Farmer Success Story (किसानों की सफलता की कहानी)

खमेर के पेड़ों से होगी लाखों की कमाई

Share

(दिलीप दसौंधी , मंडलेश्वर )

25 जून 2022, खमेर के पेड़ों से होगी लाखों की कमाई यह सच है कि पैसे पेड़ पर नहीं उगते ,लेकिन यदि पौधों की समुचित देखभाल की जाए तो कालांतर में यही पौधे पेड़ बनकर आपको लाखों की कमाई दिला सकते हैं। मिसाल के तौर पर ग्राम सिलोदा तहसील पंधाना जिला खण्डवा के  कृषक श्री तुलसीराम  (75 ) पिता देवराम पटेल  का नाम लिया जा सकता है,जिन्होंने 2014 में खमेर प्रजाति के 2204 पौधे निजी भूमि पर लगाए थे, जिनमें से 1650  पौधे अब पेड़ बन गए हैं। निकट भविष्य में इन्हें काटकर बेचने पर उन्हें लाखों की कमाई होगी।

Vasudev-Patel1

श्री तुलसीराम पटेल के बेटे श्री वासुदेव पटेल ने कृषक जगत को बताया कि पिताजी बुजुर्ग हो गए हैं,इसलिए खेती संबंधी सभी काम अब वे ही देखते हैं। खुद की करीब 22 एकड़ सिंचित ज़मीन है। 10 एकड़ ज़मीन अन्य किसानों से लीज पर भी ली है। पिताजी ने वन रक्षक श्री आलोप सिंह देवड़ा की प्रेरणा और वन विभाग के अनुसंधान एवं विस्तार वृत्त खंडवा के सहयोग से जुलाई 2014 में अपनी पौने दो एकड़ में निजी ज़मीन में खमेर प्रजाति के 2204 पौधे 8 x 4 फीट पर लगाए थे ,जिनमें से 1650 पौधे जीवित रहे ,जो आज पेड़ बन गए हैं। आज  इन पेड़ों की ऊंचाई करीब 30 -40 फीट और गोलाई दो से ढाई फीट हो गई है। खमेर का यह जंगल बहुत सुहाना लगता है। शुरूआती दो सालों में वन विभाग की ओर से पहले साल 4 रुपए और दूसरे साल 3 रुपए प्रति जीवित पौधा अनुदान भी मिला। आरम्भ के दो वर्षों में इन पौधों की खाली जगह में अंतरवर्तीय फसल के रूप में प्याज़ एवं अन्य सब्जियां उगाने से 50 हज़ार रुपए से अधिक का अतिरिक्त लाभ हुआ था।  पेड़ बड़े होने से अब अंतरवर्तीय फसल नहीं ले रहे हैं। श्री वासुदेव ने खमेर लकड़ी की विशेषताएं बताते हुए कहा कि यह सागवान की लकड़ी जैसी ही होती है, जिसकी अच्छी कीमत मिलती है। इसकी लकड़ी हल्की लेकिन मज़बूत रहती है। धूप से इसमें दरारें नहीं पड़ती है। यह सीधी रहती है, इसलिए इसे काटना और छीलना आसान रहता है।खमेर के पौधों को लगाने और पेड़ों को काटने के लिए किसी अनुमति की ज़रूरत नहीं होती है। दो साल बाद इन पेड़ों को काटने का विचार है।

वन रक्षक श्री आलोप सिंह देवड़ा ने बताया कि 31 जुलाई 2014 को निजी भूमि पर विभाग की वृक्षारोपण योजना के तहत  एक दिवसीय वृक्षारोपण कार्यक्रम गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड के अंतर्गत चिन्हित सिलोदा में खमेर प्रजाति के 2204 पौधों का रोपण किया गया था। अनुदान की राशि को  हितग्राही के बैंक खाते में अंतरित कर शासन की योजना का लाभ दिलाया गया । 2 जून 2022 की स्थिति में 85 % जीवितता के साथ यह खमेर के पेड़ छोटी आबना नदी के किनारे लहलहा रहे हैं। किसान श्री पटेल को इस वृक्षारोपण उत्पाद से लगभग 40 से 50 लाख रुपए की राशि प्राप्त होने की उम्मीद है।

Share
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *