नई दिल्ली। केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने गत दिनों पीजीएस इंडिया, स्वाईल हेल्थ कार्ड, उर्वरक गुण नियंत्रण प्रणाली तथा प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजनाओं की मार्गदर्शिका का अनुमोदन किया। इन योजनाओं को वेव पोर्टल पर अपलोड किया गया है।
केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री सिंह ने बताया कि सहभागिता गारंटी प्रणाली जैविक उत्पादों के प्रमाणन की एक प्रक्रिया है जो जैविक उत्पादों के लिए निर्धारित मानकों के अनुसार कृषि उत्पादन की प्रक्रिया और वांछित गुणवत्ता को बनाए रखना सुनिश्चित करती है। इसे दस्तावेजी लोगो अथवा विवरण के रूप में प्रदर्शित किया गया है घरेलू जैविक बाजार के विकास को बढ़ावा देने के लिये और जैविक प्रमाणीकरण की आसान पहुंच के लिए छोटे एवं सीमान्त किसानों को समर्थ बनाने के लिए भारत सरकार द्वारा एक विकेन्द्रीकृत जैविक कृषि प्रमाणन प्रणाली ‘भारत की सहभागिता प्रतिभूति प्रणालीÓ (पीजीएस-इंडिया) लागू की गई है।
कृषि मंत्री ने स्वाईल हेल्थ कार्ड योजना के संबंध में बताया कि राष्ट्रीय सहमति के मानक 10 हैक्टेयर वर्षा सिंचित क्षेत्रों से और 2.5 हैक्टेयर सिंचित क्षेत्रों से सॉयल नमूने संकलन के लिए प्रयुक्त किया जाएगा। किसानों से 2.53 करोड़ नमूने संकलित किए जायेंगे और तीन वर्ष में एक बार 14 करोड़ एसएचसी तैयार करने के लिये इनका परीक्षण किया जाएगा। वर्ष 2015-16 के लिये 84 लाख नमूनों का लक्ष्य है जिसकी तुलना में 34 लाख नमूने पहले से एकत्रित किए जा चुके हैं। उर्वरक गुणवत्ता नियंत्रण प्रणाली के संबंध में श्री सिंह ने बताया कि उर्वरक गुणवत्ता नियंत्रण प्रणाली (एफक्यूसीएस) वेब आधारित समरूप कार्यप्रवाह अनुप्रयोग है जिसे नमूना एकत्रीकरण, परीक्षण तथा मूल्यांकन रिपोर्ट तैयार करने के लिये एनआईसी द्वारा विकसित किया गया है। इस अनुप्रयोग तक यूआरएल को 222.द्घह्नष्ह्य.स्रड्डष्.द्दश1.द्बठ्ठ से पहुंचा जा सकता है। पहले चरण में, प्रणाली को केंद्रीय प्रयोगशाला गुणवत्ता नियंत्रण एवं प्रशिक्षण संस्थान तथा इसके 3 क्षेत्रीय उर्वरक नियंत्रण प्रयोगशालाओं में कार्यान्वित किया जाएगा। धीरे-धीरे, इस प्रणाली का सभी राज्य गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशालाओं में विस्तार किया जाएगा।श्री सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत पांच वर्षों के लिये 50 हजार करोड़ की राशि आवंटित की गई है। चालू वित्त वर्ष 2015-16 के लिए इस योजना में 5300 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है जिसमें 1800 करोड़ रुपये कृषि एवं सहकारिता विभाग के लिये, 1500 करोड़ रुपये भूमि संसाधन विभाग, 2000 करोड़ रुपये जल संसाधन मंत्रालय, एआईबीपी के लिए 1000 करोड़ रु पीएमकेएसवाई के लिये 1000 करोड़ रुपये शामिल हैं।
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