राज्यों की लेटलतीफी से फसल बीमा दावों के भुगतान में विलंब
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
23 अगस्त 2021, नई दिल्ली । राज्यों की लेटलतीफी से फसल बीमा दावों के भुगतान में विलंब – केन्द्र सरकार भी मानती है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में दावों के भुगतान में विलंब का प्रमुख कारण राज्य सरकारों द्वारा प्रीमियम सब्सिडी के भुगतान में लेटलतीफी है। इसके अलावा राज्यों द्वारा आंकड़े देने में देरी, बीमित किसानों अपूर्ण या गलत जानकारी भी भुगतान में विलंब के प्रमुख कारणों में से है। हालांकि केन्द्र सरकार पीएमएफबीवाई के कार्यान्वयन पर नियमिति निगरानी रखती है और समय-समय राज्य सरकारों को चेताती भी है। केन्द्र सरकार ने योजना में संशोधन कर दावों के विलंब से भुगतान पर राज्यों और बीमा कंपनियों पर दण्ड का प्रावधान भी किया है। लेकिन यह भी कारगर होता नजर नहीं आ रहा।
- संपादक
नई दिल्ली। लोकसभा में कृषि मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने बताया कि किसानों को दावों का भुगतान समय पर करने और योजना को अधिक किसान अनुकूल बनाने के लिये सरकार ने क्रमश: रबी 2018 और खरीफ से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में व्यापक रूप से संशोधन किये हैं।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों को बुवाई पूर्व से फसल कटाई के बाद तक प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान के लिये आर्थिक सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करता है। चूँकि प्राकृतिक आपदा से व्यापक रूप से नुकसान होता है इसलिये क्षेत्रवार बीमा इकाई का निर्धारण कर बीमित मौसम के अंत में फसल कटाई प्रयोगों के द्वारा नुकसान का आकलन किया जाता है।
केन्द्र सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा पीएमएफबीवाई के कार्यान्वयन की नियमित रूप से निगरानी की जाती है। इसके बाद भी फसल बीमा दावों के निपटान में राज्यों द्वारा बीमा कम्पनियों को प्रीमियम सब्सिडी के भुगतान में देरी, आंकड़े देने में देरी, उपज संबंधी विवाद, किसानों के बैंक खातों की अपूर्ण जानकारी या गलत प्रविष्टि जैसे कारणों से विलंब होता है।
श्री तोमर ने बताया कि पीएमएफबीवाई में किसानों के दावों को समय पर निपटाने के लिये प्रौद्योगिकी का लाभ भी लिया जा रहा है। राष्ट्रीय फसल पूर्वानुमान केन्द्र आग्रह डेटा, रिमोट सेंसिंग टेक्नोलॉजी, ड्रोन इमेज के प्रायोगिक अध्ययन कर रहा है।
किसानों को 12 प्रतिशत ब्याज
पीएमएफबीवाई योजना के संशोधित दिशा-निर्देशों के प्रावधान के अनुसार बीमा कंपनियों द्वारा विलंब से दावा निपटान तथा राज्य सरकारों द्वारा निधियों को जारी करने में विलंब के लिए दंड के प्रावधान किए गये हैं।
अंतिम उपज डेटा प्राप्त होने और पूर्ण फसल क्षति सर्वेक्षण को तिथि से दिशा निर्देशों में निर्धारित अवधि के बाद की अवधि के लिए बीमा कंपनियों को किसानों को 12 प्रतिशत प्रतिवर्ष दर से ब्याज का भुगतान करना चाहिए।
फसल बीमा दावों की गणना
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के प्रावधानों के अनुसार, अंतिम/सीजन के अंत के दावों की गणना और भुगतान उपज में प्रतिशत कमी के आधार पर किया जाता है – यदि बीमित मौसम में बीमा इकाई (फसल कटाई प्रयोगों-सीसीई की अपेक्षित संख्या से उपज डेटा के आधार पर गणना की गई) के लिए बीमित फसल की ‘वास्तविक उपज’ प्रति हेक्टेयर ‘थ्रेशहोल्ड उपज’ से कम होती है, तो परिभाषित क्षेत्र में उस फसल को उगाने वाले सभी बीमित किसानों को उपज मैं समान परिमाण में कमी का सामना करना पड़ा मान लिया जाता है और प्रति हेक्टेयर दावों पर निम्नलिखित फॉर्मूला के अनुसार कार्रवाई की जाती है :
थ्रेसहोल्ड उपज (टीवाई)-वास्तविक उपज (एवाई) …
& बीमित राशि
थ्रेसहोल्ड उपज (टीवाई)
(थ्रेशोल्ड उपज (टीवाई) की गणना 7 वर्षों में से सर्वश्रेष्ठ 5 वर्षों के मूविंग औसत को लेकर की जाती है)
इसके अलावा, यदि मौसम के दौरान अपेक्षित उपज, संबंधित बीमा इकाई में थ्रेसहोल्ड उपज के 50 प्रतिशत से कम होने की संभावना होती है तो फसल के मौसम के दौरान प्रतिकूल मौसम संबंधी परिस्थितियों (मध्य-मौसम की प्रतिकूलता) के मामले में बीमित किसानों को तत्काल राहत प्रदान की जाती है। देय राशि संभावित दावों का 25 प्रतिशत है, जो सीसीई के माध्यम से प्राप्त उपज मूल्यांकन डेटा के आधार पर अंतिम दावों के विरूद्ध समायोजन के अध्यधीन है।
समिति द्वारा नुकसान की गणना
हालांकि, ओलावृष्टि, भूस्खलन, बाढ़, बादल फटने और प्राकृतिक आग के स्थानीय जोखिमों और चक्रवात, चक्रवाती/बेमौसम वर्षा के कारण फसलोपरांत नुकसान और कटाई के बाद 14 दिनों की निर्दिष्ट अवधि के लिए ओलावृष्टि के कारण नुकसान की गणना संबंधित राज्य सरकार द्वारा गठित एक समिति जिसमें राज्य के अधिकारी और बीमा कंपनियों के पदाधिकारी और नुकसान मूल्यांकनकर्ता शामिल हों, के द्वारा निरीक्षण पर व्यक्तिगत बीमित खेत आधार पर की जाती है। साथ ही, मध्य मौसम प्रतिकूलता के मामले में रोकी गई बुवाई/विफल अंकुरण और तदर्थ दावों के दावों के भुगतान का प्रावधान है।