राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

क्या किसानों को सचमुच मिलेगा फसलों का सही दाम? सरकार ने बताए नए कदम

06 अप्रैल 2025, नई दिल्ली: क्या किसानों को सचमुच मिलेगा फसलों का सही दाम? सरकार ने बताए नए कदम –  कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री रामनाथ ठाकुर ने राज्यसभा में एक लिखित जवाब में बताया कि खराब होने वाली कृषि उत्पादों की कीमतें तय करने का जिम्मा राज्य सरकारों का है। हालांकि, केंद्र सरकार ने दावा किया कि वह किसानों को बाजार के उतार-चढ़ाव से बचाने और उनकी फसलों के लिए उचित दाम सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठा रही है।

मंत्रालय के मुताबिक, घरेलू बाजार में खराब होने वाली फसलों की कीमतें मांग और आपूर्ति, व्यापार नीतियों, करों और शुल्कों जैसे कई कारणों से प्रभावित होती हैं। इन हालात को संतुलित करने के लिए केंद्र सरकार समय-समय पर नीतिगत कदम उठाती है। इसके तहत मार्केट इंटरवेंशन स्कीम (MIS), राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) और अगमार्कनेट जैसे प्लेटफॉर्म शामिल हैं, जो किसानों को बेहतर कीमत दिलाने और बाजार की जानकारी देने का काम करते हैं।

नई योजना: कीमत अंतर का भुगतान और परिवहन लागत में मदद

2024-25 सीजन से सरकार ने MIS के तहत दो नए बदलाव शुरू किए हैं। पहला, ‘प्राइस डिफरेंशियल पेमेंट’ (PDP), जिसके तहत किसानों को उनकी फसल की मार्केट इंटरवेंशन प्राइस (MIP) और बिक्री मूल्य के बीच का अंतर सीधे दिया जाएगा। राज्य सरकारें अब यह चुन सकती हैं कि वे फसल की खरीद करें या किसानों को यह अंतर राशि दें। दूसरा बदलाव टमाटर, प्याज और आलू (TOP फसलें) के लिए है, जिसमें परिवहन और भंडारण की लागत को कवर करने के लिए केंद्रीय एजेंसियों को मदद दी जाएगी। इसका मकसद उत्पादक राज्यों से उपभोक्ता राज्यों तक इन फसलों को पहुंचाना है।

मंत्रालय ने बताया कि MIS का उद्देश्य उन खराब होने वाली फसलों के उत्पादकों को सहारा देना है, जो प्राइस सपोर्ट स्कीम (PSS) के दायरे में नहीं आतीं। जब बंपर पैदावार के चलते कीमतें उत्पादन लागत से नीचे चली जाती हैं, तो यह स्कीम किसानों को ‘डिस्ट्रेस सेल’ यानी मजबूरी में सस्ते दाम पर बिक्री से बचाने की कोशिश करती है। हालांकि, यह स्कीम तभी लागू होती है, जब कोई राज्य या केंद्र शासित प्रदेश इसका अनुरोध करता है और नुकसान का 50% हिस्सा (उत्तर-पूर्वी राज्यों के लिए 25%) उठाने को तैयार होता है।

दूसरी योजनाएं भी हैं मददगार

किसानों के लिए सरकार की दूसरी योजनाओं में एकीकृत कृषि विपणन योजना (ISAM) के तहत वैज्ञानिक भंडारण क्षमता बढ़ाना और ई-नाम के जरिए ऑनलाइन बोली से बेहतर कीमत की खोज शामिल है। इसके अलावा, कृषि अवसंरचना कोष (AIF) के तहत पोस्ट-हार्वेस्ट मार्केट ढांचे और सामुदायिक खेती के लिए मध्यम से लंबी अवधि के कर्ज भी दिए जा रहे हैं, जिसमें ब्याज में छूट और वित्तीय सहायता का प्रावधान है।

हालांकि सरकार ने कई कदमों की जानकारी दी है, लेकिन यह सवाल बना हुआ है कि क्या ये योजनाएं जमीनी स्तर पर किसानों तक पहुंच पा रही हैं?

(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़,  टेलीग्रामव्हाट्सएप्प)

(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)

कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.krishakjagat.org/kj_epaper/

कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.en.krishakjagat.org

Advertisements