संपादकीय (Editorial)

पंचगव्य एक चमत्कारी जैविक खाद

पंचगव्य एक जैविक खाद या प्राकृतिक सामग्री से बनी हुई जैविक विकास उत्तेजक औषधि है, जो पौधे के विकास को बढ़ाने के साथ ही मिट्टी के उपयोगी जीवाणुओं की सुरक्षा करता है। जिसमे मुख्य रूप से गाय का गोबर, गौ-मूत्र, दूध है, इसके साथ ही दो अन्य उत्पाद दही और घी भी होते हैं। इनको उचित अनुपात में मिश्रित करके खमीर के लिए छोड़ दिया जाता है। यह पंचामृत के समान मिश्रण है, जिसमे गोबर और गौ-मूत्र को शहद और चीनी के साथ बदल दिया जाता है। खमीर का उपयोग एक फेरमेंटर, केले, मूंगफली का केक और नारियल के पानी के रूप में किया जाता है, यह माना जाता है कि यह एक शक्तिशाली जैविक कीटनाशक के साथ ही विकास में बढ़ोत्तरी करने वाला उर्वरक है।

पंचगव्य के लाभ

  • भूमि की उर्वराशक्ति में सुधार।
  • भूमि में हवा व नमी को बनाये रखना।
  • भूमि में सूक्ष्म जीवाणुओं की संख्या में बढ़ोतरी।
  • फसल में रोग व कीट का प्रभाव कम करना।
  • सरल एवं सस्ती तकनीक पर आधारित।
  • फसल उत्पादन एवं उसकी गुणवत्ता में वृद्धि।
पंचगव्य का अर्थ है पंच+गव्य अर्थात् गौमूत्र, गोबर, दूध, दही, और घी के मिश्रण से बनाये जाने वाले पदार्थ को पंचगव्य कहा जाता है। प्राचीन समय में इसका प्रयोग खेती की उर्वराशक्ति को बढ़ाने के साथ पौधों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए किया जाता था। पंचगव्य एक अत्यधिक प्रभावी जैविक खाद है जो पौधों की वृद्धि एवं विकास में सहायक होता है और उनकी प्रतिरक्षा क्षमता को बढ़ाता है। पंचगव्य का निर्माण देसी गाय के पांच उत्पादों से होता है क्योंकि देशी गाय के उत्पादों में पौधों के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्व पर्याप्त व संतुलित मात्रा में पाये जाते हैं।

पंचगव्य का उपयोग कृषि कार्यों में उर्वरक और कीटनाशकों के रूप में भी किया जाता है।

पंचगव्य बनाने के लिए आवश्यक सामग्री और उसकी मात्रा

  • दूध 2 लीटर गाय का
  • गाय का दही 2 लीटर
  • गौ-मूत्र 3 लीटर
  • गाय का घी- आधा किलो
  • ताजा गोबर गाय का 5 किलो
  • गन्ने का रस 3 लीटर (अथवा 500 ग्राम गुड़ 3 लीटर पानी में)
  • नारियल का पानी 3 लीटर
  • पके केले 12

पंचगव्य के फायदे

  • सब्जियों, फलों और दूसरे कृषि उत्पादों की आयु को बढ़ाता है।
  • पंचगव्य बड़ी पत्तियों और घने छत्र को पैदा करता है।
  • उपज को बढ़ता है (अधिकांश मामलों  में, उपज 20 से 25 फीसदी तक बढ़ जाती है, कुछ मामलों में जैसे खीरा, उपज दोगुनी हो जाती है) और उत्पाद की गुणवत्ता को भी बढ़ाता है।
  • यह फलों में मिठास और सुगंध के स्तर को बढ़ाता है।
  • फसल को जल्दी तैयार कर देता है। (दो सप्ताह पहले फसल की कटाई की जा सकती है)।
  • यह पानी की जरूरत को 25 से 30 फीसदी तक कम कर देता है, जिससे यह सूखे की स्थिति में भी जिंदा रहता है।
  • इसके द्वारा बहुत ज्यादा और घनी जड़ें जो मिट्टी की गहराईयों को भेदते हुए चली जाती है उनका उपचार किया जा सकता है।
  • रसायनिक खाद के मुकाबले अगर आप खुद इसे तैयार करते हैं तो आपकी खेती का खर्च भी कम हो जाएगा।
  • व्यवसायिक खेती में अनुशंसित खाद और रसायन के छिड़काव के मुकाबले इसका इस्तेमाल बहुत ज्यादा फायदेमंद है।
  • जैविक खेती क्षेत्र की बढ़ोत्तरी में भी यह मदद करता है।
  • पंचगव्य पशु और मानव जीवन के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।
  • पौधे के लिए जैविक विकास उत्तेजक और प्रतिरक्षा वर्धक का कार्य करता है। यह रोग से प्रभावित पौधे और दूसरे जीव को भी ठीक करता है।

ताड़ी या अंगूर का रस 2 लीटर  (1-100 ग्राम खमीर पाउडर के साथ 100 ग्राम गुड़ 2 लीटर पानी में उपयोग करने से पहले 30 मिनट के लिए रखा जाता है) (2- 2 लीटर नारियल का पानी 10 दिनों के लिए एक बंद प्लास्टिक कंटेनर में रखा जाता  है )

पंचगव्य बनाने की विधि

पंचगव्य को मिट्टी कांक्रीट या प्लास्टिक से बना एक बड़े मुंह वाले कंटेनर में तैयार किया जाना चाहिए। कंटेनर किसी धातु का नहीं बना होना चाहिए। कंटेनर में गाय का गोबर और घी का मिश्रण डालना चाहिए। फिर उस मिश्रण को दिन में 2 बार 3 दिन तक मिश्रित करते रहना चाहिए। चौथे दिन कंटनेर मे शेष सामग्री मिलायें। फिर अगले 15 दिनों तक दिन में 2 बार मिश्रित करते रहें। उन्नीसवें दिन पंचगव्य मिश्रण उपयोग के लिए तैयार हो जाता है।

पंचगव्य एकत्रित करने की विधि

पंचगव्य को छाया में और हर समय ढक कर रखा जाना चाहिए। इस मिश्रण की देखभाल करते रहना चाहिए ताकि कोई कीट मिश्रण में न गिरे और न ही इसमे कोई अंडे पैदा हो। इसे रोकने के लिए कंटेनर को हमेशा तार के जाल या प्लास्टिक ढक्कन के साथ बंद करके रखा जाना चाहिए।

उपयोग करने की विधि 

  • पंचगव्य का उपयोग अनाज व दाल (धान, गेहूँ, मंड़ुवा, राजमा आदि) तथा सब्जियों (शिमला मिर्च, टमाटर, गोभी व कन्द वाली) में किया जाता है।
  • छिड़काव के समय खेत में पर्याप्त नमी होनी आवश्यक है।
  • बीज उपचार से लेकर फसल की कटाई के 25 दिन पहले तक 25 से 30 दिन के अंतराल में इसका उपयोग किया जा सकता है।
  • प्रति  बीघा 5 लीटर पंचगव्य 200 लीटर पानी में मिलाकर पौधों के तने के पास छिड़काव करें।

पंचगव्य की खुराक

छिड़काव के लिए – पानी में मिश्रण का 3 प्रतिशत मिलाएं अर्थात् 3 लीटर पंचगव्य 100 लीटर पानी के साथ मिलाएं। जो छिड़काव के लिए सबसे उचित अनुपात है।

सिंचाई के लिए- सिंचाई के लिए प्रति लीटर पंचगव्य की मात्रा 20 लीटर/एकड़ होनी चाहिए।

प्रवाह प्रणाली- मिश्रण को सिंचाई के पानी के साथ 50 लीटर प्रति हेक्टेयर मिलाकर ड्रिप सिंचाई या प्रवाह सिंचाई के माध्यम द्वारा किया जा सकता है।

बीज उपचार के लिए- रोपण से पहले पानी और 3 प्रतिशत पंचगव्य मिश्रण में 20 मिनट के लिए बीज को भिगोएं। हल्दी, अदरक और गन्ने को रोपण से पहले 30 मिनट के लिए भिगोना चाहिए।

बीज भंडारण- पंचगव्य मिश्रण का 3 प्रतिशत भाग जिसमे बीज को डुबा कर सुखा लिया जाता है। यह प्रक्रिया बीजों को संचय करने से पहले की जाती है।

पौध के लिए

  • पौधशाला से पौधों को निकालकर घोल में डुबायें और रोपाई करें।
  • पौधा रोपण या बुआई के पश्चात 15-25 दिन के अंतराल पर 3 बार लगातार छिड़काव करें।

पंचगव्य छिड़काव का काल चक्र

फूल से पहले- एक बार 15 दिनो में (दो बार छिड़काव)

खिले हुए फूलों पर- एक बार 10 दिनों में (दो बार छिड़काव)

  • राघवेन्द्र सिंह
  • डॉ. रविशंकर सिंह
  • डॉ. आर.के. पाठक
  • आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी वि.वि. कुमारगंज, अयोध्या (उ.प्र.)

 ragvendrasingh2693@gmail.com

Advertisements