वर्षा की अधिकता से दलहन तिलहन उत्पादन घटने की संभावना
लेखक: अतुल सक्सेना, वरिष्ठ पत्रकार
19 सितम्बर 2024, नई दिल्ली: वर्षा की अधिकता से दलहन तिलहन उत्पादन घटने की संभावना – दलहन और तिलहन के क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार निरन्तर प्रयास कर रही है। परन्तु सारे पास उल्टे पड़ते दिखाई दे रहे हैं। इधर रकबा बढ़ा तो उधर लगातार हो रही मानसूनी बारिश की अधिकता से खरीफ फसलों को नुकसान होने की संभावना बढ़ गई है। खासकर दलहनी और तिलहनी फसलें अधिक प्रभावित होने का अनुमान लगाया गया है जबकि धान को लाभ होने की उम्मीद है। चालू खरीफ 2024 में रकबा बढ़ा है। 126 लाख 20 हजार हेक्टेयर में दलहनी फसलें बोई गई हैं, जबकि गत वर्ष 117 लाख 39 हजार हेक्टेयर में दलहनों की बोनी हुई थी। इसी प्रकार तिलहनी फसलों की बुवाई 192 लाख 40 हजार हेक्टेयर में की गई है जबकि गत वर्ष 189 लाख 44 हजार हेक्टेयर में तिलहनी फसलों की बुवाई हुई थी। इस प्रकार रकबा तो बढ़ा है परन्तु दलहन-तिलहन उत्पादक प्रमुख राज्यों म.प्र., महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश एवं कर्नाटक में मौसम का कहर जारी है। देश में अब तक सामान्य से लगभग 7 फीसदी अधिक बारिश हो चुकी है तथा मौसम विभाग के मुताबिक ला-नीना के प्रभाव से बारिश अक्टूबर को भी भिगा सकती है। देश में सबसे ज्यादा बारिश पश्चिमी क्षेत्रों में सामान्य से 26 फीसदी अधिक, मध्य भारत में सामान्य से 18 फीसदी और उत्तर पश्चिम भारत में 8 फीसदी अधिक हुई है। सोयाबीन काटने का समय आ रहा है और खेतों में पानी भरा है। ऐसे में खरीफ फसलों की कटाई में भी देर होने की संभावना है।
सोयाबीन प्रभावित: मध्य प्रदेश में सितंबर में हो रही अधिक बारिश के चलते प्रदेश के कई इलाकों में सोयाबीन की फसल को 15 से 20 फीसदी तक नुकसान हुआ है। माह के अंत से प्रदेश में सोयाबीन की कटाई शुरू होनी है। मौजूदा हालात में इसके समय पर शुरू होने की उम्मीद नहीं दिख रही है। गीले खेतों में कटाई मशीनों का जाना और कटाई करना संभव नहीं है। वहीं अगर बारिश जारी रहती है और फसल खड़ी रहती है तो सोयाबीन की गुणवत्ता भी प्रभावित होगी। ऐसे में पहले से ही सोयाबीन की कीमतों में गिरावट का संकट झेल रहे किसानों पर यह दोहरी मार होगी।
दलहन को लेकर भी स्थिति बेहतर नहीं है। निचले इलाकों में खेतों में पानी रुकने से फसलों को नुकसान पहुंचा रहा है। यदि बारिश इसी तरह जारी रही, तो धान को छोड़कर बाकी सभी फसलों को और नुकसान पहुंचेगा। हालांकि धान की फसल को फायदा हो रहा है। पिछले कुछ सालों में
राज्य के होशंगाबाद, नरसिंहपुर, भोपाल और
रायसेन जैसे जिलों में दाल का रकबा करीब 50 फीसदी घट गया है और यह रकबा धान की तरफ शिफ्ट हुआ है।
म.प्र. में रकबा घटा: मध्य प्रदेश में इस वर्ष दलहनी फसलें 14.24 लाख है. में बोई गई हैं जबकि गत वर्ष 19.71 लाख हेक्टेयर में बोई गई है थीं। इसमें मुख्यतः उड़द का रकबा घटा है। इस वर्ष 9.79 लाख है. में बोनी हुई जो गत वर्ष 13.90 लाख हेक्टेयर थी। तुअर भी 4.13 लाख हेक्टेयर से घटकर 3.15 लाख हेक्टेयर रह गई है। प्रदेश में तिलहनों का रकबा 65 हजार हेक्टेयर बढ़ा है। चालू खरीफ में 63.65 लाख हेक्टेयर क्षेत्र कवर किया गया है जो गत वर्ष 63 लाख हेक्टेयर था। इसमें मुख्यतः सोयाबीन 55.10 लाख हेक्टेयर में बोई गई है तथा मूंगफली की बोनी 5.11 लाख हेक्टेयर में हुई है।
इधर केंद्रीय कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने 2024-25 के दलहन उत्पादन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया है। मध्य प्रदेश को 2024-25 के लिए कुल 76.19 लाख टन दाल उत्पादन का लक्ष्य दिया गया है। इसमें 4 लाख टन अरहर, 15.50 लाख टन मूंग, 9 लाख टन उड़द, 6.95 लाख टन मसूर, 37.50 लाख टन चना और 2.24 लाख टन अन्य दालें शामिल हैं।
देश में दलहन और तिलहनों के कम उत्पादन के कारण आपूर्ति के लिए हम दाल और खाद्य तेलों पर लगभग 1 लाख 50 हजार करोड़ रुपए से अधिक खर्च कर आयात कर रहे हैं। इस वर्ष रकबा बढ़ा, जिससे उत्पादन बढ़ने की उम्मीद जगी है परन्तु वर्षा बाधक बन रही अब समय बताएगा कि उत्पादन कैसा होगा?
प्रमुख राज्यों में दलहन, तिलहन का औसत उत्पादन और बुवाई (क्षेत्र लाख है.) | ||||
राज्य | औसत उत्पादन प्रतिशत | दलहन बुवाई 2024 | तिलहन बुवाई 2024 | |
मध्य प्रदेश | 28 | 14.24 | 63.65 | |
महाराष्ट्र | 11.9 | 19.00 | 52.00 | |
राजस्थान | 11.38 | 37.17 | 23.68 | |
उत्तर प्रदेश | 8.39 | 10.83 | 6.57 | |
कर्नाटक | 8.10 | 22.00 | 8.39 | |
गुजरात | – | 3.70 | 27.87 |
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