Farmer Success Story (किसानों की सफलता की कहानी)

सौर ऊर्जा में निवेश से सुरक्षित हुआ भविष्य

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(विशेष प्रतिनिधि)

9 सितम्बर 2021, इंदौर । सौर ऊर्जा में निवेश से सुरक्षित हुआ भविष्य – धरती पर ऊर्जा का प्रमुख स्रोत सूर्य है, जिसकी किरणों को सौर ऊर्जा पैनलों के माध्यम से बिजली में परिवर्तित कर निरंतर कमाई की जा सकती है। राजस्थान में जयपुर जिले की कोटपुतली तहसील के ग्राम कंवरपुरा निवासी डॉ. अमित यादव ने क्षेत्र में लगातार नीचे गिरते भू जल स्तर से खेती के असुरक्षित भविष्य को देखते हुए शिक्षक पिता की भविष्य निधि और अपनी जमा पूँजी को सौर ऊर्जा में निवेशित कर भविष्य को सुरक्षित कर लिया है।

डॉ. अमित यादव ने कृषक जगत को बताया कि बीकानेर से एमबीबीएस करने के बाद वे कोटपुतली में निजी क्लिनिक चलाते हैं साथ में खेती भी करते हैं। पिताजी के नाम 13 बीघा ज़मीन है, जिसमें खरीफ में बाजरा और ग्वारगम तथा रबी में गेहूं और सरसों की परम्परागत खेती करते हैं। खेत की ज़मीन रेतीली है। भू जल स्तर भी लगातार नीचे (400 -500 फ़ीट) जाने से अन्य कोई फसल नहीं ले पाने से चिंता बनी रहती थी। क्लिनिक से घर के खर्चों की पूर्ति तो हो रही है, लेकिन भविष्य असुरक्षित था। एक दिन अख़बार में केंद्र सरकार की कुसुम योजना के बारे में पढ़ा, जिसमें सौर ऊर्जा प्लांट लगाने पर उत्पादित बिजली को सरकारी कम्पनी द्वारा खरीदने का उल्लेख था। अंतत: पिताजी से परामर्श के बाद खेत की एक हेक्टेयर बंजर भूमि में एक मेगावाट का प्लांट लगाने का फैसला किया। जनवरी 2020 में विभाग में आवेदन किया। चूंकि राशि बड़ी थी इसलिए पिताजी की भविष्य निधि और कुछ खुद की जमा पूँजी को निवेश करने के साथ ही 2 करोड़ 70 लाख का ऋण लिया, जिसकी हर माह 3 लाख रुपए की किश्त आती है। 2 सितंबर 2020 को बिजली कम्पनी से 25 साल के अनुबंध पर दस्तखत किए और 1 अप्रैल 2021 से बिजली का उत्पादन शुरू हो गया। डॉ. यादव ने बताया कि केंद्र की कुसुम योजना में तीन कम्पोनेंट हैं। पहला जिसमें कोई सब्सिडी नहीं मिलती। मेरा प्रकरण इसी श्रेणी का है। दूसरा सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादित कर सिंचाई करने पर और तीसरा 5-5 मेगावाट के प्लांट लगाने पर कम्पनी 30 प्रतिशत सब्सिडी भी देती है।

सौर ऊर्जा प्लांट के बारे में डॉ. यादव ने बताया कि लोहे की मजबूत अधोसंरचना बनाई गई है, जिसका वजन 40 टन है। इस प्लांट में कुल 3400 पैनल लगे हैं। हर पैनल 330 वाट बिजली पैदा करता है। इसमें 4 स्टिंग इन्वर्टर लगाए हैं, जो प्रत्येक 250 किलो वाट के हैं। इसमें 11 किमी डीसी की और करीब डेढ़ किमी लम्बी एसी की वायरिंग की गई है। जो पैनल से सीधे बिजली स्टिंग इन्वर्टर को मिलती है, जिसे यह इन्वर्टर डीसी को एसी में बदल देता है। फिर यह एसी बिजली एलटी पैनल में जाती है, वहां से ट्रांसफार्मर के ज़रिए ग्रिड को चली जाती है। यदि मौसम साफ़ रहा तो 5500 यूनिट प्रति दिन बिजली उत्पादित हो जाती है, जिसे बिजली कम्पनी 3 रुपए 14 पैसे प्रति यूनिट की दर से हमसे खरीदती है।

श्री यादव ने सौर प्लांट की बीच की जगह का उपयोग करते हुए प्रयोग के तौर पर मछली पालन के लिए दो पैनल के बीच में 80 फ़ीट लम्बा, 10 फ़ीट चौड़ा और 7 फ़ीट गहरा तालाब बनवाया है, जिसमें मछली के 6 हज़ार बीज डाले हैं, जो दिसंबर -जनवरी तक फलित होंगे। अब इनका मुर्गी पालन का भी विचार है। इसके लिए इसी तालाब पर टीन शेड डालकर मुर्गियां पाली जाएंगी। मुर्गियों का मल मछलियों का आहार हो जाएगा और दाना आहार दुगुना नहीं लगेगा। श्री यादव के अनुसार यह एक स्थायी निवेश है, जिसमें आय भी स्थायी होती है। 7 8 साल बाद जब बैंक का ऋण चुक जाएगा उसके बाद होने वाली कमाई अपनी होगी। सौर ऊर्जा में निवेश करने से भविष्य सुरक्षित हो गया है, क्योंकि बिजली की मांग दिनों बढऩी ही है।
संपर्क नंबर -8949087107

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