यूरिया का उत्पादन 12 प्रतिशत बढ़ा, अधिक उत्पादन-स्थिर बिक्री से पर्याप्त आपूर्ति होगी सुनिश्चित
खरीफ सीजन में यूरिया की मांग होगी बढ़ोत्तरी
14 फरवरी 2024, नई दिल्ली: यूरिया का उत्पादन 12 प्रतिशत बढ़ा, अधिक उत्पादन-स्थिर बिक्री से पर्याप्त आपूर्ति होगी सुनिश्चित – वित्त वर्ष 2023-24 के पहले नौ महीनों में भारत का यूरिया उत्पादन करीब 12 प्रतिशत अधिक बढ़ा है, जबकि आयात पिछले साल से थोड़ा कम रहा है और उर्वरक की बिक्री स्थिर रही है।
सूत्रों का कहना हैं कि यूरिया के अधिक उत्पादन और स्थिर बिक्री के चलते आने वाले महीनों में पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित होगी।
उद्योग जगत से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि दिसंबर तक यूरिया का उत्पादन बढ़ने, आयात की अच्छी गति बने रहने और बिक्री स्थिर रहने से आने वाले महीनों में कुछ अतिरिक्त उर्वरक रह सकता हैं।
खरीफ में बढ़ेगी यूरिया की मांग
मानसून की शुरूआत के साथ मई और जून में 2024 के खरीफ सीजन में यूरिया की मांग में बढ़े पैमाने पर बढ़ोत्तरी हो सकती है। उद्योग से जुड़े कुछ कारोबारियों द्वारा साझा किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि 2023-24 के पहले 9 महीनों के दौरान म्यूरेट ऑफ पोटाश (एमओपी) का आयात पिछले साल की समान अवधि की तुलना में करीब 59 प्रतिशत बढ़ा है, जबकि बिक्री में गिरावट आई है। जानकारो का कहना हैं कि इसके कारण उद्योग के कारोबारियों के पास स्टॉक जमा हो सकता है।
एमओपी के आयात में 46 फीसदी गिरावट
एमओपी के आयात मूल्य में 46 प्रतिशत की तेज गिरावट हुई, जिसका पूरी तरह से आयात किया जाता है। इस वित्त वर्ष में अप्रैल 2023 से दिसंबर 2023 के बीच कीमत 590 डॉलर प्रति टन से घटकर 319 डॉलर प्रति टन हो गई थी, जो आयात बढ़ने की एक वजह हो सकती है।
डीएपी व एमओपी की कितनी हैं कीमत
उद्योग से जुड़े सूत्रों ने कहा कि अधिक खुदरा मूल्य के कारण पिछले कुछ समय से एमओपी की बिक्री लगातार घट रही थी। एनबीएस के दौर में अन्य पोषक तत्वों की तुलना में पोटाश पर कम सब्सिडी होने के कारण पिछले कुछ समय से एमओपी की खुदरा कीमत काफी समय से बढ़ी हुई हैं। आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि अक्टूबर से मार्च के दौरान पोटाश पर प्रति किलो सब्सिडी इसके पहले के अप्रैल से सितंबर की अवधि की तुलना में करीब 84 प्रतिशत कम रही है। जहां किसान को डीएपी की बोरी पर 1,350 रूपये खर्च करने पड़ते हैं। वही एमओपी की एक बोरी की कीमत ,500 से 1,600 रुपये के आसपास पड़ती है।
वित्त वर्ष 2024 में वास्तविक सब्सिडी 2,00,000 करोड़ रूपये हो सकती हैं, जिसका 1,75,000 करोड़ रूपये रहने का अनुमान लगाया था। वित्त वर्ष 2024 के संशोधित अनुमान में उर्वरक सब्सिडी 1,89,000 करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया है, जो वित्त वर्ष 23 के बजट अनुमान से करीब 8 प्रतिशत अधिक है। उद्योग के जानकारों का मानना है कि वित्त वर्ष 24 में यूरिया की कुल खपत पिछले साल के लगभग बराबर करीब 350 से 360 लाख टन रह सकती है।
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