कृषि अनुसंधान में निवेश से 14 गुना ज़्यादा रिटर्न मिलता है
10 मई 2024, नई दिल्ली: कृषि अनुसंधान में निवेश से 14 गुना ज़्यादा रिटर्न मिलता है – कृषि अनुसंधान में निवेश किए गए प्रत्येक रुपये पर लगभग 13.85 का रिटर्न मिलता है, जो खेती से जुड़ी अन्य सभी गतिविधियों से मिलने वाले रिटर्न से कहीं अधिक है।आईसीएआर की संस्था नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर इकोनॉमिक्स एंड पॉलिसी रिसर्च (NIAP) द्वारा अप्रैल में प्रकाशित एक अध्ययन पत्र के हवाले से यह बताया गया है l ये खुलासा 2011 से 2022 के बीच भारत में कृषि अनुसंधान में निवेश के धीमे होने के परिदृश्य के साथ सामने आता है।
निआप के अध्ययन पत्र से यह भी पता चला है कि कृषि विस्तार, शिक्षा, सड़क, बिजली और नहर सिंचाई पर निवेश किए गए प्रत्येक रुपये पर रिटर्न क्रमशः 7.40, 2.05, 1.33, 0.84 और 0.25 रुपये का मिला है।
अध्ययन पत्र में इस बात का भी जिक्र है कि “खाद्य और अन्य कृषि उत्पादों की बढ़ती मांग और कृषि भूमि के विस्तार के अलावा उनके उत्पादन के लिए भविष्य की चुनौतियों की दृष्टि में, कृषि अनुसंधान और विकास में अधिक निवेश करना अत्यावश्यक है ताकि आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय लाभों को अधिकतम किया जा सके” ।
यह भी देखा गया कि कृषि अनुसंधान के बाद कृषि विस्तार कार्यक्रम में प्रत्येक रुपये के निवेश पर 7.40 रु. का लाभ प्राप्त होता है। हालांकि, अगर व्यापक “कृषि और संबंधित गतिविधियों” को देखा जाए, तो अध्ययन पत्र के अनुसार समग्र लाभ में व्यापक अंतर है। जहाँ पशु विज्ञान में अनुसंधान पर खर्च हुए एक रुपये पर 20.81 मिलते हैं , वहीँ पूरे फसल विज्ञान के लिए यह 11.69 है।
अध्ययन ने कृषि अनुसंधान में व्यापक क्षेत्रीय असमानता को भी प्रकट किया। उदाहरण के लिए, 2011-2020 के बीच, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और ओडिशा जैसे राज्य कुल 43% भारत की सकल बुआई क्षेत्र का हिस्सा हैं, लेकिन सभी प्रदेशों ने अपने कृषि जीडीपी का 0.25% से भी कम अंश अनुसंधान पर खर्च किया है । वहीँ बिहार, उत्तराखंड, केरल, जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, और असम जैसे राज्यों ने अपनी कृषि जीडीपी का 0.80% से अधिक भाग अनुसंधान और विकास पर खर्च किया है ।
कृषि अनुसंधान में निवेश मुख्य रूप से केंद्र और राज्य सरकार द्वारा वित्तपोषित किया जाता है। 2011 से 2020 के बीच, केंद्र सरकार ने कृषि अनुसंधान में अपने कुल निवेश का 33.8% योगदान दिया, जबकि राज्यों ने कृषि में कुल अनुसंधान निधियों का 58.5% आवंटित किया। भारत में कुल अनुसंधान पर खर्च होने वाले कुल राशि का केवल 8% निजी क्षेत्र से आया।अध्ययन पत्र से यह भी पता चला है कि 2011 से 2020 के बीच, देश में कृषि-अनुसंधान पर कुल व्यय 0.61% कृषि-जीडीपी का था। दूसरी ओर, वैश्विक औसत 0.93% है।
कृषि में अनुसंधान पर होने वाला खर्च खेती की फसलों की ओर बहुत अधिक झुका हुआ है, जिसमें पशुधन और प्राकृतिक संसाधनों को निवेश का बहुत छोटा हिस्सा मिलता है। दिलचस्प है कि दक्षिणी भारत के राज्यों में खर्च वितरण अधिक संतुलित है।
समग्र रूप से पिछले 40 वर्षों में देश का कृषि अनुसंधान में निवेश लगभग पांच गुणा बढ़ गया, परन्तु 2011 से 2020 के बीच कृषि अनुसंधान में निवेश की वार्षिक दर 6.4% से घट कर लगभग 4.4% रह गई।
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