सुप्रीम कोर्ट जीएम सरसों के केवल कानूनी पहलू को जांचेगा
29 नवम्बर 2022, नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट जीएम सरसों के केवल कानूनी पहलू को जांचेगा – देश में जीएम सरसों की बोआई को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि वह इस मुद्दे के केवल कानूनी पहलू की ही सुनवाई करेगा। सर्वोच्च न्यायालय इसके तकनीकी पहलू का परीक्षण नहीं करेगा। न्यायाधीश सर्वश्री दिनेश माहेश्वरी और सुधांशु धूलिया के पीठ ने इस मामले के सभी पक्षकारों को बताया कि केंद्र सरकार के द्वारा गत 10 नवंबर को अपना हलफनामा दाखिल करने के बाद सभी पक्षों की चिंताओं को सूचीबद्ध कर लिया गया है।
अगली सुनवाई 29 नवंबर को होगी। याची द कॉउन्सल फॉर जीन अभियान ने कहा कि हमारी मुख्य चिंता है कि तकनीकी विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट को अदालत में नहीं पढ़ा गया। अरुणा रोड्रिग्ज की तरफ से वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि जीएम सरसों की बोआई की अनुमति देना तकनीकी विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के विपरीत है। हमने एक संकलन दायर किया है।
ताजा जानकारी के मुताबिक जीएम सरसों की किस्म डीएमएच-11 की उत्पादन क्षमता के दावे का परीक्षण होना अभी बाकी है, जिसे हाल ही में जेनेटिक इंजीनियरिंग मंजूरी समिति (जीईएस) से पर्यावरण संबंधी मंजूरी मिली है। इसकी वजह है कि परीक्षण कराने संस्थान के प्रमुख इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च (आईसीएआर) द्वारा तय दिशा-निर्देशों के मुताबिक अब तक इसका परीक्षण होना बाकी है।
डेवलपर और कुछ वैज्ञानिकों के मुताबिक डीएमएच-11 किस्म की उत्पादन क्षमता देश में उपलब्ध सबसे साधारण सरसों की किस्म वरुणा की तुलना में 28-30 प्रतिशत अधिक है। डीएमएच-11 का वाणिज्यिक उत्पादन शुरू होने पर खाद्य तेल के आयात की समस्या दूर हो जाएगी।
आईसीएआर के भरतपुर स्थित डॉयरेक्टरेट ऑफ रेपसीड एंड मस्टर्ड रिसर्च के डायरेक्टर श्री पीके राय ने कहा, ‘उपज के दावे को लेकर मैं कुछ कहने में सक्षम नहीं हूं, क्योंकि इस किस्म का परीक्षण अभी आईसीएआर के प्रोटोकॉल के मुताबिक नहीं हुआ है। यह अभी हमारी व्यवस्था में आया है। एक बार परीक्षण पूरा हो जाता है और अध्ययन पूरा हो जाता है तो हमें डीएमएच-11 के वास्तविक उपज की साफ तस्वीर मिल सकेगी।’
महत्वपूर्ण खबर: जीएम सरसों पर रस्साकशी