राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

कपास अनुसंधान संस्थान ने पूरे किए 100 साल: किसानों और उद्योगों के लिए नई तकनीक का वादा

04 दिसंबर 2024, नई दिल्ली: कपास अनुसंधान संस्थान ने पूरे किए 100 साल: किसानों और उद्योगों के लिए नई तकनीक का वादा –  भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के केंद्रीय कपास प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान (सिरकॉट) ने अपने शताब्दी समारोह का आयोजन किया। इस अवसर पर केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संस्थान की उपलब्धियों को रेखांकित किया और कपास की खेती और प्रसंस्करण में नई तकनीकों को अपनाने की दिशा में काम करने पर जोर दिया।

100 साल की विरासत और भविष्य की योजना

सिरकॉट की स्थापना 1924 में हुई थी, जब भारत में कपास उत्पादन को बेहतर बनाने के उद्देश्य से इस संस्थान की नींव रखी गई। 100 साल पूरे होने के मौके पर, श्री चौहान ने संस्थान को बधाई देते हुए कहा कि अब यह समय है कि संस्थान नई चुनौतियों और अवसरों को ध्यान में रखते हुए 2047 तक का रोडमैप तैयार करे। उन्होंने कहा कि संस्थान को कपास की खेती और प्रोसेसिंग से जुड़े हर पहलू पर ध्यान केंद्रित करना होगा, ताकि किसानों को बेहतर लाभ मिल सके।

Advertisement
Advertisement

केंद्रीय मंत्री ने कपास की चुड़ाई (प्लकिंग) के मशीनीकरण को भारत में कपास की खेती की स्थिरता के लिए अहम बताया। उन्होंने कहा कि यांत्रिक रूप से चुनी गई कपास के प्रसंस्करण के लिए अनुकूलित संयंत्र और मशीनरी की आवश्यकता है। इस दिशा में सिरकॉट में एक पायलट संयंत्र की स्थापना की जाएगी, जो कपास की प्रोसेसिंग में नई तकनीकों को बढ़ावा देगा।

कपास के बीज की ऊंची कीमतों को लेकर चिंता जताते हुए श्री चौहान ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण बीज कम लागत पर किसानों तक पहुंचाना आईसीएआर की प्राथमिकता होनी चाहिए। साथ ही, भारतीय कपास के निर्यात को बढ़ाने के लिए ट्रेसिबिलिटी सिस्टम (कपास की पहचान और गुणवत्ता सुनिश्चित करने की तकनीक) को विकसित करने की आवश्यकता है।

Advertisement8
Advertisement

2047 तक का लक्ष्य: सिरमौर बनने की तैयारी

श्री चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा 2047 तक विकसित भारत के निर्माण का लक्ष्य दिया गया है। इसी दिशा में सिरकॉट को कपास अनुसंधान और प्रसंस्करण में वैश्विक स्तर पर पहचान बनानी होगी। उन्होंने संस्थान से 2047 तक का एक विस्तृत रोडमैप तैयार करने को कहा, ताकि कपास उत्पादन, डिलिंग, प्रोसेसिंग और बिनाई के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित किए जा सकें।

Advertisement8
Advertisement

श्री चौहान ने कार्यक्रम के अंत में कहा कि यह शताब्दी समारोह केवल जश्न मनाने का नहीं, बल्कि नई उमंग और उत्साह के साथ आगे बढ़ने का अवसर है। उन्होंने उम्मीद जताई कि संस्थान किसानों और उद्योगों के कल्याण के लिए काम करेगा और भारत को कपास उत्पादन और प्रसंस्करण के क्षेत्र में अग्रणी बनाएगा।

(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़,  टेलीग्रामव्हाट्सएप्प)

(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)

कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.krishakjagat.org/kj_epaper/

कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.en.krishakjagat.org

Advertisement8
Advertisement
Advertisements
Advertisement5
Advertisement