Editorial (संपादकीय)

सरसों को माहू से कैसे बचायें

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कृषि वैज्ञानिकों ने किया निरीक्षण

टीकमगढ़। ग्राम महोविया, खरगापुर जिला टीकमगढ़ में कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों ने फसलों का निरीक्षण किया। इस अवसर पर वैज्ञानिकों ने सरसों फसल के समूह प्रदर्शनों का परीक्षण किया वर्तमान में सरसों की किस्म आर. व्ही. एम. -2 में फूल की अवस्था है, कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ बी.एस. किरार ने कृषकों को सरसों की फसल को माहू कीट के रोकथाम के लिये सबसे पहले खेत के बाहर पौधों की प्रक्रोपित शाखाओं को तोड़कर नष्ट करें, एवं तापक्रम बढऩे एवं बादल होने पर आक्रमण ज्यादा हो तो 6 मि.ली. प्रति 15 लीटर (प्रति पंप) की दर से घोल बनाकर छिड़काव करने का सुझाव दिया। इस अवसर पर वैज्ञानिक डॉ यू.एस. धाकड़ ने कृषकों को गेहूं में यूरिया की शेष मात्रा की टॉप ड्रेसिंग को सिंचाई करने के बाद उपयोग, खरपतवार प्रबंधन तथा चना, सरसों एवं गेहूं में जैव पोषक वर्धक स्योडोमोनास एवं जैव उर्वरक जिंक घोलक वैक्टेरिया एवं पोटाश घोलक वैक्टेरिया प्रत्येक की 10 मिली प्रति लीटर की दर से छिड़काव करने से उत्पादन वृद्धि के लिये सुझाव दिये, साथ पशुपालकों के लिये वैज्ञानिक डॉ एस. के. खरे द्वारा, दुधारू पशुओं की उचित देखभाल के बारे मेें विस्तृत जानकारी दी।

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