State News (राज्य कृषि समाचार)

अच्छी फसल ने तीखी मिर्च को मीठी बना दिया

Share

निमाड़ मिर्ची की ब्रांडिंग को लेकर मिर्च उत्पादकों, व्यापारियों में उत्साह

इस साल मिर्च की भरपूर फसल आने से खरगोन के कसरावद के जामखेड़ा गांव के श्री संतोष अनोक चंद्र जैसे कई किसानों के लिये मिर्च तीखी नहीं मीठी साबित हुई है।

मध्यप्रदेश के खरगोन जिले के सनावद के पास एशिया की दूसरी सबसे बड़ी मिर्च मंडी बेडिय़ा में इस बार अब तक 2.71 लाख क्विंटल की आवक हो चुकी है। इसका मूल्य 202 करोड़ है।

निमाड़ की मिर्च रंग और तीखेपन के कारण अपनी विशिष्ट पहचान बना चुकी है। देश के भीतर और कई एशियाई देशों विशेष रूप से चीन, बांग्लादेश, श्रीलंका, वियतनाम, थाईलैंड और यूएई में भी भेजी जा रही हैं। खरगोन, धार, खंडवा, बड़वानी, अलीराजपुर जैसे जिलों से बड़ी मात्रा में मिर्च का उत्पादन होता है। मिर्ची उत्पाद किसान निमाड़ी मिर्च की ब्रांडिग को लेकर उत्साहित हैं और मानते हैं कि इससे मिर्च बाजार में अच्छे दाम मिलेंगे।

श्री संतोष अनोक चंद्र ने इस बार पीली मिर्च लगाई है जो लाल मिर्च से ज्यादा दाम में बिकती है। वे बताते हैं कि जामखेड़ा के 95 प्रतिशत किसान मिर्च लगाते हैं। अच्छी फसल होने पर चार से पांच लाख प्रति एकड़ तक मिल जाते हैं। तेजा और माही ज्यादा पसंद की जाती है। पीली मिर्च का भाव ज्यादा है। वे बताते हैं कि इस बार पाँच- छह एकड़ में मिर्च लगाई है। इस बार मौसम अच्छा था। फसल बहुत अच्छी आई। मिर्च तुड़ाई मंहगी पड़ती है। कुशल कारीगर ही यह काम करता है और पांच से छह रूपये प्रति किलो तुड़ाई लेता है। निमाड़ी मिर्च के रूप में ब्रांडिंग करने के विचार का स्वागत करते हुए संतोष कहते हैं कि यह किसानों के हित में बड़ा कदम होगा।

भीकनगांव के श्री कमलचंद रामलाल कहते हैं कि करीब 80 किसानों नेे मिर्च लगाई है। एक किसान औसत दस एकड़ में फसल लेता है। इस बार रेट अच्छे मिलने से चार लाख प्रति एकड़ से दाम मिल जायेंगे। ज्यादातर ने माही किस्म लगाई है। कुछ ने वीनस लगाई है। दोनों अच्छी हैं। इस साल अच्छी फसल हुई है। वे कहते हैं कि निमाड़ क्षेत्र के हवा, पानी और मिट्टी में ऐसी कुछ विशेषता है कि यहां उगने वाली सभी किस्म की मिर्च तीखी और सुर्ख लाल रंग की होती है। वे कहते हैं कि मिर्च तीखी होती है लेकिन अब अच्छी फसल होती है तो हमारे लिये मीठी हो जाती है।

एक्सपोर्ट ट्रेनिंग मिली

मुंबई के मिर्च और उद्यानिकी फसलों के निर्यात से जुड़े श्री आयुष बियानी का कहना है कि निमाड़ी मिर्ची की भौगोलिक पहचान का प्रमाण-पत्र लेना व्यापार के लिहाज से जरूरी कदम है। इससे मिर्च के व्यापार पर अच्छा असर पड़ेगा साथ ही किसानों को और भी अच्छे दाम मिलेंगे।

श्री बियानी कहते हैं कि निमाड़ के मिर्ची उत्पादक किसानों को निर्यात से जुड़ी प्रक्रियाओं और निर्यात लायक उत्पाद खुद तैयार करने का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।

तीन दशकों से खरगोन और इंदौर में मिर्ची के व्यापार में सक्रिय फर्म एआर ट्रेडर्स के मालिक श्री अब्दुल रहीम का कहना है कि निमाड़ की मिर्च को भौगोलिक पहचान मिलने से बाजार में इसका मूल्य बढ़ेगा। वे कहते हैं कि निमाड़ में पैदा होने वाली मिर्च तीखेपन को लेकर जानी पहचानी जाती है। यह आंध्रप्रदेश की मिर्च से भी ज्यादा तीखी है। निमाड़ी मिर्च की निर्यात की संभावनाओं की चर्चा करते हुए श्री अब्दुल रहीम कहते हैं कि यहां की मिर्च चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश श्री लंका, सउदी अरेबिया और मलेशिया तक जाती है।

खरगोन के मंडी सचिव श्री रामवीर किरार मिर्च की विशेषता के बारे में बताते हैं कि रंग, लंबाई, गंध और तीखापन से गुणवत्ता तय होती है। निमाड़ की मिर्च में रंग और तीखापन दोनों ही ज्यादा होता है। वे बताते हैं कि मिर्च उत्पादक किसानों में मिर्च उत्पादन के आधुनिक तौर तरीकों की ओर रूझान हुआ है। बड़े किसान भी कम से कम 50 प्रतिशत हिस्से में मिर्च लगा लेते हैं। छोटे रकबे वाले किसानों के लिये तो मिर्च वरदान साबित हो रही है। फिलहाल मंडी रेट 120 – 130 रूपये प्रति किलो चल रहा है।

Share
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *