National News (राष्ट्रीय कृषि समाचार)

‘प्रति बूंद अधिक फसल’ पर एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला संपन्न

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01 जून 2023, नई दिल्ली: ‘प्रति बूंद अधिक फसल’ पर एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला संपन्न – नई दिल्ली में “प्रति बूंद अधिक फसल (पी डी एम सी)” पर एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजनबुधवार को किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन श्री मनोज आहूजा, सचिव, कृषि और किसान कल्याण विभाग (डी ए एंड एफ डब्ल्यू) ने किया। इस कार्यक्रम में केंद्र सरकार, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश के विभिन्न मंत्रालयों/विभागों के प्रतिभागी, सिंचाई उद्योग, जल प्रबंधन क्षेत्र में काम करने वाले स्टार्टअप और किसान उत्पादक संगठन के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

श्री आहूजा ने कार्यक्रम के कार्यान्वयन में प्रौद्योगिकियों को अपनाने और सूक्ष्म सिंचाई कवरेज को बढ़ाने पर जोर दिया, ताकि इसके द्वारा देश की खाद्य और पोषण सुरक्षा तथा किसानों की आय में वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए कृषि और विशेष रूप से वर्षा सिंचित क्षेत्रों में जल उत्पादकता में वृद्धि की जा सके। कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (डी ए आर ई) के सचिव डॉ. हिमांशु पाठक ने भी उद्घाटन सत्र को संबोधित किया। उन्होंने सभी प्रतिभागियों से आग्रह किया कि वे कृषि क्षेत्र में जल के उपयोग को कम करने के लिए बड़े पैमाने पर सूक्ष्म सिंचाई को अपनाने के लिए प्रयास करें।

कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री फ्रेंकलिन एल खोबंग ने प्रतिबूंद अधिक फसल (पी डी एम सी) योजना में अब तक हुई प्रगति के बारे में विस्तार से बताया। यह बताया गया कि कृषि एवं किसान कल्याण विभाग (डीए एंड एफ डब्ल्यू) देश के सभी राज्यों में 2015-16 से प्रति बूंद अधिक फसल (पी डी एम सी) की केंद्र प्रायोजित योजना लागू कर रहा है, जो सूक्ष्म सिंचाई अर्थात ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली के माध्यम से खेत स्तर पर जल उपयोग दक्षता बढ़ाने पर केंद्रित है। 2015-16 से अब तक सूक्ष्म सिंचाई के तहत 78 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया गया है, जो कि (पी डी एम सी) पूर्व के 8  वर्षों के दौरान कवर किए गए क्षेत्र से लगभग 81% अधिक है। सरकार कृषि में जल उत्पादकता बढ़ाने और इस प्रकार टिकाऊ कृषि और किसानों की आय पर ध्यान केंद्रित कर रही है। वर्ष 2018-19 के दौरान नाबार्ड के साथ 5000 करोड़ रुपये के कोष के साथ एक सूक्ष्म सिंचाई कोष (एम आई एफ) बनाया गया, जिसका प्रमुख उद्देश्य प्रति बूंद अधिक फसल योजना के तहत उपलब्ध प्रावधानों के अलावा सूक्ष्म सिंचाई को प्रोत्साहित करने के लिए किसानों को टॉप अप/अतिरिक्त सहायता उपलब्ध कराने हेतु संसाधनों को जुटाने मे राज्यों को सुविधा प्रदान की जा सके और साथ ही सूक्ष्म सिंचाई के विस्तार हेतु सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) में परियोजनाओं सहित नवाचारी एकीकृत परियोजनाओं को शामिल किया जा सके। सूक्ष्म सिंचाई कोष के प्रारंभिक कोष को 5,000 करोड़ से अतिरिक्त बढा कर दो गुना करने के लिए एक बजट घोषणा की गई है। इस दौरान श्री खोबंग ने पी डी एम सी योजना के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए संशोधित दिशानिर्देशों के मसौदे पर हितधारकों के साथ चर्चा की। चर्चा के दौरान, उन्होंने योजना के सफल कार्यान्वयन में विभिन्न हितधारकों की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कार्यान्वयन प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने और योजना के उद्देश्यों को प्राप्त करने में सूक्ष्म सिंचाई उद्योगों की भूमिका और राज्य/संघराज्य क्षेत्र की सरकारों द्वारा कदम उठाने की आवश्यकता पर बल दिया।

कार्यक्रम के दौरान, आंध्र प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र और तमिलनाडु राज्यों की पांच ग्राम पंचायतों को उच्च सूक्ष्म सिंचाई अपनाने और जल प्रबंधन क्षेत्र में उत्तम प्रयासों हेतु सम्मानित किया गया। इसके अलावा, सूक्ष्म सिंचाई में अग्रणी राज्यों ने सूक्ष्म सिंचाई कवरेज और किसानों के बीच उनकी लोकप्रियता को बढ़ाने के लिए अपने राज्यों में अपनाई जा रही परिपाटियों और नवीन तरीकों को साझा किया। जलशक्ति मंत्रालय के विशेषज्ञों ने सिंचित कमांड में सूक्ष्म सिंचाई को शामिल करने की आवश्यकता और रणनीतियों के साथ-साथ भू जल प्रबंधन और चिरन्तरता में इस की प्रभावशीलता पर जोर दिया। नाबार्ड के प्रतिनिधि ने देश में सूक्ष्म सिंचाई के विस्तार के लिए उपलब्ध विभिन्न वित्तपोषण विकल्पों के बारे में विस्तार से बताया। सूक्ष्म सिंचाई उद्योग के सदस्यों ने इस राष्ट्रीय प्राथमिकता कार्यक्रम में सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों के लिए अपना सक्रिय समर्थन व्यक्त किया।

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