राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

MSP से जुड़ी नई खबर! रबी फसलों की खरीद पर सरकार ने क्या कहा?

26 मार्च 2025, नई दिल्ली: MSP से जुड़ी नई खबर! रबी फसलों की खरीद पर सरकार ने क्या कहा? – भारत में रबी फसलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई तकनीकी कदम उठा रही है। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के मुताबिक, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा और पोषण मिशन (एनएफएसएनएम) के तहत 28 राज्यों और जम्मू-कश्मीर व लद्दाख जैसे 2 केंद्र शासित प्रदेशों में किसानों को मदद दी जा रही है। इसमें बेहतर बीज, कीट प्रबंधन, जल संरक्षण उपकरण और प्रशिक्षण जैसे कदम शामिल हैं। इसका नतीजा यह हुआ कि 2024-25 में रबी फसलों का क्षेत्रफल 551.11 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 565.46 लाख हेक्टेयर हो गया, यानी 14.35 लाख हेक्टेयर की बढ़ोतरी दर्ज की गई।

किसानों को आर्थिक सहारा देने के लिए सरकार “संशोधित ब्याज अनुदान योजना” के जरिए किसान क्रेडिट कार्ड पर सस्ती ब्याज दरों वाला कर्ज मुहैया करा रही है। साथ ही, फसल बीमा को आसान बनाने के लिए राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल (एनसीआईपी) शुरू किया गया है, जो ऑनलाइन नामांकन और डेटा प्रबंधन का काम करता है। दावों की निगरानी के लिए डिजीक्लेम मॉड्यूल लॉन्च हुआ है, जबकि शिकायतों के निपटारे के लिए जिला और राज्य स्तर पर समितियां बनाई गई हैं। इसके अलावा, कृषि रक्षक पोर्टल और हेल्पलाइन नंबर 14447 भी किसानों के लिए शुरू किए गए हैं। तकनीक के क्षेत्र में यस-टेक, मौसम डेटा सिस्टम (डब्ल्यूआईएनडीएस) और एआईडीई ऐप जैसे कदम भी उठाए गए हैं।

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सहकारी क्षेत्र में अनाज भंडारण को मजबूत करने के लिए 31 मई 2023 को एक बड़ी योजना को मंजूरी दी गई थी। इसके तहत प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पीएसीएस) के स्तर पर गोदाम, कस्टम हायरिंग सेंटर और प्रसंस्करण इकाइयां बनाई जा रही हैं। रेलवे और भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के बीच बेहतर तालमेल से खाद्यान्न को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने में मदद मिल रही है।

रबी की छह मुख्य फसलों की खरीद का इंतजाम भी सरकार ने किया है। गेहूं और जौ की खरीद एफसीआई और राज्य एजेंसियां करती हैं, जबकि दालें (चना, मसूर) और तिलहन (रेपसीड/सरसों, कुसुम) की खरीद पीएम-आशा योजना के तहत तब होती है, जब बाजार में कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से नीचे चली जाती हैं।

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यह जानकारी कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने मंगलवार को लोकसभा में एक लिखित जवाब में दी। हालांकि, इन कदमों का जमीनी स्तर पर कितना असर हो रहा है, यह किसानों के अनुभव और आने वाले आंकड़ों से ही साफ होगा।

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