इस साल बेहतर मानसून – किसानों को होगा सुकून
(नई दिल्ली कार्यालय) नई दिल्ली। इस वर्ष देश एवं प्रदेश में कम वर्षा से जूझ रहे कृषि क्षेत्र के लिए राहत देने वाली खबर है। बारिश के चार महिनों में बेहतर मानसूनी वर्षा होने की संभावना है जो किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं। मौसम का पूर्वानुमान लगाने वाली निजी संस्था स्काईमेट ने इस साल सामान्य मानसून रहने की संभावना जताई है। स्काईमेट के मुताबिक चार माह में 887 मि.मी. वर्षा होने का अनुमान है। स्काईमेट ने कहा कि 2018 में दक्षिण-पश्चिमी मानसून सामान्य रह सकता है, जिसमें शत-प्रतिशत दीर्घावधि औसत (एलपीए) के साथ 5 प्रतिशत की कमी या बढ़ोत्तरी (मॉडल एरर) की गुंजाइश हो सकती है। मानसून सामान्य रहने के अनुमान से कृषि क्षेत्र को दम मिलेगा, वहीं खाद्य महंगाई निचले स्तर पर रहने से ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश बढ़ जाएगी। |
जून से सिंतबर महीने की बारिश का दीर्घावधि औसत करीब 887 मिलीमीटर है। एजेंसी का कहना है कि इस साल देश में बारिश लंबी अवधि की औसत का 100 फीसदी हो सकता है, जिसमें 5 प्रतिशत कम या ज्यादा होने की संभावना है। सामान्य रहने की 80 प्रतिशत संभावना है जो एलपीए के 96-104 प्रतिशत के बीच रह सकता है।
जून में झमाझम
पिछले तीन सीजन में वास्तविक बारिश स्काईमेट के 2015 और 2016 के पूर्वानुमान के मुकाबले कम हुई। हालांकि बाद में इस अनुमान में संशोधन भी हो सकता है। स्काईमेट ने कहा है कि जून में मानसून की बारिश दीर्घावधि औसत की 111 प्रतिशत होगी और इसमें बारिश के सामान्य रहने की 90 प्रतिशत संभावना होगी। जून में करीब 164 मिलीमीटर बारिश होती है। जुलाई में बारिश एलपीए की 97 प्रतिशत तक हो सकती है और इसके 70 प्रतिशत सामान्य रहने की उम्मीद है।
जुलाई बुवाई में अहम
जुलाई में देश में करीब 289 मिलीमीटर बारिश होती है जो जून से शुरू होने वाले चार महीने के मानसून के सीजन में सबसे ज्यादा है। जुलाई इस वजह से भी अहम है क्योंकि इसी दौरान ज्यादातर खरीफ फसलों की बुआई होती है। स्काईमेट का कहना है कि अगस्त में देश को 96 प्रतिशत एलपीए के बराबर बारिश होने की उम्मीद है और इसके सामान्य होने की 65 प्रतिशत संभावना है।
देश में अगस्त महीने में 262 मिलीमीटर की बारिश होती है। सितंबर में एलपीए के 101 फीसदी तक बारिश होने की उम्मीद है और इसके सामान्य रहने की 80 प्रतिशत संभावना है। मानसून सीजन के आखिरी महीने में देश में करीब 173 मिलीमीटर की बारिश होती है। दक्षिण-पश्चिमी मानसून न केवल कृषि की वृद्धि के लिये अहम है बल्कि इससे सामान्य अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलता है। बेहतर मानसून से न केवल खरीफ की फसल अच्छी होने की संभावना बढ़ती है बल्कि इससे जलाशयों को भरने और भूमिगत जल के स्रोत बढऩे में भी मदद मिलती है जो रबी फसलों के लिए भी अहम होता है। देश की सालाना बारिश का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा जून से सितंबर के महीने में बढ़ता है। 2017 के दक्षिण-पश्चिमी मानसून सीजन में 95 प्रतिशत के एलपीए के साथ सामान्य से कम बारिश हुई जबकि मौसम विभाग ने 4 फीसदी कमी-बढ़ोत्तरी के माडल एरर के साथ 98 प्रतिशत एलपीए पर बारिश के सामान्य रहने का पूर्वानुमान लगाया था। स्काईमेट ने वर्ष 2017 में मानसून के ‘सामान्य से कम’ रहने का पूर्वानुमान लगाया था। पिछले साल मानसून ने जून और जुलाई में संतुलित शुरूआत की थी लेकिन अगस्त महीने में और सिंतबर की शुरूआत तक इसमें विस्तारित अंतराल दिखा।
स्काईमेट और मौसम विभाग का अनुमान | |||
वर्ष | स्काईमेट का अनुमन | मौसम विभाग का अनुमान | वास्तविक वर्षा |
2012 | 94 | 99 | 92 |
2013 | 103 | 98 | 106 |
2014 | 94 | 96 | 88 |
2015 | 102 | 93 | 86 |
2016 | 105 | 106 | 97 |
2017 | 95 | 96 | 95 |
अद्यतन 98 फीसदी | |||
नोट – सभी अनुमान मॉडल एरर+- 4 से 5 फीसदी के दायरे में अनुमान एलपीए के फीसदी में। |