समस्या – समाधान
समस्या – मैं धान के खेत में नीलहरित काई का उपयोग करना चाहता हूं कृपया तरीका बतलायें।
– पवन कुमार,मासौद
समाधान-धान के खेत में डाली गई रसायनिक उर्वरकों की मात्रा का केवल 30-40 प्रतिशत ही पौधों को प्राप्त हो पाता है। इस कारण यदि नीलहरित काई का उपयोग किया जाये तो अधिक लाभ लिया जा सकता है। आप निम्न उपचार करें-
1. धान के खेत में रोपाई के 7 दिनों बाद ही इसका उपयोग करें।
2. खेत में स्थिर पानी 8 से 10 से.मी. होना चाहिये।
3. एक हेक्टर क्षेत्र में 8-10 किलो नील हरित काई डाली जाये तथा पानी के बहाव को रोक दें।
4. फास्फेट का उपयोग रोपाई के समय ही करें।
5. अच्छे उत्पादन के लिये फसल के लिये निर्धारित उर्वरक का 2/3 भाग कम किया जा सकता है।
6. पानी से भरे खेतों में नील हरित काई तैयार करके बेची भी जा सकती है।
समस्या- संकर धान लगाना चाहता हूं कृपया प्रमुख सावधानियां बताएं।
– रमाशंकर मौर्य, होशंगाबाद
समाधान – संकर धान का विस्तार बड़ी तेजी से हो रहा है कारण इससे अधिक उत्पादन भी अच्छा मिलता है परंतु कुछ सावधानियों का पालन आवश्यक होगा।
1. रोपा पद्धति द्वारा ही इसे लगाया जाये छिड़क के नहीं लगायें।
2. एक वर्ग मीटर की नर्सरी में 20 ग्राम से अधिक बीज नहीं डालें।
3. एक स्थान पर एक ही पौधा दो से.मी. गहराई पर लगाया जाये।
4. संतुलित मात्रा में उर्वरक दिया जाये। इस कारण खेत की मिट्टी की जांच पहले ही करा लें।
5. सूक्ष्म तत्व जस्ता, गंधक आदि का उपयोग करें।
6. पुराने बीज का उपयोग हर वर्ष कदापि नहीं करें।
7. सिंचाई व्यवस्था पुख्ता की जाये।
समस्या- सोयाबीन से लक्षित उत्पादन प्राप्त करने के लिये महत्वपूर्ण तकनीकी का उल्लेख करें।
– अमर सिंह राठौर, सीहोर
समाधान – सोयाबीन का रकबा दिन पर दिन बढ़ता ही जा रहा है परंतु कोई ना कोई कारण से उत्पादकता उस मान से नहीं बढ़ पा रही है। कुछ बिन्दुओं से आपका परिचय जरूरी है।
1. बीज का अंकुरण परीक्षण करके ही बीज दर तय की जाये।
2. छंटाई/छनाई के बाद बीजोपचार फफूंदनाशी, कल्चर तथा पी.एस.बी. कल्चर से करना अनिवार्य बात होनी चाहिए।
3. बुआई के समय ही कतार छोड़ पद्धति का पालन किया जाये। 18 चांस वाली मशीन में अठाहरवी चांस कोरी बिना बोई रखी जाये ताकि अतिरिक्त जल का निथार, पौध संरक्षण कार्यों के लिये जगह तथा जरूरत पडऩे पर जीवन रक्षक सिंचाई के लिये जगह हो।
4. बीज खाद मिश्रण कदापि नहीं किया जाये। बीज उर्वरक के नीचे गिरे ऐसा प्रबंध करें।
5. संतुलित उर्वरक उपयोग करें स्फुर का उपयोग जरूरी होगा।
6. अंकुरण उपरांत खाली स्थानों पर बीज डालें तथा दो कोपलों की पक्षियों से रक्षा करें।
7. फिजियोलॉजीकल स्तर पर कटाई करें अर्थात् दाने की कड़ाई परखकर आंशिक हरी अवस्था में ही कटाई की जाये।
समस्या- कपास की पत्तियों पर धब्बे के रोग लगते हैं क्या करें ?
– सुधीर गर्ग, खरगौन
समाधान- कपास के पत्तों पर मुख्य रूप में चार प्रकार के धब्बा रोग फफूंदी के द्वारा लगते हैं जिनसे बहुत हानि भी होती है कृपया इन्हें पहचानें और उपचार करें।
1. कपास का अंगमारी धब्बा रोग के लक्षण पत्तियों पर भूरे रंग के छोटे-छोटे गोल धब्बे बनते है। जो बढ़कर बड़े होकर हानि पहुंचाते है। पौधों पर लक्षण देखते ही कोई भी ताम्रयुक्त फफूंदनाशी 2 ग्राम/लीटर पानी में घोल बनाकर 15 दिनों के अंतर से दो छिड़काव करें।
2. माईशोथिसियम धब्बा के लक्षण पत्तियों पर गोल भूरे धब्बे बनते हैं बड़े होने पर बीच का हिस्सा गिर जाता है। इसके नियंत्रण के लिये भी उपरोक्त दवा कारगर होगी।
3. हेलमिथोस्पोरियम धब्बे गोल अनियमित होते हैं मध्य का भाग मटमैला होता है रोकथाम के लिये कैराथियान 10 मि.ली./10 लीटर पानी में घोल बनाकर अथवा वीटावैक्स इसी मात्रा में घोल बनाकर 15 दिनों के अंतर से दो छिड़काव करें।
4. सरकोस्पोरा धब्बा सफेद रंग के गोल – गोल बनते हैं उपचार हेतु ताम्रयुक्त फफूंदनाशी 2 ग्राम/लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
समस्या- सोयाबीन का अफलन रोग कैसे और कब आता है। नियंत्रण के उपाय भी बतलायें।
– जमुना प्रसाद,
सतवास, होशंगाबाद
समाधान – सोयाबीन की यह बीमारी वास्तव में कीट के कारण होती है। हर वर्ष जहां कहीं भी यह समस्या आती है वहां विशेष सावधानी बरतने से इसे रोका भी जा सकता है। चूंकि यह कीट प्रकोप का परिणाम है। सम्भावित आक्रमण के पहले ही क्लोरोपायरीफास 20 ई.सी. की 1.5 लीटर मात्रा या ट्राईजोफास 40 ई.सी. की 500 मि.ली. मात्रा या क्यिनालफास 25 ई.सी. की 1.5 लीटर या ईथोफ्रेनफास की 1 लीटर मात्रा प्रति हेक्टर के हिसाब से दो छिड़काव पहला बुआई के 18 से 20 दिन तथा दूसरा 28-30 दिन बाद आवश्यक रूप से कर दें। छिड़काव हेतु 800 लीटर पानी प्रति हेक्टर की दर से पर्याप्त होगा।
1. बुआई समय 10 किलो/हे. फोरेट 10 जी प्रति हे. के हिसाब से भूमि उपचार करके बुआई करें।
2. पौधों की सघनता का असर रोग के प्रकोप पर होता है अतएव बीज दर सिफारिश के अनुरूप ही डालें।