राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

बीस साल बाद जीएम सरसों को मंजूरी देने की सिफारिश

सरकार करेगी व्यवसायिक अनुमति देने पर फैसला

27 अक्टूबर 2022, नई दिल्ली: बीस साल बाद जीएम सरसों को मंजूरी देने की सिफारिश – बी.टी. कपास  के बीस साल बाद जेनेटिकली मोडिफाइड (जीएम) सरसों की खेती को मंजूरी मिलने की संभावना बन गई है। जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रैजल कमेटी (जीईएसी) ने  गत 18 अक्टूबर, 2022 को हुई 147वीं बैठक में देश में जीएम सरसों की व्यावसायिक खेती को मंजूरी देने की सिफारिश की थी। हाल ही में जीईएसी की सिफारिशों की जानकारी सामने आई। इन सिफारिशों को सरकार की मंजूरी मिल जाती है तो इसे चालू सीजन में उगाना संभव हो पाएगा। हालांकि इसका विरोध भी हो रहा है परन्तु जो पक्ष में है उनका कहना है कि व्यवसायिक अनुमति मिलने पर खाद्य तेलों की आयात पर निर्भरता कम हो जाएगी तथा देश में सरसों का उत्पादन बढ़ेगा।

जीईएसी ने सरसों की जिस डीएमएच-11 हाइब्रिड किस्म के इनवायरमेंटल रिलीज की सिफारिश की है उसे दिल्ली यूनिवर्सिटी के साउथ दिल्ली कैंपस स्थित सेंटर फॉर जेनेटिक मैनिपुलेशन ऑफ क्रॉप प्लांट्स (सीजीएमसीपी) ने विकसित किया है। इस टीम का नेतृत्व दिल्ली विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर रह चुके प्रोफेसर दीपक पेंटल ने किया। जीईएसी ने कहा है कि मंजूरी पत्र जारी होने की तिथि से 4 वर्षों के लिए जीएम सरसों को जारी करने की सिफारिश की गई है। जीईएसी ने कहा कि डीएमएच-11 संकर किस्म का वाणिज्य उपयोग बीज अधिनियम 1966 और संबंधित नियमों एवं विनियमों पर निर्भर करेगा।

भारत में जीएम सरसों पर नीतिगत बहस वर्षों से चल रही है। एक ओर जहां केंद्र सरकार जीएम फसलों को अनुमति देकर खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता का लक्ष्य हासिल करना चाहती है, वहीं इसका व्यापक विरोध भी किया जा रहा है।

विशेषज्ञों के एक समूह ने कहा है, ‘भारत में जीएम फसल की खेती के किसी भी अनुमोदन का देश के नागरिकों द्वारा कड़ा विरोध किया जाएगा। जीईएसी दूसरी बार जीएम सरसों को मंजूरी देने की सिफारिश की जा रही है, जो पूरी तरह अवैज्ञानिक और गैर जिम्मेदारना है।

इससे पहले  2017 में पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) और भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई), नई दिल्ली में परीक्षण के इसी तरह की सिफारिश की गई थी, लेकिन केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने इसे मंजूरी नहीं दी थी। इस कदम का विरोध करने के लिए स्वयंसेवी कार्यकर्ताओं और किसान संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसके बाद इसे मंजूरी देने के निर्णय पर विराम लग गया था।

जीएम सरसों के साथ ही जीईएसी के सम्मुख एचटीबीटी कॉटन की मंजूरी का प्रस्ताव लंबित है। एचटीबीटी कॉटन को कब मंजूरी मिलती है, यह भविष्य के गर्भ में है।

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