राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)फसल की खेती (Crop Cultivation)

जीएम सरसों पर रस्साकशी

8 नवम्बर 2022, नई दिल्ली । जीएम सरसों पर रस्साकशी – राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी (नास) और ट्रस्ट फॉर एडवांसमेंट ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज (टास) के वैज्ञानिकों ने कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) अगले 10 से 15 दिनों में रबी मौसम में ही नए आनुवांशिक रूप से परिवर्तित संकर किस्म की सरसों डीएमएच-11 के अध्ययन और बड़े पैमाने पर बीज उत्पादन करने की स्थिति में हो सकती है। दोनों संगठनों ने यह भी स्पष्ट रूप से कहा कि परीक्षण के लिए जीईएसी की मंजूरी के बाद अब और किसी मंजूरी की आवश्यकता नहीं है और चीजें आसानी से आगे बढ़ सकती हैं।

हालांकि एक आधिकारिक स्पष्टीकरण में बताया गया कि जीईएसी ने मंजूरी दी है, न कि पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने। नास और टास देश के शीर्ष कृषि वैज्ञानिकों का प्रतिनिधित्व करने वाले निकाय हैं जो नीति समर्थन और थिंक टैंक के रूप में भी काम करते हैं।

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कृषि मंत्रालय के तत्वावधान में आईसीएआर, भारत में कृषि में अनुसंधान और शिक्षा के लिए एक शीर्ष निकाय है। इसके तहत लगभग 111 संस्थान और 71 विश्वविद्यालय कार्य करते हैं। वर्तमान में भारत में वाणिज्यिक खेती के लिए बीटी-कॉटन एकमात्र गैर-खाद्य फसल है।
नास के अध्यक्ष श्री टी. महापात्र ने कहा, ‘वर्तमान में, लगभग 10 किलो मदर डीएमएच -11 बीज उपलब्ध है, जिसमें से लगभग 2 किलो भरतपुर में आईसीएआर के रैपसीड और सरसों निदेशालय द्वारा पहले ही सोर्स किया जा चुका है।

सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल लगाई रोक

वहीं जीएम सरसों की खेती की अनुशंसा का मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है। जीएम विरोधी कार्यकर्ताओं, संगठन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि इस विषय पर अभी आगे ना बढ़ें। 10 नवम्बर को याचिका पर सुनवाई होगी।

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जीएम सरसों की मंजूरी पर खाद्य तेल कंपनियों की मिली-जुली राय

आनुवांशिक रूप से परिवर्तित (जीएम) सरसों के बीज से सीधे प्रभावित होने वाली खाद्य तेल कंपनियों ने जेनेटिक इंजीनियरिंग आकलन समिति द्वारा दी गई परीक्षण की मंजूरी पर मिली-जुली राय व्यक्त की है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध भारतीय किसान संघ और स्वदेशी जागरण मंच (एसजेएम) ने मंजूरी का विरोध किया है। वामपंथी झुकाव वाली अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) इसके समर्थन में है। उसने कहा है कि उसका आनुवांशिक परिवर्तन के प्रति विरोध नहीं है, लेकिन वह चाहता है कि इसका परीक्षण भारतीय परिस्थितियों में किया जाए। उद्योग के एक वर्ग ने इस मंजूरी का स्वागत किया है, लेकिन दूसरे वर्ग को जीएम सरसों की उपयोगिता पर संदेह है और उन्हें लगता है कि इससे तेल प्रसंस्करण इकाइयों और छोटे किसानों को कोई फायदा नहीं मिलेगा।

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महत्वपूर्ण खबर: खाद भरपूर लेकिन किसान मजबूर

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