Crop Cultivation (फसल की खेती)

इल्ली नियंत्रण करने के लिए देसी नुस्खे 

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9 जुलाई 2022, भोपाल: इल्ली नियंत्रण करने के लिए देसी नुस्खे – खेती में बहुत सारे देसी नुस्खे होते हैं जो पीढ़ी दर पीढ़ी खो जाते हैं। 

ये देसी नुस्खे बहुत सारे संक्रमणों को नियंत्रित करने के लिए बहुत प्रभावी हैं। 

• 5 लीटर देशी गाये के मटठा / छाछ में 5 किलो नीम के पत्ते डालकर 10 दिन तक सड़ायें, बाद में नीम की पत्तियों को निचोड़ लें। इस नीमयुक्त मिश्रण को छानकर 150 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ के मान से समान रूप से फसल पर छिड़काव करें। इससे इल्ली व माहू का प्रभावी नियंत्रण होता है।
• 5 लीटर मटठा / छाछ में, 1 किलो नीम के पत्ते व धतूरे के पत्ते डालकर, 10 दिन सडऩे दे। इसके बाद मिश्रण को छानकर इल्लियों का नियंत्रण करें।
• 5 किलो नीम के पत्ते 3 लीटर पानी में डालकर उबाल ली तब आधा रह जावे तब उसे छानकर 150 लीटर पानी में घोल तैयार करें। इस मिश्रण में 2 लीटर गौ-मूत्र मिलावें। अब यह मिश्रण एक एकड़ के मान से फसल पर छिड़के।
• 1/2 किलो हरी मिर्च व लहसुन पीसकर 150 लीटर पानी में डालकर छान ले तथा एक एकड़ में इस घोल का छिड़काव करें।
• मारूदाना, तुलसी (श्यामा) तथा गेदें के पौधे फसल के बीच में लगाने से इल्ली का नियंत्रण होता हैं।
• टिन की बनी चकरी खेतों में लगाने से भी इल्लियां गिर जाती हैं।
दीमक नियंत्रण
• मक्का के भुट्टे से दाना निकलने के बाद, जो गिण्डीयॉ बचती है, उन्हे एक मिट्टी के घड़े में इक्टठा करके घड़े को खेत में इस प्रकार गाढ़े कि घड़े का मुॅह जमीन से कुछ बाहर निकला हो। घड़े के ऊपर कपड़ा बांध दे तथा उसमें पानी भर दें। कुछ दिनोंं में ही आप देखेगें कि घड़े में दीमक भर गई है। इसके उपरांत घड़े को बाहर निकालकर गरम कर लें ताकि दीमक समाप्त हो जावे। इस प्रकार के घड़े को खेत में 100-100 मीटर की दूरी पर गड़ाएॅ तथा करीब 5 बार गिण्डीयॉ बदलकर यह क्रिया दोहराएं। खेत में दीमक समाप्त हो जावेगी।
• सुपारी के आकार की हींग एक कपड़े में लपेटकर तथा पत्थर में बांधकर खेत की ओर बहने वाली पानी की नाली में रख दें। उससे दीमक तथा उगरा रोग नष्ट हो जावेगा।
उगरा नियंत्रण
• लीटर म_े में चने के आकार के 3 हींग के टुकडे मिलाकर उससे चने का बीजोपचार कर तत्पश्चात बोनी करें। सोयाबीन, उड़द, मूंग एवं मसूर के बीजों को अधिक गीला न करें।
• 400 ग्राम नीम के तेल में 100 ग्राम कपड़े धोने वाला पावडर डालकर खूब फेंटे, फिर इस मिश्रण में 150 लीटर पानी डालकर घोल बनावें। यह एक एकड़ के लिए पर्याप्त है।

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