पंजाब में खेतों की आग और तापमान गिरावट से बढ़ा प्रदूषण, AQI खतरनाक स्तर पर पहुंचा
16 नवंबर 2024, नई दिल्ली: पंजाब में खेतों की आग और तापमान गिरावट से बढ़ा प्रदूषण, AQI खतरनाक स्तर पर पहुंचा – पंजाब में प्रदूषण का स्तर खतरनाक हो गया है। अमृतसर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 334 पर पहुंच गया है, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है। खेतों में पराली जलाने के मामले 509 तक बढ़ गए हैं, क्योंकि किसान गेहूं की बुआई की तैयारी कर रहे हैं।
राज्य में घने स्मॉग की चादर छाई हुई है, जिससे दृश्यता घट गई है और सुबह के समय रेल और सड़क यातायात पर असर पड़ा है।
प्रमुख शहरों की AQI स्थिति:
- मंडी गोबिंदगढ़: 312 (‘बहुत खराब’)
- पटियाला: 240 (‘खराब’)
- जालंधर: 215 (‘खराब’)
- लुधियाना: 211 (‘खराब’)
- खन्ना: 210 (‘खराब’)
- बठिंडा और रोपड़: 147 और 182 (‘मध्यम’)
पराली जलाने की बढ़ती घटनाएं:
पंजाब और हरियाणा में अक्टूबर-नवंबर के दौरान धान की कटाई के बाद खेतों में पराली जलाने को वायु प्रदूषण के बढ़ने का प्रमुख कारण माना जाता है। किसानों के पास गेहूं की बुआई के लिए समय कम होने के कारण फसल अवशेष जलाना आसान उपाय माना जाता है।
मंगलवार को पराली जलाने की 83 घटनाएं दर्ज की गई थीं, लेकिन बुधवार को ये संख्या अचानक बढ़कर 509 हो गई। इस सीजन में अब तक कुल 7,621 घटनाएं दर्ज की जा चुकी हैं।
- फिरोजपुर और फरीदकोट: 91-91 घटनाएं
- मोगा: 88 घटनाएं
- मुक्तसर: 79 घटनाएं
- बठिंडा: 50 घटनाएं
अन्य कारण भी जिम्मेदार:
पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PPCB) के एक अधिकारी ने कहा कि पराली जलाने को अकेले खराब AQI के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।
उन्होंने बताया, “दीवाली के बाद प्रदूषण का स्तर बढ़ा है। सुबह के समय तापमान में अचानक गिरावट भी स्मॉग और खराब वायु गुणवत्ता का मुख्य कारण है। हालांकि, आने वाले दिनों में बारिश प्रदूषण के स्तर को कम करने में मदद करेगी।”
राज्य सरकार का रुख:
पंजाब कृषि निदेशक जसवंत सिंह ने कहा कि राज्य सरकार पराली जलाने की स्थिति पर रोजाना नजर रख रही है।
उन्होंने कहा, “हमारा अनुमान है कि अभी 9% धान की कटाई बाकी है। हमारी टीमें जमीन पर मौजूद हैं और समय पर आग बुझाने और कानूनी कार्रवाई करने में लगी हुई हैं।”
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि धान की कटाई के अंतिम चरण में किसान गेहूं की बुआई के लिए जल्दी कर रहे हैं, जिससे पराली जलाने की घटनाएं बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा, “फील्ड टीमों को निर्देश दिए गए हैं कि वे उन किसानों से संपर्क करें, जिनकी फसल कटाई बाकी है, ताकि आने वाले महीनों में पराली जलाने के मामलों को कम किया जा सके।”
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