‘राष्ट्रीय मसाला परिषद’ की दो दिवसीय बैठक जैन हिल्स में संपन्न
20 जनवरी 2025, जलगांव: ‘राष्ट्रीय मसाला परिषद’ की दो दिवसीय बैठक जैन हिल्स में संपन्न – यदि किसानों को मसालों और सुगंधित पौधों के लिए उपयुक्त खेती के तरीके और गुणवत्तापूर्ण पौधे उपलब्ध कराए जाएं, तो इस क्षेत्र में काफी प्रगति हो सकती है। मुख्य अतिथि डॉ. संजय कुमार ने उक्त विचार जैन हिल्स में जैन इरिगेशन सिस्टम्स लि. और जैन फार्मफ्रेश फूड्स लिमिटेड, कन्फेडरेशन ऑफ हॉर्टिकल्चर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएचएआई) के सहयोग से मसालों और सुगंधित फसलों का मूल्य वर्धित श्रृंखला प्रबंधन के तहत आयोजित दो दिवसीय ‘राष्ट्रीय मसाला परिषद 2025’ बैठक के उद्घाटन के अवसर पर व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि जैन इरीगेशन द्वारा इस संबंध में किया गया कार्य सराहनीय है।
इस आयोजन में जैन इरिगेशन के संयुक्त प्रबंध निदेशक श्री अजीत जैन, अतुल जैन, आईआईएसआर केरल के पूर्व निदेशक डाॅ. निर्मल बाबू, वैश्विक कृषि सलाहकार सीईओ (इज़राइल) श्री यायर आइचेल, अध्यक्ष, विश्व मसाला संगठन श्री राजकुमार मेनन, भारत सरकारी फल आयुक्त डाॅ. प्रभात कुमार, डाॅ. संजय कुमार (अध्यक्ष, एएसआरबी, नई दिल्ली), डॉ. मेजर सिंह (सदस्य, एएसआरबी, नई दिल्ली), डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषि विश्वविद्यालय अकोला के कुलपति डाॅ. शरद गडाख, वाईएसआर कृषि विश्वविद्यालय आंध्र प्रदेश के कुलपति डाॅ. गोपाल के. सहित मसाले उगाने वाले जिले के किसान, शोधकर्ता, तकनीशियन और विद्वान भी मौजूद थे।
डॉ. कुमार ने कहा कि नई तकनीक ने मसाला खेती का चेहरा बदल दिया है। मसाला फसलों के संबंध में अभी भी ग्रेडिंग और लेबलिंग नहीं की गई है। फसल किस खेत से हमारे पास पहुंची, इसकी जानकारी उपभोक्ताओं को नहीं मिल पाती है। मिर्च और जीरा के उत्पादन में भारत आगे है, लेकिन अन्य मसाला फसलों में पिछड़ रहा है। उत्पादकता कैसे बढ़ाई जाए इस पर विचार कर वास्तविक कार्रवाई करना आवश्यक है। सुगंधित पौधों की किस्में विकसित करके और उनमें मधुमक्खियाँ रखकर किसानों के लिए शहद उत्पादन से अधिक पैसा कमाया जा सकता है। श्री कुमार ने हींग, केसर और अजवायन की खेती कर नये क्षेत्र और नये बाजार बनाने की अपील की। आरम्भ में जैन इरिगेशन के संयुक्त प्रबंध निदेशक श्री अतुल जैन ने स्वागत भाषण में मसालों की बढ़ती मांग में इनके स्वाद और औषधीय गुण व्यवसाय के अवसरों पर प्रकाश डालते हुए सरकार से मसाला उद्योग के संबंध में नीतियां तय करने तथा किसानों से उन्नतशील मसाला फसल अपनाने की अपील की।
डाॅ. निर्मल बाबू ने बाजार में प्रतिस्पर्धा करने के लिए अच्छी गुणवत्ता वाले उत्पाद पर ज़ोर देते हुए कहा कि अगले पांच वर्षों में हम भारत से मसालों के निर्यात को दोगुना करना चाहते हैं। दुनिया में मसाला निर्यात के क्षेत्र में भारत के पास बेहतरीन अवसर हैं। श्री आइचेल ने कहा कि मसाला उद्योग में कई चुनौतियाँ हैं। श्री मेनन ने कहा कि दुनिया भर के मसाला उद्यमियों को एक मंच पर आने की जरूरत है।आपने उम्मीद जताई कि अगर एफपीबी और किसान मिलकर काम करें तो 50 हज़ार से अधिक किसानों को जोड़ा जा सकता है, जिससे छोटे किसानों को फायदा हो सकता है। डॉ प्रभात कुमार ने कहा भारत बड़ी मात्रा में हींग का आयात करता है। कश्मीर, हिमाचल, उत्तराखंड में बड़ी मात्रा में हींग की खेती की जा सकती है और केसर की खेती भी की जा सकती है। डॉ गडाख ने कहा कि किसान लेमनग्रास, चंदन तेल जैसे प्रसंस्करण उद्योग भी लगा सकते हैं।आपने वैगांव हल्दी का उदाहरण दिया जिसे बाबा रामदेव के उद्योग के लिए जियोटैग मिल गया है। डॉ. गोपाल ने कहा मसाले सांस्कृतिक विरासत हैं और अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। किसानों को समूह खेती का प्रयोग कर आर्थिक सशक्तिकरण की ओर बढ़ना चाहिए। डॉ मेजर सिंह ने कहा हरी मिर्च, हल्दी आदि सूखने के बाद इसे मसाले के रूप में शामिल किया जाता है। किसानों को असमंजस की स्थिति में नहीं रहना चाहिए। जैन फार्मफ्रेश (लंदन) के मुख्य प्रबंधक सुवन शर्मा ने मसाला फसल के पांच हजार साल पुराने वैश्विक व्यापार का जिक्र कर कहा कि अगर उत्पादक मिट्टी के स्वास्थ्य, छिड़काव कार्यक्रम और जैविक उत्पादन के प्रति जागरूक हों तो उनके लिए यह एक बड़ा अवसर है।
इस मौके पर अतिथियों द्वारा दो पुस्तकों ‘ज्ञानमंथन-25’ एवं ‘स्पाइसेस हैण्डबुक’ का विमोचन किया गया। मसालों पर राष्ट्रीय स्तर पर दो दिवसीय मंथन सत्र आयोजित किए, जिसमें मिर्च, हल्दी,अदरक, आदि की अच्छी पैदावार करने वाले जैन इरीगेशन को विशेष धन्यवाद दिया। इस सम्मेलन में डाॅ. के.बी. पाटिल, डॉ. जितेंद्र कदम, डाॅ. अभेगौड़ा, डॉ. बी.के., पूर्व कुलपति डाॅ. टी जानकीरमन, डॉ. मनीष दास, डाॅ. विजय महाजन, डाॅ. विजयन, डॉ. पी.के. गुप्ता, डाॅ. बशीर, डॉ. अब्बास, डॉ. वेणुगोपाल, डॉ. ज्ञानेश्वर पाटिल,श्री विकास बोरोले उपस्थित थे। सम्मेलन की सफलता में डाॅ. अनिल ढाके, डॉ. बी.के., डॉ. के.बी. पाटिल, डॉ. सुमेर सिंह, श्री योगेश पटेल, श्री राहुल भारम्बे, श्री गोविंद पाटिल और श्री मोहन चौधरी की विशेष भूमिका रही। कार्यक्रम का संचालन डॉ. सुब्रमण्यम और धन्यवाद ज्ञापन मोनिका भावसार एवं श्री गोपाल लाल ने किया।
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