ग्रोमोर नैनो डीएपी: फसल की उत्पादकता और गुणवत्ता में करे सुधार
29 मार्च 2025, इंदौर: ग्रोमोर नैनो डीएपी: फसल की उत्पादकता और गुणवत्ता में करे सुधार – वर्तमान में देश में नैनो तकनीक का उपयोग जीवन के विभिन्न क्षेत्रों जैसे चिकित्सा , ऊर्जा , इलेक्ट्रॉनिक्स के साथ ही कृषि में भी बढ़ने से हमारे जीवन में क्रांतिकारी बदलाव देखा जा रहा है। इसी नैनो तकनीक पर आधारित कोरोमंडल इंटरनेशनल लिमिटेड का उत्पाद ग्रोमोर नैनो डीएपी का प्रयोग करने से न केवल फसल की उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार होता है , बल्कि मिट्टी के स्वास्थ्य का भी संरक्षण होता है।
फास्फोरस की उपयोग क्षमता में वृद्धि – फसलों में फास्फोरस का प्रयोग एक से अधिक बार करने की सलाह इसलिए दी जाती है, क्योंकि मिट्टी द्वारा उपयोग में जड़ों के विकास और वानस्पतिक वृद्धि के लिए यह ज़रूरी है , जबकि स्प्रे का प्रयोग बेहतर पुष्पन, अनाज और फलदार पौधों के विकास को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है। फास्फोरस मिट्टी में स्थिर रहता है और मिट्टी में डाले जाने वाले उर्वरकों के माध्यम से उसकी उपयोग क्षमता 20 -25 % ही होती है , क्योंकि मिट्टी द्वारा दिया गया डीएपी पौधों के महत्वपूर्ण विकास चरणों में फास्फोरस की ज़रूरत की पूर्ति नहीं कर पाता है, जबकि ग्रोमोर नैनो डीएपी पौधे के विकास के हर चरण में फास्फोरस की आवश्यकता को पूरा कर उसकी उपयोग क्षमता को भी बढ़ाता है।
ग्रोमोर नैनो डीएपी की कार्य पद्धति – ग्रोमोर नैनो डीएपी प्रकाश संश्लेषण एवं अन्य एंजाइम गतिविधि में सहायता करने के लिए पौधों में फास्फोरस की अहम ज़रूरत को पूरा करता है। ग्रोमोर नैनो डीएपी में पॉलिमर कैप्सूल में डीएपी कण होते हैं, जो नैनो आकार ( < 100 एनएम ) के होते हैं। नैनो डीएपी कण नियंत्रित तरीके से डीएपी छोड़ते हैं , जिससे पौधों में आंतरिक रूप से उचित सांद्रता में फास्फोरस की उपलब्धतता सुनिश्चित करते हैं।ग्रोमोर नैनो डीएपी ने विभिन्न स्थानों / फसलों पर देश भर के 18 आईसीएआर संस्थानों और विश्वविद्यालयों में हुए परीक्षणों के दौरान सकारात्मक परिणाम दिए हैं।
ग्रोमोर नैनो डीएपी की विशेषताएं एवं लाभ –
विशेषताएं – ग्रोमोर नैनो डीएपी सफेद ( दूधिया ) रंग का जलीय नैनो उर्वरक है , जिसे कोरोमंडल द्वारा प्राकृतिक पॉलिमर क्रॉस लिंकिंग तकनीक से विकसित किया गया है। इसमें कणों का आकार 100 नैनोमीटर के बीच होता है, जिसमें नाइट्रोजन 2 %और फास्फोरस 5 % ( वजन के अनुसार ) शामिल होता है और अपने प्रभाव से फसलों में अनुशंसित डीएपी की मात्रा में कमी करने में प्रभावी भूमिका निभाता है। इसका कारण नैनो डीएपी के 60 -80 % नैनो कणों का आकार 50 नैनोमीटर से कम होना है, जिससे यह बहुत प्रभावशाली बन जाता है। ग्रोमोर नैनो डीएपी का पीएच 4.5 -6 है, जो कई फसलों की वृद्धि के लिए अनुकूल है। यही नहीं ग्रोमोर नैनो डीएपी हानिकारक भारी धातुओं से मुक्त होने के कारण मिट्टी और पौधों के लिए नुकसान रहित पर्यावरण अनुकूल उत्पाद है।
लाभ – ग्रोमोर नैनो डीएपी के प्रयोग से पारम्परिक डीएपी ( मिट्टी में भुरकने या छिड़कने वाले ) की तुलना में विभिन्न फसलों में आधे बैग से लेकर एक बैग की कमी आती है, जैसे कपास , प्याज़ -लहसुन ,आलू , टमाटर ,गोभी, फसल में एक बोरी ( अनुशंसित मात्रा एक लीटर /एकड़ ) ,गेहूं ,धान , मक्का, तिलहन फसल तथा दालें में आधा बोरी ( अनुशंसित मात्रा 500 मिली लीटर के दो स्प्रे ) कम लगती है। इसका अत्यंत छोटा आकार और उच्च सतह क्षेत्र इसे स्मार्ट डिलीवरी सिस्टम के लिए उपयुक्त बनाता है, जो फसलों द्वारा तेज़ी से अवशोषण सुनिश्चित करता है। इसे संभालना और साथ में ले जाना आसान है। जिससे परिवहन लागत भी कम होती है। यह फसल के अहम चरणों में फास्फोरस की पूर्ति करता है , जिसके कारण उच्च फसल उत्पादकता और गुणवत्ता सुनिश्चित होती है। यह मिट्टी के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के साथ ही कृषि को पर्यावरण अनुकूल बनाता है।
मात्रा एवं प्रयोग : ग्रोमोर नैनो डीएपी की मात्रा – एक लीटर /एकड़ ( प्रत्येक 500 मिली लीटर के दो स्प्रे ) पर्याप्त है। इसका पहला छिड़काव वानस्पतिक अवस्था में ( फसल की बुआई /रोपाई के 25 -30 दिन बाद करें। दूसरा छिड़काव फूल खिलने से पहले की अवस्था में ( फसल बुआई /रोपाई के 45 -50 दिन बाद) करें। ग्रोमोर नैनो डीएपी बाजार में उपलब्ध अधिकांश कवकनाशी और कीटनाशकों के साथ प्रयोग के अनुकूल है। इसका उपयोग कृषि रसायन, जैव औषधि उत्पादों के साथ मिलाकर किया जा सकता है। यह पानी में घुलनशील तरल उर्वरक है , जिसका प्रयोग करते समय सभी आवश्यक सावधानी रखने की सलाह दी जाती है।
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