गेहूं के रिकॉर्ड पैदावार होने की उम्मीद
गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान की सामयिक सलाह
30 जनवरी 2023, करनाल। गेहूं के रिकॉर्ड पैदावार होने की उम्मीद – भाकृअप-गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल द्वारा किसानों को गेहूं फसल में जनवरी माह के दूसरे पखवाड़े के लिए सामयिक सलाह दी गई है। वर्तमान मौसम गेहूं के विकास के लिए काफी अनुकूल है तथा इस वर्ष गेहूं की रिकार्ड पैदावार की उम्मीद की जा रही है। कृषि परामर्श सेवा के अंतर्गत कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार किसानों को गेहूं एवं जौ की फसल में निम्न कृषि कार्य करने की सलाह दी जाती है।
देरी से बोई गई फसल में बुआई उपरान्त दी जाने वाली नाइट्रोजन को बुआई के 40-45 दिन तक फसल में डाल दें। नाइट्रोजन के समुचित उपयोग के लिए यूरिया को सिंचाई के पहले छिडक़ कर डालें। गेहूं में पीलेपन के कई कारण होते हैं। अगर फसल में पीलापन है तो अत्यधिक नाइट्रोजन (यूरिया) का प्रयोग न करें। साथ ही साथ कोहरे अथवा बादलों वाली अवस्था में नाइट्रोजन का प्रयोग रोक दें। गेहूं में बिजाई उपरांत लगभग दो बैग यूरिया (50 किग्रा नाइट्रोजन) प्रति एकड़ का प्रयोग करें, जिसकी आधी मात्रा पहली सिंचाई पर एवं आधी मात्रा दूसरी सिंचाई पर प्रयोग करें। किसान भाइयों से अनुरोध है कि गेहूं में पत्ती माहू (चेपा) के लिए भी निरंतर निगरानी रखें। अगर पत्ती माहू की संख्या आर्थिक क्षति स्तर ( ईटीएल- 10-15 माहू/टिलर) को पार करती है, तब क्विनालफॉस 25 प्रतिशत ईसी दवा की 400 मिली मात्रा 200- 250 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिडक़ाव करें।
गेहूं की पीला रतुआ
पीला रतुआ गेहूं का मुख्य रोग है यह प्राय: उत्तर -पश्चिमी मैदानी क्षेत्र ((NWPZ )और उत्तरी पहाड़ी क्षेत्र (NHZ) में पाया जाता है। वर्तमान मौसम की स्थिति जैसे 7 से 17 डिग्री सेल्सियस का औसत तापमान,सुबह में ओस के साथ धुंध या हल्की वर्षा आदि,पीले रतुआ की बीमारी के अनुकूल हैं। इसलिए किसानों को सलाह दी जाती है कि वे पीले रतुआ के लिए अपने खेतों में कड़ी निगरानी रखें। पीला रतुआ की रोकथाम के लिए प्रभावित क्षेत्रों में अनुशंसित कवकनाशी जैसे प्रोपिकोनाज़ोल @ 0.1% या टेबुकोनाज़ोल 50% +ट्राइफ्लॉक्सीस्ट्रोबिन 25% @0.06% का छिडक़ाव करें और ज़रूरत पडऩे पर 15 दिनों के बाद दोहराएं।
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