ढाई एकड़ में गेंदे की खेती से हुई लाखों की कमाई
- (दिलीप दसौंधी, मंडलेश्वर)
19 अप्रैल 2023, ढाई एकड़ में गेंदे की खेती से हुई लाखों की कमाई – जमीन के छोटे से टुकड़े में भी यदि नवाचार किया जाए तो वह कमाई का बेहतर विकल्प बन सकता है। इसे सिद्ध किया है ग्राम खेड़ी (अघावन) तहसील कसरावद के उन्नत कृषक श्री शंकर पाटीदार ने। इन्होंने ढाई एकड़ जमीन में गेंदे के फूलों का 150 क्विंटल से भी अधिक का उत्पादन लिया। इसके अलावा श्री पाटीदार तरबूज, मिर्च, कपास, गेहूं और चना की भी हर साल लाखों की फसल ले लेते हैं।
एम कॉम उत्तीर्ण पूर्व शिक्षक श्री शंकर पाटीदार ने कृषक जगत को बताया कि फूलों की खेती करना आसान और सस्ता है। इसमें लागत कम आती है। शुरुआत में खेत की मेड़ पर गेंदा के फूल लगाए। जब बाजार में इनका वजन व भाव अच्छा मिलने लगा तो फूलों की खेती करने की सोची। वे गेंदे के फूलों की खेती 2020 से कर रहे हैं। तीन साल में रकबा बढक़र ढाई एकड़ हो गया। गेंदे की फसल के लिए किमको कम्पनी के बीज लगाए थे। इसके फूल पीले और गोल्डन कलर के हैं। गत वर्ष ढाई माह में ढाई एकड़ में गेंदे के 17 हजार पौधों के लिए मात्र 24 हजार रुपये खर्च करके 150 क्विंटल से अधिक उत्पादन ले चुके हैं। औसत दाम 15 से लेकर 25 रुपए किलो तक मिले। त्योहारों पर दाम अच्छा मिल जाता है। फूलों को खरगोन, इंदौर, मुंबई आदि जगह भेजा जाता है।
श्री पाटीदार ने बताया कि संयुक्त परिवार की 60 एकड़ जमीन है। नहर और ट्यूबवेल का जल स्रोत होने से सिंचाई की समस्या नहीं है। ड्रिप इरिगेशन से सिंचाई होती है। गत वर्ष मिर्च किस्म पद्मा और श्री 1233 लगाई थी। भरपूर उत्पादन हुआ और 27 लाख की लाल और हरी मिर्च बेची । इस साल भी 20 एकड़ में मिर्च लगाई, लेकिन ब्लैक थ्रिप्स का हमला होने से उत्पादन प्रभावित हुआ। निमाड़ क्षेत्र में पहली बार 2009 -10 में तरबूज इन्होंने ही लगाया था। धीरे-धीरे क्षेत्र में इसका रकबा बढ़ता गया। इस साल तो तरबूज नहीं लगाया, लेकिन पिछले साल 7 एकड़ में तरबूज किस्म सागर किंग और बाहुबली लगाई थी। 11 लाख के तरबूज बेचे थे। इसके अलावा परपरागत खेती में कपास और गेहूं/चना की फसल भी लेते हैं। गत वर्ष 40 एकड़ में रासी 659 किस्म का कपास लगाया था, जिसका 280 क्विंटल उत्पादन हुआ। इसके अलावा पिछले साल जायद में डेढ़ एकड़ में मूंग का 7 क्विंटल उत्पादन ले चुके हैं। इस साल 11 एकड़ में गेहूं का 200 क्विंटल उत्पादन मिला है। चने का भी बेहतर उत्पादन मिला है।
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