राज्य कृषि समाचार (State News)

पिंक अमरूद की मांग, किसान ने बताए उत्पादन के फायदे

28 जनवरी 2025, भोपाल: पिंक अमरूद की मांग, किसान ने बताए उत्पादन के फायदे – अमरूद का स्वाद हर किसी को पसंद होता है और यही कारण है कि विशेषकर ठंड के सीजन में अमरूद की मांग अधिक होती है लेकिन क्या आप जानते है कि देश के किसान पिंक अमरूद का भी उत्पादन कर रहे है क्योंकि इस ताइवान किस्म के अमरूद की मांग अधिक है। आइए जानते है राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले के मर्मी गांव के किसान आशीष विजयवर्गीय ने पिंक अमरूद उत्पादन और इसके लाभ के बारे में जो महत्वपूर्ण जानकारी दी है। दरअसल वे स्वयं भी अमरूद की नर्सरी संचालित करते है।

करीब 3500 किसान जुड़े हुए हैं

आशीष ने बताया कि उन्होंने 2014 से नर्सरी की शुरुआत की थी। इस नर्सरी में अमरूद की उन्नत किस्मों पर काम करते हैं। अमरुद आज वर्तमान स्थिति में सबसे ज़्यादा बिकने वाला फल है। इसकी खेती किसी भी क्षेत्र में की जा सकती है। उनकी इस नर्सरी से भारत के अलग-अलग हिस्से से करीब 3500 किसान जुड़े हुए हैं। आशीष ने अपनी नर्सरी में बेर, अमरूद, आम, सीताफल, ड्रैगन फ्रूट, चीकू और मौसमी संतरा आदि फलदार पौधे लगाए हुए हैं। अमरूद की कई उन्नत किस्में बाजार में मिल जाती हैं। उन्होंने अपनी नर्सरी में एल 49, बर्फ का खान इन किस्मों के साथ नर्सरी की शुरुआत की। अभी ताइवान पिंक और रेड डायमंड उनकी नर्सरी में पौधे मिल जाएंगे। ताइवान पिंक बहुत जल्दी फल देने वाला फल होता है। इस किस्म में किसानों को साल भर में फल मिल जाता है। इससे किसान को अच्छी आमदनी होती है। अभी बाजार में  सबसे ज्यादा रेड डायमंड की है। अमरूद की खेती हर मिट्टी में की जा सकती है।

क्लोन प्रजाति वाला पौधा लेना चाहिए

अमरूद की ताइवान पिंक की किस्म का पौधा एक से डेढ़ फुट का आता है। इसमें किसानों को क्लोन प्रजाति वाला पौधा लेना चाहिए। ये पौधे कम फैलाव में ज्यादा उत्पादन देता है। अमरूद की प्रजाति पत्तों को देख कर पहचानी जा सकती है। ताइवान किस्म का पौधे में फल लगा आता है,लेकिन पौधे का पूरा विकास होने के लिए 1 साल तक लग जाता है।

अमरूद की वैरायटी में तीन से चार तरह के रोग

किसान अगर कीट और रोगों का नियंत्रण नहीं कर पाता है। इससे किसानों को  नुकसान उठाना पड़ता है। अमरूद की वैरायटी में तीन से चार तरह के रोग आते हैं। उन रोगों का समाधान करना जरूरी होता है। पहले रोग की बात की जाए तो निमेटोड है । इस रोग का लक्षण है कि जड़ में गांठ बन जाती है। इससे पौधे की ग्रोथ रुक जाती है। इसके इलाज के लिए वेलम प्राइम, कॉपर ऑक्सीक्लोराइड आता है। इन से किसान को निमेटोड का इलाज साल में एक बार करना चाहिए। अमरूद में दूसरी बीमारी मिलीबग आती है। इसके लिए किसान देसी तरीके से इलाज कर सकते हैं। किसान साबुन या डिटर्जेंट पाउडर के घोल का स्प्रे करना चाहिए। तीसरी बीमारी अमरूद में फल मक्खी लग जाती है। जब पेड़ में फल लगना चालू हो जाता है तब ये रोग लगता है इसके लिए किसान को कीटनाशक साइफर मैथिन, इमेडा का इस्तेमाल करना चाहिए।

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