National News (राष्ट्रीय कृषि समाचार)

कृषि में जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए 800 क्लाइमेट रेजिलिएंट किस्मों पर टिकी उम्मीद

Share

27 अक्टूबर 2023, नई दिल्ली: कृषि में जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए 800 क्लाइमेट रेजिलिएंट किस्मों पर टिकी उम्मीद – बढ़ते तापमान के कारण खेती में संसाधनों की जरूरत और खपत बढ़ी है। इसे देखते हुए ग्लोबल साउथ के देशों को ऐसे कदम उठाने के लिए बाध्य होना पड़ा है, जिनसे कृषि क्षेत्र इस भीषण चुनौती से निपटने में सक्षम हो सके।

यद्यपि पर्यावरण की बदलती परिस्थितियों से निपटने के लिए प्रभावी ब्लूप्रिंट तैयार किए गए हैं, लेकिन मौसम के पैटर्न में तेजी से बदलाव ने फसल चक्र को पलट दिया है। इससे किसानों की पैदावार और आय पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।

भारतीय कृषि क्षेत्र भी इन बदलावों से अछूता नहीं है। यहां तक ​​कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी स्वीकार किया है कि यह सेक्टर सप्लाई चेन में बाधा से लेकर जलवायु परिवर्तन तक कई चुनौतियों का सामना कर रहा है।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने जलवायु पैटर्न में बदलाव का सामना करने के लिए 800 से अधिक क्लाइमेट रेजिलिएंट किस्में विकसित की हैं। हालांकि केवल किस्में विकसित करना ही पर्याप्त नहीं है। इस संबंध में अधिक जागरूकता पैदा करने और इनकी आसान उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए संबंधित पक्षों को साथ आने की जरूरत है।

इस सेक्टर को सरलता से आधुनिक प्रक्रियाएं अपनाने में मदद करने को लेकर क्रिस्टल क्रॉप प्रोटेक्शन के प्रबंध निदेशक अंकुर अग्रवाल कहते हैं कि कंपनी का प्रयास हमेशा यह सुनिश्चित करना रहा है कि भारतीय किसान पैदावार बढ़ाने की राह में कभी संसाधनों की कमी से परेशान न हों।

क्रिस्टल क्रॉप प्रोटेक्शन के प्रबंध निदेशक अंकुर अग्रवाल

अग्रवाल ने कहा, “भारतीय कृषि क्षेत्र जलवायु परिवर्तन के रूप में एक तूफान का सामना कर रहा है। हम खाद्य सुरक्षा पर स्थायी प्रभाव डालने वाले इस पर्यावरणीय बदलाव से निपटने के लिए नवीनतम आधुनिक प्रक्रियाएं अपनाने में मदद करने की जरूरत को समझते हैं। भारत मुख्य रूप से एक कृषि प्रधान देश है और कृषक समुदाय देश की आर्थिक विकास की क्षमता का आधार है। हमारी कंपनी ने हमेशा ऐसे प्रोडक्ट्स एवं सॉल्यूशंस तैयार करने का प्रयास किया है, जो किसानों को उत्पादन एवं आय बढ़ाने में मदद करेंगे और उन्हें जलवायु परिवर्तन के कारण आने वाली चुनौतियों से निपटने में सक्षम बनाएंगे।”

जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव का सामना करने के लिए एक संवेदनशील और उचित वैज्ञानिक तंत्र विकसित करने की आवश्यकता ने कंपनियों को किसानों के लिए लीक से हटकर समाधान पेश करने के लिए बाध्य किया है ।
जलवायु परिवर्तन अब एक कठोर सच्चाई है, इससे निपटने के लिए एक ठोस दृष्टिकोण समय की मांग है।

कंपनियां अस्तित्व की इस लड़ाई में कृषि क्षेत्र की किस प्रकार सहायता करना चाह रही हैं?
होंडा इंडिया पावर प्रोडक्ट्स लिमिटेड के जनरल मैनेजर, बिजनेस स्ट्रेटजी एंड डेवलपमेंट मोहित कुमार सिंह

होंडा इंडिया पावर प्रोडक्ट्स लिमिटेड के जनरल मैनेजर, बिजनेस स्ट्रेटजी एंड डेवलपमेंट मोहित कुमार सिंह ने कहा, “हम किसी भी तरह कृषि क्षेत्र पर पड़ रहे जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभाव से इनकार नहीं कर सकते। भारतीय कृषि क्षेत्र ने हमेशा लचीलापन (रेजिलिएंस) दिखाया है और हम पिछले 38 वर्षों से इसकी विकास यात्रा में एक गौरवशाली भागीदार रहे हैं। भारतीय कृषि उद्योग की उत्पादकता एवं दक्षता बढ़ाने के लिए कृषि मशीनीकरण को अपनाना जरूरी है। होंडा इंडिया पावर प्रोडक्ट्स भारत में कृषि मशीनीकरण के महत्व को समझता है। साथ ही हम छोटी जोत की चुनौतियों को भी पहचानते हैं। इन चुनौतियों से निपटने में छोटे और सीमांत किसानों की मदद के लिए एचआईपीपी ने उपयुक्त उपकरणों की एक रेंज तैयार की है। इनमें पोर्टेबल वॉटर पंप से लेकर पावर टिलर, ब्रश कटर, स्टेशनरी और बैक स्प्रेयर तक कई उत्पाद हैं, जो होंडा की क्वालिटी के साथ बेजोड़ पोर्टेबिलिटी और स्टेबिलिटी प्रदान करते हैं। होंडा जीएक्स इंजन के साथ इन उपकरणों को कठिन परिस्थितियों में काम करने, कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए विश्वसनीय सेवा प्रदान करने और किसानों को सशक्त बनाने के लिए तैयार किया गया है।”

किसानों द्वारा मशीनीकरण को अपनाने की प्रक्रिया पर सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों, भौगोलिक स्थितियों और पूंजी की आवश्यकता जैसे विभिन्न कारक प्रभाव डालते हैं। इसलिए इस प्रक्रिया में ऋणदाताओं की भूमिका भी महत्वपूर्ण हो जाती है।

क्लिक्स कैपिटल के सीईओ राकेश कौल

क्लिक्स कैपिटल के सीईओ राकेश कौल ने कहा, “जलवायु परिवर्तन से निपटने की दिशा में प्रयास अब वैश्विक स्तर पर एक क्रॉस-पॉलिसी एजेंडा बन गया है। इसे देखते हुए हमारे प्रयास सस्टेनेबल एवं ग्रीन लैंडिंग को आगे बढ़ाने के अनुकूल हैं। हमारी इम्पैक्ट फंडरेजिंग एक्टिविटी से जलवायु परिवर्तन से लड़ने की हमारी प्रतिबद्धता को समझा जा सकता है। हम सस्टेनेबिलिटी बिजनेस में संबंधित पक्षों के साथ साझेदारी करने के इच्छुक हैं ताकि उन्हें निर्बाध और अफॉर्डेबल लेंडिंग सॉल्यूशंस तक पहुंच प्रदान करते हुए जलवायु परिवर्तन से लड़ने में सहायता कर सकें। क्लिक्स कैपिटल का गठन उन सेक्टर्स को आवश्यक वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए किया गया था, जो ट्रेडिशनल लेंडर्स से कर्ज पाने में सक्षम नहीं हो पाते हैं।”

(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)

(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़,  टेलीग्राम)

Share
Advertisements