बिस्तरा खाद से घटाएं लागत, बढ़ाएं पैदावार
(दिलीप दसौंधी)
22 फरवरी 2021, मंडलेश्वर । बिस्तरा खाद से घटाएं लागत, बढ़ाएं पैदावार – हमारे यहां के किसानों द्वारा प्राय: कच्ची गोबर की खाद को सीधे खेत में डाल दिया जाता है, लेकिन इससे भूमि में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए बीसीआई परियोजना द्वारा बिस्तरा खाद बनाने के प्रशिक्षण की पहल की गई, ताकि किसानों की लागत घटे और पैदा वार अधिक हो ।
बता दें कि निमाड़ के खरगोन और बड़वानी जिले के 284 सेअधिक गांवों में गत 6 वर्षों से के.के. फाइबर्स और निरंजनलाल फाउंडेशन द्वारा बीसीआई परियोजना (बेहतर कपास उत्पादन कार्यक्रम) संचालित की जा रही है। इसी क्रम में इस परियोजना की घुघरियाखेड़ी इकाई द्वारा ग्राम रेहगांव में प्रशिक्षण कार्यक्रम रखा गया। इस इकाई के प्रबंधक श्री शैलेन्द्र बिरला ने बताया कि प्रशिक्षण के दौरान किसानों के समक्ष मात्र 4 मिनट में उच्च गुणवत्ता वाला बिस्तरा खाद बनाकर दिखाया गया। परियोजना प्रमुख श्री आशुतोष अग्रवाल ने कहा कि इस कार्यक्रम में हमसे 25 हजार किसान परिवार जुड़े हुए हैं।
बिस्तरा खाद बनाने की विधि
परियोजना प्रबंधक श्री गौरव निखोरिया ने बताया कि इस खाद को बनाना बहुत आसान है। इसे बनाने के लिए मुख्य रूप से 1 किलोग्राम माध्यम कल्चर, 500 लीटर पानी, 1 ट्रॉली कच्ची गोबर की खाद, 5 -10 किलो नीम और अकाव की पत्तियां,1 -5 लीटर गौ मूत्र, 10 किलो चूल्हे की राख और 5 -10 किलो अन्य सूखे या गीले कचरे की जरूरत होती है। इसे मिलाने के बाद बिस्तर जैसा बिछा दिया जाता है। 60 -70 दिनों बाद हमें पकी हुई खाद प्राप्त होती है, जिसमें बड़ी मात्रा में पोषक तत्व मौजूद रहते हैं। इससे भूमि की उर्वरा शक्ति बनी रहती है।