राज्य कृषि समाचार (State News)

केंद्र ने मार्च 2026 तक गेहूं की स्टॉक सीमा की तय, अब व्यापारी 2000 मीट्रिक टन से अधिक नहीं रख पाएंगे गेहूं

29 अक्टूबर 2025, भोपाल: केंद्र ने मार्च 2026 तक गेहूं की स्टॉक सीमा की तय, अब व्यापारी 2000 मीट्रिक टन से अधिक नहीं रख पाएंगे गेहूं – भारत सरकार के उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत विशिष्ट खाद्य पदार्थों पर लाइसेंसी अपेक्षाएं, स्टॉक सीमाएं और संचलन प्रतिबंध हटाना (संशोधन) आदेश, 2025 जारी किया गया है। इस आदेश के अनुसार देशभर में गेहूं पर नई स्टॉक सीमा 31 मार्च 2026 तक के लिए लागू की गई है।

मध्यप्रदेश के खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने बताया कि भारत सरकार ने सभी राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों में गेहूं के लिए अधिकतम स्टॉक सीमा निर्धारित की है।

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थोक व्यापारी दो हजार टन ही रख पाएंगे गेंहू

मंत्री राजपूत ने बताया कि व्यापारी / थोक विक्रेता के अधिकतम स्टॉक सीमा 2000 मीट्रिक टन, प्रत्येक रिटेल आउटलेट के लिए 8 मीट्रिक टन, बिग चेन रिटेलर में प्रत्येक आउटलेट के लिए 8 मीट्रिक टन, बशर्ते अधिकतम मात्रा कुल दुकानों की संख्या 8 गुणा होना चाहिए। यह अधिकतम स्टॉक होगा जो उनके सभी रिटेल आउटलेट और डिपो पर एक साथ रखा जा सकता है। इसी प्रकार प्रोसेसर के लिए मासिक स्थापित क्षमता के 60 प्रतिशत को 2025-26 के शेष महीनों से गुणा के बराबर रखना होगा।

15 दिन में करना होगा अनुपालना

मंत्री  राजपूत ने बताया कि आदेश के तहत संबंधित विधिक इकाइयों को अपने स्टॉक की जानकारी खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के पोर्टल पर दर्ज करनी होगी। यदि किसी के पास निर्धारित सीमा से अधिक स्टॉक है, तो उसे अधिसूचना जारी होने की तारीख से 15 दिनों के भीतर निर्धारित सीमा तक लाना होगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा मध्यप्रदेश गेहूं (अधिकतम स्टॉक सीमा एवं स्टॉक घोषणा, नियंत्रण आदेश – संशोधन, 2025) का प्रारूप तैयार कर लिया गया है। इस आदेश के माध्यम से विभागीय और जिला प्रशासन के अधिकारी जांच तलाशी और अभिग्रहण की कार्यवाही करने में सक्षम होंगे।

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मंत्री राजपूत ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत सरकार द्वारा यदि भविष्य में स्टॉक सीमा की अवधि या मात्रा में कोई परिवर्तन किया जाता है, तो राज्य में वह संशोधन स्वतः प्रभावी हो जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना और अनावश्यक जमाखोरी व कृत्रिम मूल्य वृद्धि पर प्रभावी नियंत्रण सुनिश्चित करना है।

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