धान की बुआई में 19.47 लाख हेक्टेयर की भारी बढ़त
22 जुलाई 2025, नई दिल्ली: धान की बुआई में 19.47 लाख हेक्टेयर की भारी बढ़त – धान, जो कि खरीफ मौसम की मुख्य फसल है, में इस वर्ष अब तक 176.68 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुआई हो चुकी है, जो कि पिछले वर्ष इसी अवधि में 157.21 लाख हेक्टेयर थी। यह 19.47 लाख हेक्टेयर की बढ़त दर्शाता है। पूर्वी और दक्षिणी राज्यों में समय पर वर्षा और अनुकूल जलवायु के कारण धान की रोपाई और बुआई में तेजी देखी गई है।
कपास की बुआई में गिरावट, महाराष्ट्र और तेलंगाना में रुझान बदला
कपास की कुल बुआई इस वर्ष 98.55 लाख हेक्टेयर रही है, जबकि पिछले वर्ष यह आंकड़ा 102.05 लाख हेक्टेयर था। इस प्रकार इस फसल में 3.49 लाख हेक्टेयर की कमी आई है। विशेषज्ञों का मानना है कि पिछले वर्ष की मूल्य अस्थिरता और कुछ क्षेत्रों में देरी से हुई बारिश के चलते किसान अन्य फसलों जैसे दालें और मक्का की ओर शिफ्ट हुए हैं।
दालें: मूंग और मोठ में अच्छी वृद्धि, अरहर और उड़द में गिरावट
कुल दालों की बुआई इस वर्ष 81.98 लाख हेक्टेयर तक पहुंच चुकी है, जो पिछले वर्ष के 80.13 लाख हेक्टेयर की तुलना में 1.84 लाख हेक्टेयर अधिक है। हालांकि फसलवार विश्लेषण में मिश्रित रुझान देखने को मिले:
- मूंग (27.31 लाख हेक्टेयर) और मोठ (7.56 लाख हेक्टेयर) में क्रमशः 2.79 लाख हेक्टेयर और 2.61 लाख हेक्टेयर की वृद्धि हुई है।
- वहीं अरहर (-1.61 लाख हेक्टेयर) और उड़द (-2.06 लाख हेक्टेयर) में कमी आई है।
मोटे अनाज: मक्का और बाजरा ने दिखाई तेजी
मोटे अनाजों की बुआई 133.65 लाख हेक्टेयर तक पहुंच चुकी है, जो कि पिछले वर्ष के 117.66 लाख हेक्टेयर से 15.99 लाख हेक्टेयर अधिकहै।
मक्का (71.21 लाख हेक्टेयर) और बाजरा (48.94 लाख हेक्टेयर) में सबसे अधिक वृद्धि दर्ज की गई, जो कि क्रमशः 9.48 लाख हेक्टेयर और 6.85 लाख हेक्टेयर है।
यह वृद्धि मुख्य रूप से पशु चारे की मांग, बेहतर मूल्य और सीमित सिंचाई वाले क्षेत्रों में इन फसलों की अनुकूलता के कारण हुई है।
तेलहन फसलों में गिरावट, सोयाबीन सबसे ज्यादा प्रभावित
तेलहन फसलों की कुल बुआई इस वर्ष घटकर 156.76 लाख हेक्टेयर रह गई है, जो कि पिछले वर्ष 162.80 लाख हेक्टेयर थी। इसमें 6.04 लाख हेक्टेयर की कमी हुई है।
सोयाबीन में सबसे अधिक गिरावट (-7.29 लाख हेक्टेयर) देखी गई है, जो इस फसल में पिछले वर्ष के मुकाबले किसानों के कम रुझान को दर्शाता है।
हालांकि, कुछ फसलों जैसे मूंगफली (+0.86 लाख हेक्टेयर) और तिल (+0.46 लाख हेक्टेयर) में वृद्धि दर्ज की गई है।
गन्ना, जूट और मेस्ता में स्थिरता
गन्ने की बुआई 55.16 लाख हेक्टेयर तक पहुंच चुकी है, जो पिछले वर्ष के 54.88 लाख हेक्टेयर से थोड़ी अधिक है।
वहीं जूट और मेस्ता की बुआई में 0.12 लाख हेक्टेयर की कमी दर्ज की गई है। जूट 5.33 लाख हेक्टेयर और मेस्ता 0.20 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बोया गया है।
कुल खरीफ क्षेत्र 708.31 लाख हेक्टेयर तक पहुंचा
भारत में खरीफ सीजन की बुआई 708.31 लाख हेक्टेयर तक पहुंच चुकी है, जो पिछले वर्ष के 680.38 लाख हेक्टेयर से 27.93 लाख हेक्टेयर अधिक है। यह वृद्धि मौसमी परिस्थितियों में सुधार, सरकारी योजनाओं के बेहतर कार्यान्वयन और किसानों के रणनीतिक निर्णयों का परिणाम है।
पूरा क्षेत्रवार आंकड़ा देखें (लाख हेक्टेयर में):
फसल | औसत सामान्य क्षेत्र | 2025 क्षेत्र | 2024 क्षेत्र | अंतर |
---|---|---|---|---|
धान | 403.09 | 176.68 | 157.21 | +19.47 |
कुल दालें | 129.61 | 81.98 | 80.13 | +1.84 |
– अरहर | 44.71 | 30.09 | 31.70 | -1.61 |
– कुल्थी | 1.72 | 0.14 | 0.12 | +0.01 |
– उड़द | 32.64 | 14.45 | 16.51 | -2.06 |
– मूंग | 35.69 | 27.31 | 24.52 | +2.79 |
– अन्य दालें | 5.15 | 2.43 | 2.33 | +0.10 |
– मोठ | 9.70 | 7.56 | 4.95 | +2.61 |
कुल मोटे अनाज | 180.71 | 133.65 | 117.66 | +15.99 |
– ज्वार | 15.07 | 9.99 | 9.81 | +0.18 |
– बाजरा | 70.69 | 48.94 | 42.09 | +6.85 |
– रागी | 11.52 | 1.42 | 1.70 | -0.28 |
– मक्का | 78.95 | 71.21 | 61.73 | +9.48 |
– अन्य छोटे अनाज | 4.48 | 2.09 | 2.34 | -0.25 |
कुल तिलहन | 194.63 | 156.76 | 162.80 | -6.04 |
– मूंगफली | 45.10 | 38.01 | 37.16 | +0.86 |
– तिल | 10.32 | 6.04 | 5.58 | +0.46 |
– सूरजमुखी | 1.29 | 0.54 | 0.55 | -0.02 |
– सोयाबीन | 127.19 | 111.67 | 118.96 | -7.29 |
– रामतिल | 1.08 | 0.02 | 0.22 | -0.20 |
– अरंडी | 9.65 | 0.43 | 0.28 | +0.15 |
– अन्य तिलहन | – | 0.05 | 0.05 | 0.00 |
गन्ना | 52.51 | 55.16 | 54.88 | +0.29 |
जूट और मेस्ता | 6.60 | 5.53 | 5.65 | -0.12 |
– जूट | 6.19 | 5.33 | 5.43 | -0.11 |
– मेस्ता | 0.40 | 0.20 | 0.21 | -0.01 |
कपास | 129.50 | 98.55 | 102.05 | -3.49 |
कुल क्षेत्र | 1096.65 | 708.31 | 680.38 | +27.93 |
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