भारत से रेडी टू ईट उत्पादों का निर्यात 24% बढ़कर 394 मिलियन डॉलर हुआ
निर्यात में बिस्कुट , कन्फेक्शनरी, भारतीय मिठाईयां तथा स्नैक्स एवं नाश्ते के अनाज शामिल
31 जनवरी 2022, नई दिल्ली । भारत से रेडी टू ईट उत्पादों का निर्यात 24% बढ़कर 394 मिलियन डॉलर हुआ – एपीडा बास्केट के तहत भारत से तैयार रेडी टू ईट (आरटीई), रेडी टू कुक (आरटीसी) और रेडी टू सर्व (आरटीएस) के निर्यात में पिछले एक दशक में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा निर्यात के लिए उत्पादों के मूल्य संवर्धन पर जोर देने के साथ ही आरटीई श्रेणी के तहत खाद्य उत्पादों ने पिछले एक दशक में 12 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) दर्ज की है और इसी अवधि के दौरान एपीडा निर्यात में आरटीई की हिस्सेदारी 2.1 प्रतिशत से बढ़कर 5 प्रतिशत हो गई है।
रेडी टू ईट (आरटीई), रेडी टू कुक (आरटीसी) और रेडी टू सर्व (आरटीएस) वर्गों के तहत उत्पादों के निर्यात ने 2011-12 से 2020-21 तक 10.4 प्रतिशत का सीएजीआर दर्ज किया है। भारत ने 2020-21 में 2.14 अरब डॉलर से अधिक मूल्य के पूर्ण रूप से तैयार खाद्य उत्पादों का निर्यात किया है। चूंकि इस तरह के खाद्य उत्पाद समय बचाने वाले और आसानी से उपलब्ध हैं, इसलिए हाल के वर्षों में आरटीई, आरटीसी और आरटीएस की श्रेणियों के तहत खाद्य पदार्थों की मांग कई गुना बढ़ गई है।
वाणिज्यिक जानकारी एवं सांख्यिकी महानिदेशालय के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, भारत ने पिछले तीन वित्तीय तीन वर्षों (2018-19 और 2020-2021) में जो पूर्ण रूप से तैयार खाद्य उत्पादों का निर्यात किया है उनमें 5,438 मिलियन अमरीकी डॉलर मूल्य के आरटीई, आरटीसी और आरटीएस शामिल हैं।
भारत ने वर्ष 2018-2019 में 766 मिलियन अमरीकी डॉलर का आरटीई निर्यात दर्ज किया, जो 2019-20 में बढ़कर 825 मिलियन अमरीकी डॉलर और फिर 2020-21 में 1043 मिलियन अमरीकी डॉलर हो गया। इस बीच, आरटीसी खाद्य उत्पादों ने 2018-19 में 473 मिलियन अमरीकी डॉलर, 2019-20 में 368 मिलियन अमरीकी डॉलर और 2020-21 में 560 मिलियन अमरीकी डॉलर का निर्यात दर्ज किया है। चालू वर्ष अर्थात अप्रैल-अक्टूबर (2021-22) में समान अवधियों के लिए पिछले वर्षों की तुलना में आरटीई/आरटीसी और आरटीएस का तुलनात्मक विश्लेषण नीचे ग्राफ में दर्शाया गया है। आरटीई/आरटीसी और आरटीएस का निर्यात मूल्य पिछले वर्ष की तुलना में 2021-22 में अधिक बढ़ा है।
2020-21 में विशेष रूप से आरटीई खाद्य उत्पादों का 56% से अधिक शीर्ष 10 देशों को निर्यात किया गया था। अमरीका आरटीई उत्पादों की चार श्रेणियों जैसे बिस्कुट और कन्फेक्शनरी (79.54 मिलियन अमरीकी डॉलर), नाश्ते वाला अनाज (5.33 मिलियन अमरीकी डॉलर), भारतीय मिठाईयां एवं स्नैक्स (99.7 मिलियन अमरीकी डॉलर), पान मसाला व सुपारी (5.95 मिलियन अमरीकी डॉलर) का शीर्ष आयात करने वाला देश है, जबकि आरटीई के तहत शेष दो उत्पादों का मलेशिया और नेपाल द्वारा महत्वपूर्ण रूप से आयात किया जाता है। मलेशिया ने 2020-21 में 5.09 मिलियन अमरीकी डॉलर के गुड़ का आयात किया और नेपाल ने 3.5 मिलियन अमरीकी डॉलर के वेफर्स का आयात किया।
2020-21 के आंकड़ों के अनुसार आरटीई निर्यात के प्रमुख गंतव्य देश अमरीका (18.73%), संयुक्त अरब अमीरात (8.64%), नेपाल (5%), कनाडा (4.77%), श्रीलंका (4.47%), ऑस्ट्रेलिया (4.2%) सूडान (2.95%), ब्रिटेन (2.88%), नाइजीरिया (2.38%) और सिंगापुर (2.01%) हैं।
पिछले एक दशक में आरटीसी खाद्य उत्पाद 7 प्रतिशत की सीएजीआर से बढ़ रहे हैं और इसी अवधि में एपीडा निर्यात में आरटीसी की हिस्सेदारी 1.8 प्रतिशत से बढ़कर 2.7 प्रतिशत हो गई है। आरटीसी के तहत आने वाले खाद्य उत्पादों की प्रमुख श्रेणियां पकाने के लिए तैयार उत्पाद यानी कि पापड़, आटा और पिसे हुए उत्पाद एवं पाउडर तथा स्टार्च हैं। आरटीसी निर्यात में श्रेणी के तहत पकाने के लिए तैयार उत्पादों में (31.69%), पापड़ (9.68%), आटा और अन्य पिसे हुए अनाज उत्पाद (34.34%) तथा पाउडर एवं स्टार्च (24.28%) शामिल हैं।
2020-21 में आरटीसी निर्यात के लिए प्रमुख निर्यात गंतव्य देश अमरीका (18.62 मिलियन अमरीकी डॉलर), मलेशिया (11.52 मिलियन अमरीकी डॉलर), संयुक्त अरब अमीरात (8.75 मिलियन अमरीकी डॉलर), इंडोनेशिया (7.52 मिलियन अमरीकी डॉलर), ब्रिटेन (7.33 मिलियन अमरीकी डॉलर), नेपाल (5.89 मिलियन अमरीकी डॉलर) कनाडा (4.31 मिलियन अमरीकी डॉलर), ऑस्ट्रेलिया (4.2 मिलियन अमरीकी डॉलर), बांग्लादेश (3.43 मिलियन अमरीकी डॉलर) और कतर (2.76 मिलियन अमरीकी डॉलर) हैं।
आरटीएस की श्रेणी में निर्यात पिछले एक दशक में 11 प्रतिशत की सीएजीआर से बढ़ रहा है। आरटीएस श्रेणी के तहत तैयार किये प्रमुख खाद्य उत्पादों में जेली, स्क्वैश और जूस, अन्य पेय पदार्थ, ऊर्जा देने वाले उत्पाद / पेय एवं आइसक्रीम, सूप, सॉस, पास्ता तथा चटनी शामिल हैं। पिछले एक दशक में आरटीएस की हिस्सेदारी 1.1 प्रतिशत से बढ़कर 2.5 फीसदी हो गई है।
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