राज्य कृषि समाचार (State News)

पात्र किसानों की गुहार, ब्याज माफ करे सरकार

पांढुर्ना क्षेत्र के 805 किसानों की ऋण ब्याज माफी बाकी

26 दिसम्बर 2023, पांढुर्ना(उमेश खोड़े, पांढुर्ना): पात्र किसानों की गुहार, ब्याज माफ करे सरकार – मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा ‘मुख्यमंत्री कृषक ब्याज माफी योजना -2023 के तहत किसानों के सहकारी समितियों के 2 लाख रु तक के बकाया फसल ऋण पर ब्याज राशि माफ करने के साथ ही खरीफ सत्र में किसानों को खाद -बीज के लिए तत्काल पात्रता की घोषणा की गई थी, जिसका पालन भी किया गया, लेकिन पांढुर्ना क्षेत्र में ऐसे कई पात्र किसान हैं, जिनकी फसल ऋण की ब्याज राशि अभी तक माफ नहीं हुई है। ऐसे पात्र किसानों ने म.प्र. के नए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से फसल ऋण की ब्याज राशि तुरंत माफ करने की गुहार लगाई है।

805 किसानों की ब्याज माफी बाकी –  जिला सहकारी केंद्रीय बैंक, शाखा पांढुर्ना के अधीन 8 सहकारी समितियां पांढुर्ना, घनपेठ, पारडी, राजोराकला, लेंढोरी, सिल्लेवारी, राजोराकला और मोरडोंगरी आती हैं, जहाँ से क्षेत्र के किसान खरीफ और रबी फसल से पूर्व खाद -बीज ऋण पर खरीदते हैं ,जिसका ब्याज किसान को देना पड़ता है। लेकिन खरीफ फसल से पूर्व तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा ‘मुख्यमंत्री कृषक ब्याज माफी योजना -2023Ó के अंतर्गत किसानों के सहकारी समितियों के 2 लाख रु. तक के बकाया फसल ऋण पर घोषणा अनुसार कई पात्र किसानों की ब्याज राशि माफ भी कर दी गई, फिर भी पांढुर्ना क्षेत्र के कई  किसान ऐसे हैं जिनकी ब्याज राशि अभी तक माफ नहीं हुई है। पांढुर्ना सहकारी बैंक की 8 समितियों में कुल 2078 किसानों में से 1273 किसानों की ब्याज माफी हुई, जबकि 805 किसानों की 1 करोड़ 65 लाख 77 हज़ार 162 रु की ब्याज माफी होना बाकी है।

किसानों की ज़ुबानी – पांढुर्ना तहसील के किसान श्री महेश गुणवंतराव बांबल, श्री नारायण गोविंदा घोड़े, श्री राघो झिंगु कोल्हे, श्री रमेश नानकराम खेतल, श्री राजेश मारोतराव खोड़े, श्री शंकर जंगल्या बालपांडे, श्रीमती इंदु बाई शंकरराव जुननकर ने कृषक जगत को बताया कि पात्र होने के बावजूद फसल ऋण पर हमारी ब्याज राशि अभी तक माफ नहीं हुई है और न ही कोई कारण बताया है। इस कारण चिंता बनी रहती है। सरकार को शेष बचे किसानों की ऋण ब्याज माफी शीघ्र करनी चाहिए। वहीं धावड़ीखापा के श्री मंसाराम झोट्या ने कहा कि मेरी भी ऋण ब्याज की माफी नहीं हुई है। पहले 2018 में मेरी संतरा एवं अन्य फसल की क्षतिपूर्ति की राशि भी 26 सितंबर 2019 को ही बैंक में आ गई थी, लेकिन किसानों में नहीं बँटी थी। इसके लिए भी मेरे बेटे ने दो साल तक सतत संघर्ष किया तब जाकर 2021 में संतरा फसल का 14052 रु. और अन्य फसल का 16158 रु का मुआवजा मिल पाया था। लेकिन उसमें भी पांढुर्ना समिति वालों ने क्लेम की राशि में से ब्याज काट लिया ,जबकि इस राशि को मूल राशि में जमा किया जाना था। गलत गणना से मुझे 30 हज़ार से अधिक का नुकसान हुआ था। ऐसे में ऋण ब्याज माफी का क्या मकसद रहा? जबकि ब्याज की राशि तो सरकार समिति को दे ही रही थी। समिति ने मेरे खाते में भी कई त्रुटियाँ कर रखी है, जो अभी भी ठीक नहीं हुई है। ऋण ब्याज माफी की सीमा दो लाख निर्धारित थी। मेरे खाते में ऋण राशि दो लाख से अधिक बताकर मुझे अपात्र बता दिया। इस मामले में भी मेरे बेटे ने समिति से सतत संपर्क और पत्राचार कर वास्तविक तथ्य रखे तब मुझे ऋण ब्याज माफी के दायरे में लिया गया।

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