व्यवहारिक कृषि ज्ञान को सरकारी नीति में शामिल कराएंगे : श्री लालवानी
कृषक अनुसंधान सहभागिता कार्यशाला संपन्न
27 सितम्बर 2022, इंदौर । व्यवहारिक कृषि ज्ञान को सरकारी नीति में शामिल कराएंगे : श्री लालवानी – गत सप्ताह 19 सितम्बर को कृषक जगत और समर्थ सोसायटी, भोपाल के संयुक्त तत्वावधान में कृषक अनुसंधान सहभागिता कार्यशाला ग्राम मोरोद -माचल, खंडवा रोड, इंदौर में किसान दिवस एवं भविष्य की खेती मॉडल पर आयोजित की गई। मुख्य अतिथि इंदौर के सांसद श्री शंकर लालवानी थे। इस कार्यशाला में सैंकड़ों की संख्या में मध्यप्रदेश के अलावा महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के किसान सोयाबीन की 200 से अधिक किस्मों को देखने प्रक्षेत्र पर पहुंचे, जहाँ उन्हें कृषि विशेषज्ञ और अतिथि वक्ता डॉ. व्ही. पी. सिंह बुंदेला ने सोयाबीन की विविध किस्मों एवं उनके रोगों की प्रत्यक्ष जानकारी दी। सांसद श्री लालवानी ने व्यवहारिक कृषि ज्ञान को सरकारी नीति में शामिल कराने का आश्वासन दिया।
उल्लेखनीय है कि कृषक अनुसंधान सहभागिता कार्यशाला कई उद्देश्यों को लेकर आयोजित की गई थी, जिसमें किसानों को नई तकनीक से परिचित कराने, मंडी में बिक्री की निर्भरता कम करने, विभिन्न जलवायु में उपयुक्त प्रजाति का चयन करने, आनुवंशिक शुद्धता के बीज हेतु जीन बैंकों की स्थापना कर किसानों को स्वावलम्बी बनाने, कृषि लागत को कम करने, भूमि सुधार तथा पौध संरक्षण की नवीनतम जानकारियों से लैस करना था, जिसमें यह आयोजन सफल रहा। किसानों ने भी इसमें रूचि ली और अपनी जिज्ञासाओं का समाधान किया। उन्नत तकनीक और प्रजातियों के चयन के लिए कृषक श्री बालेंदु सिंह की अध्यक्षता में अनुभवी कृषकों की कमेटी बनाई गई। किसानों ने अपने-अपने क्षेत्र के लिए, विपरीत मौसम परिस्थितियों के लिये उपुयक्त प्रजातियों का चयन, चेक प्लाट जेएस 9560, जेएस 9305, आरवीएस 1135, आरवीएस 18 आदि किस्मों से तुलना उपरांत किया। जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के कारण किसानों को आ रही बाधाओं पर डॉ. व्हीपी सिंह बुंदेला द्वारा भविष्य की खेती मॉडल का रोडमैप बताया गया।
श्री लालवानी ने प्रक्षेत्र पर सोयाबीन की विभिन्न किस्मों का अवलोकन किया और सोयाबीन की प्रचलित किस्मों से अनुसंधानित की गई नई किस्मों की अनूठी प्रक्रिया और विशेषताओं की जानकारी ली। उन्होंने प्रायोजक सुमिटोमो केमिकल इंडिया लि. के उत्पाद विद्युत और स्वाधीन के सोयाबीन फसल पर प्रदर्शन प्लाट को भी देखा और नतीजों की समीक्षा की। इस दौरान प्रधानमंत्री के जन्मदिन के उपलक्ष्य में सांसद ने वृक्षारोपण भी किया। मंचीय उद्बोधन में श्री लालवानी ने इस व्यवहारिक कृषि कार्य की सराहना करते हुए कहा कि किसानों का कहना है कि अनुसंधान केंद्रों पर उपज अच्छी मिल जाती है, लेकिन खेतों में उपज उतनी नहीं मिलती है। इसलिए उन्होंने अलग-अलग गांवों में जाकर किसानों के साथ मिलकर व्यवहारिक ज्ञान देने का आह्वान किया। सांसद ने कहा कि कृषि के व्यवहारिक ज्ञान की बातें सरकार की नीति में शामिल हों, इसे लेकर राज्य और केंद्र सरकार से चर्चा करूँगा। किसानों को यहां आकर कृषि का जो व्यवहारिक ज्ञान मिला है, उससे किसानों को निश्चित ही लाभ होगा।
इस आयोजन में विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. पीसी दुबे (आईएफएस),पूर्व प्रधान वन संरक्षक एवं अध्यक्ष विशेषज्ञ समिति, मप्र शासन, डॉ. प्रभाकर चौधरी, नेशनल मैनेजर, सुमिटोमो केमिकल के अलावा श्री बसंत गौर, श्री कुलदीप पाटीदार, डॉ. एमएम अंसारी, डॉ. मिलिंद रत्नपारखे, श्री एमके भार्गव, श्री रुपेश पात्रीकर उपस्थित थे। आभार प्रदर्शन कृषक जगत के संचालक श्री सचिन बोन्द्रिया ने किया।
किसानों की प्रतिक्रिया
इस आयोजन में 1500 से 2000 प्रगतिशील कृषकों ने कृषक सहभागिता अनुसंधान केंद्र में 200 से अधिक किस्मों का अवलोकन किया और इस प्रयास की सराहना की। श्री नरेंद्र सिंह सिसोदिया (आसेर) उज्जैन और श्री अजब सिंह मीणा शुजालपुर ने कार्यक्रम को अच्छा बताया। कुछ प्रगतिशील कृषकों की प्रतिक्रिया ने ध्यान आकृष्ट किया। श्री पृथ्वीसिंह सोलंकी जिला खरगोन ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी के जन्मदिन पर डॉ. बुंदेला द्वारा अनुसंधान केंद्र पर किए गए अनुसंधान को एक किसान की दृष्टि से देखने का मौक़ा मिला। डॉ. बुंदेला ने अनुसंधान प्रक्षेत्र पर किसानों को आय कैसे दुगुनी होगी इसके साक्षात दर्शन कराए। आपने अनुसंधान के माध्यम से जो अमृत निकाला है उसका सभी किसानों को अमृतपान कराएं। आपके अनुसंधानों से भविष्य में अच्छी चीजें निकल कर आएगी जो किसानों की आय को दुगुनी और लागत को आधी करेगी। वहीं श्री बीएम पाटीदार, रतलाम ने कहा कि इस कार्यक्रम के कारण हमें बहुत ही अनमोल ज्ञान मिला, जो सरकारें करोड़ों खर्च करके भी किसानों तक नहीं पहुंचा पाई। आशा है आप हम किसानों को भी अनुसंधान, बीमारियों की पहचान और उनका निवारण करना सिखाएंगे। श्री लाखनसिंह गेहलोत (शाहपुरा) देपालपुर ने डॉ. बुंदेला को धन्यवाद ज्ञापित कर कहा कि आपने एक ही जगह सोयाबीन की 200 से अधिक किस्मों के प्रदर्शन लगाकर सैकड़ों किसानों को एक जाजम पर बैठाकर बड़ा उपकार किया और अपने 30 वर्षीय अनुभव को साझा किया। उम्मीद है कि आप इस प्रकार किसानों के हित में नित नए प्रयोग करके उनका भविष्य उज्जवल बनाएंगे।
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