पोकरण में मूंगफली की वैज्ञानिक पद्धति से अधिक पैदावार लेने की दी जानकारी
01 अक्टूबर 2022, नई दिल्ली: पोकरण में मूंगफली की वैज्ञानिक पद्धति से अधिक पैदावार लेने की दी जानकारी – राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत कृषि विज्ञान केन्द्र पोकरण द्वारा मूंगफली की उन्नत किस्म जी.जे.जी. 19 पर नाचना ग्राम पंचायत में प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन किया जिसमें 33 कृषकों ने भाग लिया । केन्द्र के सस्य वैज्ञानिक डॉ. कृष्ण गोपाल व्यास ने फसल में खाद की उचित मात्रा, उन्नत बीज, उर्वरकों की संतुलित मात्रा, सिंचाई तथा सूक्ष्म तत्व प्रबंधन, अन्य सस्य क्रियाओं तथा खरपतवार नियंत्रण आदि पर विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान की। बीज को बुवाई से पहले एफ.आई.आर. तकनीक से उपचारित करके ही काम में लेना चाहिए इससे बीज एवं जमीन जनित कीटों और रोगों से फसल को बचाया जा सकता है। कीटों में दीमक और सफेद लट के प्रकोप से फसल को बचाने के लिए बीज उपचार के अलावा खड़ी फसल में सिंचाई के साथ क्लोरपायरीफोस दवा का उपयोग करना तथा जड़ गलन रोग की समस्या के लिए मेन्कोजेब फफूंदनाशी दवाई से जड़ क्षेत्र में ढ्रेंचिंग करने के बारे में बताया। मूंगफली की फसल से अधिक पैदावार के लिए इसमें बुवाई के 20-30 दिनों की अवस्था पर निराई-गुड़ाई करें और 35 दिन की अवस्था से पूर्व जड़ो में मिट्टी चढा देनी चाहिए और उर्वरकों में डी.ए.पी. के स्थान पर एस.एस.पी. का उपयोग करना चाहिए ताकि उत्पादन के साथ इसमें तेल की मात्रा बढ़ सके।
इस अवसर पर प्रसार विशेषज्ञ सुनील कुमार शर्मा ने बताया कि मूंगफली की फसल की कटाई के लिए यह ध्यान रखें कि जब फलीयां सख्त होने के साथ दाने का अंदरूनी रंग गहरा हो तो कटाई शुरू कर देनी चाहिए। कटाई में देरी करने से बीज अंदर ही अंकुरित होने लगते है। केंद्र के पशुपालन वैज्ञानिक डॉ राम निवास ने मूंगफली की अच्छी पैदावार लेने हेतु उर्वरको के साथ साथ देशी खाद का उपयोग पर चर्चा करते हुए बताया की एफ.वाई.एम या वर्मीकम्पोस्ट के उपयोग से मृदा की उर्वरक क्षमता बढ़ती है और पौधों को सूक्ष्म पोषक तत्वों की आपूर्ति हो जाती है। मूंगफली को गरीबों का बादाम कहा जाता है। इसके खाने से शरीर स्वस्थ रहता है जिससे कई तरह की बीमारियों को दूर किया जा सकता है। कार्यक्रम के अंत में वैज्ञानिकों और सभी किसानों ने क्षेत्र भ्रमण कर मूंगफली की उन्नत किस्म तथा तकनीक के प्रत्यक्ष प्रदर्शन का अवलोकन किया।
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