एफएमसी और जी.बी. पंत विश्वविद्यालय के बीच गठबंधन
29 अप्रैल 2022, पंत नगर । एफएमसी और जी.बी. पंत विश्वविद्यालय के बीच गठबंधन – एफएमसी इंडिया ने आज गोविंद बल्लभ पंत यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नॉलॉजी (जीबी पंत विश्वविद्यालय) के साथ एमओयू किया है। इस सहयोग के तहत मधुमक्खी पालन द्वारा ग्रामीण महिलाओं में उद्यमिता का विकास किया जाएगा तथा उन्हें अपना जीवन स्तर सुधारने व अपने परिवार के लिए सतत आय का सृजन करने में मदद की जाएगी।
मधुशक्ति परियोजना उत्तराखंड के तराई क्षेत्रों में तीन सालों तक चलेगी, जहां पर शहद का उत्पादन करने के लिए उपयोगी औषधियां और वनस्पतियां भरपूर मात्रा में हैं।
एफएमसी इंडिया के प्रेसिडेंट, श्री रवि अन्नावरापु ने कहा, ‘‘मधुशक्ति परियोजना द्वारा हम ग्रामीण परिवारों के जीवन में परिवर्तन और महिलाओं को कृषि क्षेत्र में सतत व्यवसाय के अवसर प्रदान करना चाहते हैं। इस परियोजना की सफलता से न केवल भारत में महिला किसानों को मधुमक्खी पालन को एक व्यवसाय के रूप में अपनाने का प्रोत्साहन मिलेगा, बल्कि गहन कृषि के तहत परागण करने वाले कीटों की सुरक्षा करने की वैश्विक समस्या का समाधान भी होगा।’’
इस परियोजना के तहत, सितारगंज, कोटाबाग, अल्मोड़ा और रानीखेत से ग्रामीण महिलाओं को चुनकर उन्हें मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इन किसानों द्वारा मधुमक्खी के छत्तों से एकत्रित किए गए शहद को विश्वविद्यालय के ‘हनी बी रिसर्च एंड ट्रेनिंग सेंटर’ (एचबीआरटीसी) द्वारा खरीद लिया जाएगा और इसकी राशि एक रिवॉल्विंग फंड द्वारा दी जाएगी, जो मधुमक्खी के छत्तों से प्राप्त उत्पाद और किसानों का भुगतान करने के लिए स्थापित किया गया है।
जीबी पंत विश्वविद्यालय के कुलपति, डॉ. ए. के. शुक्ला ने कहा, ‘‘राज्य की समृद्ध जैवविविधता द्वारा मधुमक्खियों को विकास करने, विस्तृत किस्म के शहद का निर्माण करने, और प्राकृतिक परिवेश को संतुलित रखने में मदद मिलेगी। इस परियोजना से न केवल पर्यावरण, अपितु किसानों को भी व्यापक लाभ मिलेगा।’’
उत्तराखंड जैसे जैविक विविधता वाले राज्य में मधुमक्खी पालन के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। इस राज्य में वर्तमान में केवल 12,500 मीट्रिक टन शहद का उत्पादन होता है। मधुशक्ति जैसी परियोजना के बाद यहां पर कई गुना ज्यादा शहद का उत्पादन होने की संभावनाएं हैं।
इस परियोजना का अनावरण जी. बी. पंत विश्वविद्यालय में कुलपति, डॉ. ए. के. शुक्ला; डायरेक्टर, रिसर्च, डॉ. अजीत नैन , एफएमसी इंडिया के प्रेसिडेंट, रवि अन्नावरापु ; श्री राजू कपूर, और स्टुअर्डशिप लीड फॉर एशिया पैसिफिक एस्ले एनजी की मौजूदगी में किया गया।