Farming Solution (समस्या – समाधान)

रिलायंस फाउण्डेशन की किसानों को सलाह

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  • गेहूँ में चौथी सिंचाई फूल अवस्था पर करें, जो बुआई के 75 से 80 दिन में आती है। समय से बोये हुए गेहूं की फसल में पाँचवीं सिंचाई दूधिया अवस्था (बुआई के 90 से 95 दिन) पर सिंचाई करें।
  • गेहूँ में पीला रतुआ (रस्ट) रोग की निरंतर निगरानी करते रहें। यदि रोग के लक्षण दिखाई दें तो प्रोपिकोनाजोल 25 ईसी 2.5 मिली लीटर प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। गेहूँ की फसल में दीमक का प्रकोप दिखाई दे तो बचाव हेतु क्लोरोपायरीफॉस 20 ई सी 1 ली./एकड़ सिंचाई के साथ दें।
  • चने की फसल में कटुआ इल्ली का नियंत्रण हेतु ट्रायजोफॉस 2.5 एम.एल. दवा प्रति लीटर पानी मिलाकर छिड़काव करें।
  • सरसों में रसचूसक कीट माहू के नियंत्रण हेतु इमिडाक्लोप्रिड या एसिटामिप्रिड दवा 0.3 मिली/ली. की दर से छिड़काव करें। सरसों में दूसरी सिंचाई बोनी के 65-75 दिन बाद फलियों में दाना बनते समय करें।
  • मटर में पाउडरी मिल्डयू रोग की संभावना हो सकती है इसके नियंत्रण हेतु घुलनशील सल्फर 3 ग्राम/ली. पानी के हिसाब से 500 से 600 ली. पानी में घोल बनाकर/हेक्टर छिड़कें।

उद्यानिकी

  • प्याज में थ्रिप्स या रस चूसने वाले कीटों के नियंत्रण के लिए डायमिथिएट 2 मिली/लीटर या 3 मिली नीम का तेल प्रति लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें, 200 लीटर पानी प्रति एकड़ की दर से उपयोग करें।
  • सब्जियों में सफेद मक्खी कीट के द्वारा पीला मोजेक वायरस रोग फैलता है। नियंत्रण के लिए इथोफेनप्रॉक्स10 ईसी एक लीटर दवा 500 लीटर पानी के साथ मिलाकर या 25 से 30 मिली दवा प्रति पम्प छिड़काव करें।

किसानों को सोयाबीन में खरपतवार प्रबंधन की सलाह दी

पशुपालन

  • चारे हेतु बरसीम की फसल की समय-समय पर कटाई करें, कटाई उपरांत सिंचाई कर अनुशंसित उर्वरक की मात्रा दें।
  • दुधारू पशुओं को हरा चारा 25 किलो प्रति पशु प्रति दिन व संतुलित आहार एवं मिनरल की आपूर्ति हेतु 35 से 40 ग्राम प्रति पशु के हिसाब से मिनरल मिश्रण की खुराक दें।

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केला के प्रमुख रोग एवं निदान

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