केवीके कर्मचारियों का भविष्य संकट में, आईसीएआर की नीतियों पर गंभीर आरोप
15 नवंबर 2024, भोपाल: केवीके कर्मचारियों का भविष्य संकट में, आईसीएआर की नीतियों पर गंभीर आरोप – मध्य प्रदेश के कृषि विज्ञान केंद्र; केवीकेद्ध कर्मचारियों के भविष्य पर गहराते संकट को लेकर केवीके कर्मचारी कल्याण संघ ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद; आईसीएआरद्ध की नीतियाँ को लेकर कड़ी आपत्ति जतायी है।
संघ ने अरोप लगाया है कि आईसीएआर की पक्षपातपूर्ण नीतियों और कथात तानाशाही रवैयों के चलते केविके केंद्रों का अस्तित्व और इनमें कार्यरत कर्मचारियों का भविष्य खतरे में आ गया है।संघ द्वारा जारी मांगपत्र में इस गंभीर स्थिति के निराकरण के लिए कई आविष्कारक मांगे राखी गई हैं।
प्रमुख मांगेंरू
एसोसिएशन ने केवीके के कर्मचारियों की सुरक्षा और हितों के लिए 15 सूत्रीय मांगें पेश की हैंए जिनमें प्रमुख रूप से निम्नलिखित शामिल हैंरू
- अवैध और अप्रासंगिक आदेशरू केवीके कर्मचारी संघ ने मांग की है कि आईसीएआर द्वारा जारी किए गए अप्रासंगिक आदेशों को तुरंत रद्द किया जाए।
- वेतन भत्तों में कटौतीरू विगत दो वर्षों से हो रही वेतन भत्तों की कटौती को बंद किया जाए और लंबित राशि को तुरंत जारी किया जाए।
- स्वास्थ्य भत्ताए ग्रेच्युटीए और पेंशनरू कर्मचारियों का मान्य अधिकार माने जाने वाले चिकित्सा भत्ताए अवकाश नकदीकरणए ग्रेजुएटी और पेंशन ;एनपीएसध्ओपीएसद्ध बहाल किए जाएं।
- उच्च न्यायालय के निर्देशों का पालनरू जबलपुर उच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन करते हुए कर्मचारियों को वेतन और अन्य भत्तों का भुगतान सुनिश्चित किया जाए।
- परोदा समिति की सिफारिशें लागूरू डॉण् आर एस परोदा की अध्यक्षता में गठित उच्च समिति की सिफारिशें लागू कर केवीके कर्मचारियों की सेवा शर्तों में एकरूपता लाई जाए।
- वेतन भुगतान समय पर सुनिश्चितरू जेएनकेवीवी द्वारा संचालित केवीके केंद्रों में कर्मचारियों को प्रतिमाह समय पर वेतन भुगतान किया जाए।
कृषि विज्ञान केंद्रों का महत्व और चुनौतियाँ
कृषि विज्ञान केंद्रए भारत की सबसे बड़ी कृषि विस्तार प्रणाली के रूप में किसानों को तकनीकी और वैज्ञानिक सहायता प्रदान करते हैं। मध्य प्रदेश में 52 जिलों में कुल 54 केवीके संचालित हैंए जो राज्य कृषि विश्वविद्यालयोंए गैर.सरकारी संगठनों और आईसीएआर के अधीन हैं। इन केंद्रों का कार्य किसानों को आधुनिक टिकाऊ कृषि तकनीकों से जोड़नाए जलवायु के अनुरूप प्रौद्योगिकियों का परीक्षण और प्रशिक्षण आदि शामिल हैं। इन केंद्रों के माध्यम से प्रदेश में किसान आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ी प्रगति कर रहे हैं।
कर्मचारियों की समस्याएं और मांगें
केवीके कर्मचारियों का कहना है कि पिछले कई वर्षों से उन्हें मिलने वाले बुनियादी लाभों में कटौती की जा रही हैए और हाल ही में आईसीएआर द्वारा जारी आदेश के अनुसारए केवल 60 वर्ष तक के कर्मचारियों को महंगाई और गृह भत्ता देने की बात कही गई है। संघ ने इसे असंवैधानिक बताते हुए इसे वापस लेने की मांग की है।
संघ ने इस बात पर भी जोर दिया कि केवीके के कर्मचारीए चाहे किसी भी संगठन के अधीन होंए समान जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे हैं और भारत सरकार द्वारा 100 प्रतिशत वित्त पोषित इस योजना के तहत सभी कर्मचारियों के लिए एक जैसी सुविधाएं होनी चाहिए।
संकट से निपटने के लिए तत्काल हस्तक्षेप की मांग
केवीके कर्मचारी संघ ने चेतावनी दी है कि यदि इस मामले में समय रहते हस्तक्षेप नहीं किया गया तो न केवल इन केंद्रों का अस्तित्व संकट में आ जाएगा बल्कि देश की कृषि अर्थव्यवस्था और किसानों के हितों पर भी गंभीर प्रभाव पड़ेगा। संघ ने राज्य सरकार और केंद्र सरकार से अपील की है कि वे इस मामले में तत्काल कदम उठाएं और किसानों के इस अहम नेटवर्क को बचाएं।
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