State News (राज्य कृषि समाचार)

70 लाख टन गेहूं निर्यात की संभावना

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15 मार्च 2022, इंदौर । 70 लाख टन गेहूं निर्यात की संभावना रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण  वैश्विक बाजार में गेहूं की मांग बढ़ गई है। भारत अब तक 66 लाख टन गेहूं का निर्यात  कर चुका है,जो कि एक कीर्तिमान है। गत दिनों केंद्रीय खाद्य सचिव श्री सुधांशु पांडे ने जानकारी देते हुए बताया कि चालू रबी सीजन में गेहूं की रिकार्ड पैदावार होगी। आगामी अप्रैल से नया गेहूं बाजार में आ जाएगा। अनुमान है कि चालू सीजन में 70 लाख टन से अधिक गेहूं का निर्यात हो सकता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गेहूं 25 रुपये प्रति किलो के भाव चल रहा है, जिससे भारतीय गेहूं की मांग बढ़ रही है। आगामी खरीद सीजन में खुले बाजार से किसानों को बेहतर मूल्य प्राप्त हो सकता है। इंदौर मंडी में आज गेहूं का न्यूनतम भाव 1500 और अधिकतम भाव 2542 रु /क्विंटल रहा। इस हिसाब से किसानों को गेहूं का खुले बाज़ार में समर्थन मूल्य से अधिक दाम मिल रहा है। आगामी 25 मार्च से  उपार्जन केंद्रों पर गेहूं की समर्थन मूल्य पर खरीदी शुरू हो जाएगी। यदि तब भी खुले बाज़ार में गेहूं के दामों में तेज़ी रही तो किसान समर्थन मूल्य पर गेहूं की बिक्री के लिए पंजीयन कराने के बाद भी खुले बाज़ार में अपनी गेहूं उपज को बेचने में रूचि लेंगे, क्योंकि दाम में बहुत अंतर है। इस वर्ष गेहूं का समर्थन मूल्य 2015 रु प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है।

केंद्रीय खाद्य सचिव के अनुसार रूस और यूक्रेन के मौजूदा संकट के कारण आपूर्ति  में असर की आशंका के बाद गेहूं की कीमतों में तेजी आ गई है और यह 24 हजार से 25 हजार रुपये टन के स्तर पर पहुँच गई है, साथ ही देश से गेहूं के निर्यात में भी तेजी देखी जा रही है। फरवरी के अंत तक 66 लाख टन गेहूं का निर्यात कर चुके हैं,जो कि एक रिकार्ड है। इस वित्त वर्ष में 70 लाख टन तक निर्यात होने की संभावना है। 2021-22 के फसल वर्ष में भारत का गेहूं उत्पादन रिकॉर्ड 11.1 करोड़ टन हो सकता है। पिछले वर्ष देश में 10.9 करोड़ टन गेहूं का उत्पादन हुआ था।

श्री पाण्डे ने बताया कि  विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्लूएफपी) के तहत भारत ने अफगानिस्तान को मानवीय सहायता के रूप में  50 हज़ार टन गेहूं की आपूर्ति की है। खाद्य मंत्रालय की खुले बाजार की बिक्री योजना (ओएमएसएस) में पुनः संशोधन किया है। कोरोना के दौरान लोगों की सुविधा को देखते हुए सरकार ने परिवहन खर्च को खुद वहन करने का फैसला किया था। लेकिन अब स्थितियों में सुधार आने के बाद इसे फिर से बहाल कर दिया गया है, अर्थात  भारतीय खाद्य निगम के गोदाम से गेहूं उठाने पर गंतव्य तक ले जाने का खर्च व्यापारिक प्रतिष्ठान को उठाना होगा।

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