होगी। गौरतलब है कि देश में सर्वाधिक वन आवरण होने के बाद भी प्रदेश में प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है। हवा में प्रदूषण की बढ़ती मात्रा का कारण सडक़ की धूल, वाहन और उद्योगों के साथ-साथ पराली (नरवाई) जलाने है। स्थिति यह हो गई है कि पराली जलाने में मप्र ने पंजाब और हरियाणा को भी पीछे छोड़ दिया है। पर्यावरण विभाग के सचिव नवनीत मोहन कोठारी का कहना है कि प्रदूषण का एक कारण पराली भी है। किसान इसे न जलाएं, इसके लिए उन्हें जागरूक करने का काम कृषि विभाग के साथ-साथ जिला प्रशासन करता है। शहरी क्षेत्रों में प्रदूषण का बड़ा कारण सड़क की मिट्टी है। धूल से प्रदूषण 60 प्रतिशत तक होता है। किसानों द्वारा खेतों में पराली जलाने से होने वाला वायु प्रदूषण देश के कई हिस्सों में बड़ी समस्या है। वर्ष 2024 में सुप्रीम कोर्ट को भी इसमें दखल देना पड़ा था। अब मध्य प्रदेश इस दिशा में ठोस कदम उठाने जा रहा है। पराली का उपयोग बिजली बनाने में किया जाएगा। प्रदेश के ताप विद्युत गृहों में खपत होने वाले कोयले के सात प्रतिशत हिस्से के रूप में पराली का उपयोग किया जा सकेगा। इससे कोयला खरीदी में होने वाले खर्च से 1250 करोड़ रुपये प्रति वर्ष की बचत राज्य सरकार को होगी। किसानों को भी पराली के बदले निर्धारित कीमत के मान से राशि दी मिलेगी। वहीं पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण से लोगों को मुक्ति मिलेगी। डा. नवनीत मोहन कोठारी का कहना है कि ताप विद्युत गृहों में कोयले के वजन सात प्रतिशत तक पराली जलाई जा सकती है। प्रदेश में पराली के उपयोग से प्रति वर्ष 1250 करोड़ रुपये तक की बचत होगी। इस पर अमल करने के लिए कार्ययोजना तैयार की जा रही है।
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