किसानों की सफलता की कहानी (Farmer Success Story)

जैविक खेती से ‘रोशन’ होती ज़िंदगी

02 दिसम्बर 2023, पांढुर्ना(उमेश खोड़े, पांढुर्ना): जैविक खेती से ‘रोशन’ होती ज़िंदगी – दो साल पहले कोविड ने कई लोगों की ज़िंदगी को बदल दिया था।इनमें ग्राम रायबासा जिला पांढुर्ना निवासी विज्ञान स्नातक श्री रोशन पांसे भी शामिल हैं । वे पहले भोपाल में ऑटोमोबाइल के क्षेत्र में नौकरी करते थे। कोविड के कारण रोज़गार पर असर पड़ा तो गांव लौटे। इनके पिताजी रासायनिक खेती करते थे , जिसमें लागत अधिक आती थी। पुश्तैनी ज़मीन पर इन्होंने जैविक खेती करने की ठानी। जैविक खेती की प्रेरणा विडियो देखकर मिली। जैविक खेती का पंजीयन कराया और एक एकड़ से इसकी शुरुआत की और रकबा बढ़ाते गए । अभी 8 एकड़ में जैविक खेती की जा रही है ।

श्री रोशन ने बताया कि हमारी 12 एकड़ ज़मीन है। सिंचाई के लिए कुंआ है, जिसमें पर्याप्त पानी है । शुरुआत एक एकड़ से की। 2021 में खरीफ में सोयाबीन , मक्का और कपास लगाया। गोबर खाद गांव के गोठानों से एकत्रित की। पहले साल उत्पादन कम मिला , लेकिन हिम्मत नहीं हारी। रबी में दो एकड़ में गेहूं बोया। उत्पादन तो ठीक रहा ,लेकिन लागत में कमी आना शुरू हो गई। दूसरे साल 2022 में जैविक खेती का रकबा करीब 4 एकड़ कर दिया खरीफ में कपास के साथ अंतरवर्तीय फसल में सोयाबीन लगाई। रोग कम लगे। मित्र कीट बढ़े। सोयाबीन से पौधों को नाइट्रोजन भी मिल गई। सोयाबीन का उत्पादन 12 -13 क्विंटल और कपास का 20 -22 क्विंटल /एकड़ मिला। रबी में दो एकड़ में गेहूं लगाया। 12 -13 क्विंटल /एकड़ का उत्पादन मिला। शेष खेत में भी रासायनिक उर्वरक की मात्रा कम करते जा रहे हैं।

इस साल खरीफ में 8 एकड़ में जैविक कपास और अंतरवर्तीय फसल में सोयाबीन लगाई। दशपर्णी और लाल टॉनिक के अलावा आत्मा अधिकारियों की सलाह पर सोयाबीन के यलो मोजेक में नीम तेल का स्प्रे किया। सोयाबीन का उत्पादन करीब 12 क्विंटल मिला। जैविक दवाइयों के प्रयोग से संतरे के 40 पेड़ों से 120 कैरेट उत्पादन मिला, जो आश्चर्यजनक है। इस साल रबी में धान की जगह पर गेहूं लगाया है ।जैविक गेहूं डेढ़ एकड़ में लगाया है। साथ में गेंदा भी लगाया है। कपास की चुनाई अभी चालू है। 15 क्विंटल कपास निकल चुका है। रासायनिक खरपतवारनाशक की जगह हाथ से निंदाई कराई , जिससे थोड़ा खर्च बढ़ा , लेकिन कीटनाशकों का खर्च बचने से कुल मिलाकर 50 – 60 हज़ार रु की बचत हुई। धीरे -धीरे जब पूरी 12 एकड़ ज़मीन में जैविक खेती आकार लेगी तो ,अभी रासायनिक पर होने वाला खर्च भी बंद हो जाएगा। जिससे आय में वृद्धि होगी। किसान श्री पांसे की जैविक खेती से ज़िंदगी ‘रोशन ‘ होने लगी है।

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