समस्या – समाधान (Farming Solution)

अनानास की खेती करना चाहता हूं प्रारंभिक जानकारी देने का कष्ट करें

समस्या – अनानास की खेती करना चाहता हूं प्रारंभिक जानकारी देने का कष्ट करें।
– रामस्वरूप रघुवंशी, होशंगाबाद
समाधान – अनानास के लिये गर्म नमी वाली जलवायु उपयुक्त रहती है। इसके लिए 22 से 32 डिग्री से. तापक्रम उपयुक्त रहता है। दिन-रात के तापक्रम में कम से कम 4 डिग्री का अंतर होना चाहिए। रेतीली दोमट मिट्टी जिसका पीएच 5.0 से 6.0 के मध्य हो इसके लिये उपयुक्त रहती है।
– खेत तैयार करने के बाद खेत में 90 से.मी. दूरी पर 15 से 30 से.मी. गहरी खाईयां बना लें।
– रोपाई के लिये अनानास के सकर,स्लीप या अनानास का ऊपरी भाग उपयोग में लाया जाता है, लगाने के पूर्व इन्हें 0.2 प्रतिशत डाईथेन एम 45 के घोल से उपचारित कर लें।
– रोपाई दिसम्बर-मार्च के मध्य अधिकांश क्षेत्रों में की जाती है परंतु स्थिति अनुसार इसे बदला जा सकता है। बहुत अधिक वर्षा के समय रोपाई न करें।
– रोपाई के 12 से 15 माह में फसल तैयार हो जाती है। पौधे से पौधे की दूरी 25 से.मी., लाइन से लाइन की दूरी 60 से.मी. खाईयों के बीच रखें। उर्वरक की मात्रा प्रति पौधा 12 ग्रा. नत्रजन, 4 ग्राम स्फुर व 12 ग्राम पोटाश रखें। अधिकतर अनानास की खेती वर्षा आधारित होती है। आवश्यकतानुसार 20-25 दिन में सिंचाई देने से लाभ होता है।
समस्या – सर्पगंधा की खेती के लिये आवश्यक बातें क्या हैं।
– प्यारेलाल, नसरुल्लागंज
समाधान-  सर्पगंधा को विभिन्न प्रकार की मिट्टियों में उगाया जा सकता है परंतु जैविक तत्व युक्त दोमट मिट्टी जिसमें पानी का निकास अच्छा हो उपयुक्त रहती है। मिट्टी का पी.एच. मान 4.6 से 6.2 के मध्य हो तो अच्छा है। पी.एच.मान 8.0 से अधिक न हो।
– आप सर्पगंधा-1 जाति लगा सकते हैं जो 18 महिने में प्राप्त हो जाती है और इसकी उपज लगभग 25 क्विंटल प्रति हेक्टर है।
– इसे बीज, जड़, तना, कटिंग द्वारा उगाया जा सकता है।
– बीजों से नर्सरी मई के मध्य में लगा लें बीजों को 6-7 से.मी. दूरी पर 1-2 से.मी. गहराई में बोयें। बोने के पूर्व बीजों को रात भर पानी में भिगा लें।
– इस फसल को 20 किलो नत्रजन, 30 किलो फास्फोरस तथा 30 किलो पोटाश प्रति हेक्टर आधार खाद के रूप में लगती है। खड़ी फसल में 20-20 किलो नत्रजन प्रति हेक्टर दो बार खड़ी फसल में दें। पौध संरक्षण करते रहे। उपज के रूप में जड़ों का उपयोग होता है। जहां रोपाई के लगभग 3 वर्ष बाद निकालें। जहां तक संभव हो जड़ों की खुदाई दिसम्बर में करें। इससे अधिक एल्कोसाइड प्राप्त होते हैं।
समस्या – गेहूं को भंडारण में रखने के लिये उपयुक्त दशा क्या होनी चाहिए ताकि कीट न लगें।
– सतीश पटेल, रतलाम
समाधान- गेहूं तथा अन्य अनाजों के भंडारण में कीटों तथा सूक्ष्म जीवों के आक्रमण की संभावना बनी रहती है। इससे बचने के लिये निम्न बातों का ध्यान रखना आवश्यक है।
– अनाज में भंडारण के पूर्व नमी 10 प्रतिशत से कम रहनी चाहिए। अधिक नमी में अनाज में कीट तथा फफूंद का प्रकोप होने की संभावना हमेशा बनी रहेगी। इसलिये आप गेहूं को अच्छी तरह सुखा लें सूखने के बाद यदि दाना दांतों से दबाने पर कट्ट की आवाज के साथ टूटे तो समझ लीजिए की वह पूरी तरह सूख गया है और संग्रहण के लायक है। अधिकांश कीट अनाज की 10 प्रतिशत नमी में नहीं पनप पाते हैं।
– धूप में सुखाने के बाद संग्रहण के पूर्व कुछ समय के लिये उसे छाया में रखें जिससे दानों की गर्मी निकल जाये।
– यदि गेहूं में साबुत दानों के साथ कटे व टूटे दाने भी हो तो कीट व फफूंद लगने की संभावना रहती है। यदि आपको लंबे समय तक गेहूं भंडारण में रखता है तो छान कर टूटे कटे दाने निकाल कर स्वस्थ पूर्ण दाने ही भंडारण में रखे।
– भंडारण के पूर्व भंडारगृह को अच्छी तरह साफ कर उसमें दरारों, गड्ढों को भर लें ताकि उनमें कीट पहले से ही छिपे न रहे।

समस्या- पिछले वर्ष अच्छी तरह सुखा कर भंडारण करने के बाद भी रोयेदार इल्ली खपरा भृंग का आक्रमण हुआ था। कारण बतायें।
– देवेन्द्र उइके, नरसिंहपुर
समाधान – – गेहूं में लगने वाले खपरा भृंग संसार का संग्रहित अनाज का प्रमुख कीट है। यह कीट 2 प्रतिशत आद्रता की स्थिति में भी अपना विकास करने की क्षमता रखता है। यह अकेला कीट है जो दानों में 8 प्रतिशत से कम नमी में भी विकसित हो सकता है। गेहूं को धूप में अच्छी तरह सुखाने पर दानों में नमी का प्रतिशत 9 के नीचे नहीं जा पाता इसलिये अच्छी तरह सुखाने के बाद भी खपरा भृंग का प्रकोप भंडारण में हो सकता है।
– यह 8 डिग्री से.ग्रे. से तापक्रम में जिन्दा रहता है और यदि इसे कोई भोज्य पदार्थ न मिले तब भी यह तीन वर्ष तक जिन्दा रहने की क्षमता रखता है। यह अपनी त्वचा छोड़ता रहता है अनाज की ऊपरी सतह पर इकट्ठी त्वचा द्वारा इसके प्रकोप को पहचाना जा सकता है।
– भंडारण के पूर्व ये सुनिश्चित कर लें कि भंडारगृह में खपरा भृंग की कोई भी अवस्था न हो। इसके लिये भंडारगृह की सफाई के बाद भंडारगृह में मेलाथियान 0.1प्रतिशत घोल का छिड़काव अच्छी तरह कर लें।

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